TMC सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ छत्तीसगढ़ में FIR, अमित शाह पर की थी विवादित टिप्पणी

छत्तीसगढ़ के रायपुर में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. आरोप है कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान किया और समाज में नफरत फैलाने की कोशिश की.

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महुआ मोइत्रा ने अमित शाह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. (File Photo: ITG) महुआ मोइत्रा ने अमित शाह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. (File Photo: ITG)

महेंद्र बांसरोटा / सुमी राजाप्पन

  • रायपुर,
  • 31 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 3:52 PM IST

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में TMC की सांसद महुआ मोइत्रा पर एफआईआर दर्ज की गई है. उन पर आरोप है कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर विवादित टिप्पणी की. मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने एक बयान में कहा कि अमित शाह का “सिर काटकर मेज पर रख देना चाहिए.” इस टिप्पणी ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है.

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महुआ मोइत्रा के बयान को नफरत फैलाने वाला बताया गया
यह मामला रायपुर के माना कैंप पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ. शिकायत स्थानीय निवासी गोपाल सामंतो ने की. उनकी शिकायत में कहा गया है कि महुआ मोइत्रा की टिप्पणी से लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान हुआ है और ऐसा बयान समाज में नफरत फैलाने वाला है. साथ ही, इस तरह की भाषा राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी खतरा बन सकती है.

शिकायतकर्ता का कहना है कि एक सांसद द्वारा इतना उत्तेजक और भड़काऊ बयान देना लोकतंत्र की मर्यादा को ठेस पहुंचाता है. उनका आरोप है कि यह बयान लोगों में आक्रोश भड़का सकता है, शांति भंग कर सकता है और समाज में वैमनस्य फैला सकता है.

महुआ मोइत्रा के खिलाफ मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की दो धाराओं के तहत दर्ज किया गया है. 

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धारा 196 (BNS): समाज में दुश्मनी फैलाने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने से जुड़ा प्रावधान. धारा 197 (BNS): संवैधानिक प्राधिकार के खिलाफ टिप्पणी, जो राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए हानिकारक मानी जाती है.

पुलिस का कहना है कि शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. FIR में यह भी कहा गया है कि मोइत्रा की कथित टिप्पणी से जनता में गुस्सा फैल सकता है, शांति व्यवस्था बिगड़ सकती है और लोकतांत्रिक माहौल पर विपरीत असर पड़ सकता है.

राजनीतिक हलकों में भी इस घटना को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. कई लोग इसे भाषण की मर्यादा से बाहर मान रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि राजनीतिक मतभेदों को अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में ही रहकर सामने रखा जाना चाहिए. फिलहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई शिकायत और सबूतों के आधार पर होगी.

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