बिहार: BJP का गंभीर आरोप, नीतीश और तेजस्वी ने PFI से सांठगांठ कर बनाई सरकार

बिहार के बेतिया में डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि 11 जुलाई को पीएम मोदी के बिहार दौरे से पहले आतंकी हमले की साजिश थी. पूरे देश को इस्लामिक स्टेट बनाने की साजिश थी. देश में कही भी आतंकवाद की घटना घटती है तो उसका लिंक बिहार से जुड़ता है. लेकिन नीतीशजी को ये बात समझ में नहीं आती थी.

Advertisement
बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने नीतीश-तेजस्वी पर निशाना साधा बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने नीतीश-तेजस्वी पर निशाना साधा

aajtak.in

  • पटना,
  • 12 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:29 PM IST

बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू ने एनडीए से गठबंधन तोड़कर विपक्ष के महागठबंधन का दामन थाम फिर से सरकार बना ली है. नीतीश कुमार ने 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. गठबंधन और सत्ता से बाहर हुई बीजेपी लगातार नीतीश कुमार पर जनता को धोखा देने का आरोप लगा रही है. इस बीच बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर PFI से सांठगांठ कर सरकार बनाने का आरोप लगाया है. 

Advertisement

दरअसल, बिहार के बेतिया में आयोजित 'जनादेश से विश्वासघात' कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि 11 जुलाई को पीएम मोदी के बिहार दौरे से पहले आतंकी हमले की साजिश थी. पूरे देश को इस्लामिक स्टेट बनाने की साजिश थी. जब इसकी जांच एनआईए को सौंपी गई तो पीएफआई के लिंक सामने आए. जब अधिकारियों को लगा कि इसमें वो लोग फंस जाएंगे तो उन्होंने तेजस्वी को समझाया कि आप और नीतीश कुमार अब एक हो जाइए.

'आतंकी हमले को पटाखे का विस्फोट बोलते थे नीतीश'

डॉ जायसवाल ने कहा कि मुंगेर और छपरा में तीन मंजिल के मकान के विस्फोट को हम लोग आतंकी हमला कहते थे तो नीतीश जी उसे पटाखे का विस्फोट बोलते थे. पूरा बिहार आतंकियों के लिए स्लीपरसेल बन गया है. देश में कही भी आतंकवाद की घटना घटती है तो उसका लिंक बिहार से जुड़ता है. लेकिन नीतीशजी को ये बात समझ में नहीं आती थी.

Advertisement

'लाखों हिंदुओं को भारत भागना पड़ा'

उन्होंने कहा कि 1940 में लाहौर में अगर कोई खड़ा होकर बोलता था कि हिंदुओं को यहां से भागना पड़ेगा तो लोग सोचते थे ये कौन पागल आदमी ऐसा बोल रहा है. लेकिन 1947 में बंटवारे के बाद लाखों हिंदुओं को भारत भागना पड़ा. सर गंगाराम लाहौर के रहने वाले थे, उनकी कोई संपत्ति पाकिस्तान में नहीं बची. उनको भी सबकुछ छोड़कर भारत आना पड़ा.

(रामेंद्र कुमार की रिपोर्ट)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement