'दिल धड़कने दो…',
'दिल है छोटा सा…',
'दिल तो बच्चा है जी…'
हमारे फिल्मी गानों में ‘दिल’ का जिक्र कभी प्यार जताने के लिए हुआ तो कभी अपना हाल बताने के लिए. लेकिन ये दिल यानी हार्ट सिर्फ गानों की जान ही नहीं बल्कि इंसानी शरीर की सेहत और जिंदगी की जान भी होता है. इंसानी शरीर में हार्ट एक उस इंजन की तरह काम करता है जो आपके पैदा होने से मरने तक हर पल खून पंप करके आपको जिंदा रखता है. आज 29 सितंबर को पूरी दुनिया वर्ल्ड हार्ट डे मना रही है. आज के दिन हर जगह हार्ट हेल्थ अवेयरनेस को लेकर काफी लोगों को जागरूक किया जाता है. आज वर्ल्ड हार्ट डे पर हम हार्ट की उन धड़कनों की अहमियत दुनिया के 9 हार्ट एक्सपर्ट, सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट से कुछ सवालों के जरिए समझते हैं जो हमारी जिंदगी से सीधा संबंध रखते हैं.
क्या हार्ट, शरीर से पहले बूढ़ा हो सकता है?
भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित और भारत के सबसे एक्सपीरियंस कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रमाकांत पांडा ने Aajtak.in को बताया, 'दिल की उम्र शरीर की उम्र से अलग हो सकती है. कई बार 21 या 30 साल के युवाओं का दिल 50-60 साल का हो जाता है क्योंकि वे रातभर जागते हैं, जंक फूड खाते हैं, स्मोकिंग करते हैं और स्ट्रेस में रहते हैं. वहीं मैंने कई मामले ऐसे भी देखे हैं जिनमें 90 साल के मरीज का दिल 60 साल के जितना फिट है. अच्छी बात यह है कि लाइफस्टाइल बदलकर हार्ट की उम्र को ‘रिवर्स’ भी किया जा सकता है. नेचुरल खाना ही दिल की सबसे अच्छी दवा है. बाजरा, रागी, ब्राउन राइस, दालें, चना, राजमा, बीन्स और मौसमी फल-सब्जियां खाइए.'
यंग जनरेशन यदि अपनी हार्ट हेल्थ सही रखना चाहती है तो उसके लिए रोजाना कम से कम 50 मिनट से 1 घंटे तक ब्रिस्क वॉक या कोई भी एरोबिक एक्सरसाइज करना (सप्ताह में 300 मिनट), हफ्ते में कुछ दिन वेट ट्रेनिंग करना चाहिए. योगा से स्ट्रेस कंट्रोल करें, खाने में प्रोसेस्ड व आर्टिफिशियल फूड की बजाय नेचुरल व होल ग्रेन खाएं. आज की जेनेरेशन पर्याप्त नींद नहीं ले रही है. वे नहीं जानते नींद की कमी और स्ट्रेस हार्ट के लिए जहर है. शरीर को रात 10 बजे तक सो जाना चाहिए और 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए. लाइट्स और स्क्रीन टाइम की वजह से शरीर की नैचुरल बायोलॉजी बिगड़ गई है जिसे सुधारने की जरूरत है.
नए फिटनेस ट्रेंड कैसे हार्ट को नुकसान पहुंचा रहे हैं?
डॉ. पांडा ने कहा, '30 साल पहले 30 साल से कम उम्र के हार्ट पेशेंट साल में एक-दो ही दिखते थे लेकिन अब रोज आ रहे हैं. वजह है लाइफस्टाइल और फिटनेस कल्चर में एक्सट्रीम ट्रेंड्स, स्टेरॉइड्स, क्रैश डाइट्स, ओवर एक्सरसाइज. वहीं न्यूट्रिशन की कमी और आर्टिफिशियल सप्लीमेंट्स लेने की वजह से हार्ट पर असर पड़ रहा है. आर्टिफिशियल प्रोटीन पाउडर या सप्लीमेंट्स से बचिए. मैंने खुद ऐसे केस देखे हैं जहां यंग लड़कों के लिवर एंजाइम्स प्रोटीन पाउडर की वजह से बढ़ गए. जितना शरीर संभाल सके उतना ही एक्सरसाइज करें। अचानक बहुत ज़्यादा वजन उठाना या ज़्यादा पुश करना हार्ट पर लोड डालता है और अटैक तक ला सकता है.'
'दिल की बीमारी से बचना है तो नेचुरल खाना, रोजाना की एक्सरसाइज, योगा और पूरी नींद आपकी सबसे बड़ी दवा है. आर्टिफिशियल शॉर्टकट्स से दूर रहें, तभी हार्ट हेल्दी रहेगा.'
क्या रोज का भारतीय खाना (घी, तली चीज़ें, नमक) हमारे दिल को छिपे हुए तरीके से नुकसान पहुंचा रही हैं?
मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के कंसल्टेंट डॉ. प्रशांत नायर ने कहा, 'भारतीय भोजन पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं लेकिन घी, तले हुए खाद्य पदार्थ और ज्यादा नमक वाली चीजों का अधिक सेवन एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है. समय के साथ, यह एंडोथेलियल डिसफंक्शन, धमनी अकड़न और एथेरोस्क्लेरोटिक प्लाक के निर्माण को बढ़ावा देता है, जिससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज (हृदय संबंधी बीमारी) का खतरा काफी बढ़ जाता है. लिपिड प्रोफाइल और ब्लड शुगर की नियमित निगरानी, डाइट पर कंट्रोल, हार्ट संबंधी बीमारियों के रोकथाम के लिए आवश्यक है.'
क्या लगातार एयर पॉल्यूशन में रहना दिल को उतना ही नुकसान पहुंचाता है जितना सिगरेट पीना?
डॉ. नायर ने कहा, 'लंबे समय तक वायु प्रदूषण, खासकर PM2.5 जैसे बेहद छोटे कणों के संपर्क में रहने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही यह खून की नसों में सूजन और डैमेज करता है जिससे नसें शख्त हो जाती हैं और उनमें चर्बी जमने लगती है. इसके कारण हार्ट अटैक, इंटेंस कोरोनरी सिंड्रोम, स्ट्रोक और धड़कन की गड़बड़ी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए लगातार प्रदूषण में रहना हार्ट हेल्थ के लिए उतना ही खतरनाक माना जाता है जितना की स्मोकिंग करना. हार्ट पैशेंट्स को सलाह दी जाती है कि वे प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाएं और प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें.'
30–35 साल की उम्र में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों की असली वजह क्या है?
डॉ. नायर ने बताया, ' 'आजकल युवाओं में समय से पहले दिल का दौरा पड़ने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं इसका सबसे बड़ा कारण उनकी लाइफस्टाइल और खानपान की बिगड़ती आदतें हैं. आजकल के युवा घंटों बैठे रहते हैं, हद से ज्यादा कैलोरीज लेते हैं और प्रोसेस्ड खाना अधिक खा रहे हैं, लगातार तनाव में रहते हैं, नींद की कमी रहती है और नशे की लत हो गई है और यही चीजें उनके शरीर को अंदर से कमजोर कर रही हैं. इन वजहों से युवाओं को कम उम्र में ही डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल जैसी दिक्कतें सामने आने लगी हैं साथ ही यदि उनके परिवार में किसी को हार्ट संबंधी कोई बीमारी रही हो तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है. समय-समय पर जांच, लाइफस्टाइल में बदलाव, हेल्दी डाइट और पर्याप्त नींद से इस जोखिम को काफी हद तक टाला जा सकता है.'
अधिक वजन वाले लोगों की तरह पतले लोगों को भी हार्ट रोग क्यों हो रहा है?
डॉ. नायर ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'सिर्फ बॉडी मास इंडेक्स (BMI) देखकर दिल की सेहत का अंदाजा लगाना सही नहीं माना जाता. कई मामले ऐसे भी देखे जाते हैं जिनमें लोगों का वजन नॉर्मल होता है लेकिन उनमें विसरल फैट, इंसुलिन रेजिस्टेंस, खराब कोलेस्ट्रॉल या हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं रहती हैं. ऐसे लोग बाहर से तो पतले दिखते हैं लेकिन अंदर से हार्ट संबंधित समस्याओं से घिरे रहते हैं. मेडिकली भाषा में इसे 'लीन बट मेटाबॉलिकली अनहेल्दी' कहते हैं और इसकी कारण से सिर्फ वजन मेंटेन करना ही नहीं बल्कि हार्ट से जुड़े चैकअप्स भी करवाना जरूरी है ताकि समय रहते खतरे को पहचाननकर जोखिम को कम किया जा सकता है.'
क्या हेल्थ ट्रैकिंग डिवाइस (स्मार्टवॉच) पर दिखने वाली हार्ट रेट रिपोर्ट पर भरोसा करना सही है?
डॉ. नायर ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के डेटा पर विश्वास करने वाले सवाल पर कहा, 'स्मार्टवॉच जैसे पहनने जैसी डिवाइस रेगुलर हार्ट रिदम और एक्टिविटी की निगरानी करते हैं और यूजर को कुछ भी गड़बढ़ इंडिगेट होने पर तुरंत सूचित करते हैं. हालांकि ये डिवाइस बीमारियों की सटीकता नहीं देते. मेडिकली रूप से यदि किसी को हार्ट रिदम में गड़बड़ी या ब्लॉकेज जैसी समस्या होती है तो उसकी सटीकता के लिए ईसीजी, ईकोकार्डियोग्राफी या दूसरी जांच करने की जरूरत पड़ती है. इसलिए कह सकते हैं कि पूरी तरह से इन डिवाइसेज पर निर्भर रहना सही नहीं है.'
क्या स्ट्रेस और गुस्सा भी दिल के दौरे का कारण बन सकते हैं?
स्ट्रेस और गुस्से से हार्ट अटैक के जोखिम के बारे में बात करते हुए डॉ. नायर ने कहा, 'तेज गुस्सा या स्ट्रेस भी हार्ट हेल्थ के लिए खतरनाक है. ऐसी हालात में ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट अचानक बढ़ जाते हैं और शरीर में स्ट्रेस हार्मोन एक्टिव हो जाते हैं. जिन्हें पहले से ही हार्ट की बीमारी का जोखिम है, उनमें इस स्थिति से नसों में जमी हुई चर्बी या प्लॉक फंट सकता है जिससे खून का थक्का बन सकता है और हार्ट अटैक तक आ सकता है.' स्ट्रेस मैनेजमेंट, मेडिटेशन और नियमित जांच बेहद जरूरी हैं साथ ही हेल्दी डाइट, स्मोकिंग से दूरी, रेगुलर एक्सरसाइज स्ट्रेस और गुस्से को दूर करने में मदद कर सकते हैं.
आज की जेनेरेशन अपने हार्ट को कैसे खतरे में डाल रही है?
मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल के इंटरवेशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश जी. विजन ने बताया, 'आजकल की युवा पीढ़ी अनहेल्दी लाइफस्टाइल से अपने दिल को खतरे में डाल रही है. अस्थिर नींद, घंटों स्क्रीन पर समय बिताना, प्रोसेस्ड या नमक वाली चीजें खाना, शराब, धूम्रपान, और बढ़ता स्ट्रेस कम उम्र में ही हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल इम्बैलेंस का कारण बन रहे हैं. ये चीजें शरीर में एथेरोस्क्लेरोसिस को बढ़ावा देते हैं और समय से पहले हृदय रोग के जोखिम को भी बढ़ाते हैं.
क्या अधिक एनर्जी ड्रिंक या शुगर वाली ड्रिंक्स लेने से हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ता है?
डॉ. सुरेश ने बताया, 'कैफीन का अधिक सेवन और चीनी वाली एनर्जी ड्रिंक्स का अधिक सेवन सिंपेथिक नर्वस सिस्टम को अधिक उत्तेजित करते हैं जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, हार्ट रेट तेज होती है और खतरनाक लक्षण नजर आते हैं. हालांकि एक बार की ड्रिंक पीने से तुरंत ऐसा कोई खतरा नहीं होता लेकिन बार-बार सेवन करना खासकर युवाओं और हार्ट डिजीज वाले लोगों में अचानक हार्ट अटैक या उससे संबंधी घटनाओं के जोखिम को बहुत बढ़ा सकता है. मीठे ड्रिंक्स मोटापे और मेटाबोलिक सिंड्रोम का भी कारण बनते हैं, जिससे हार्ट डिजीज और अधिक बढ़ जाता है.
क्या लंबे समय तक बैठने (सिटिंग जॉब) से हार्ट पर भी बुरा असर पड़ता है?
डॉ. सुरेश ने कहा, 'लंबे समय तक बैठे रहने को अब 'The new smoking' कहा जाने लगा है. लंबे समय तक बैठे रहने से मेटाबोलिक रेट धीमी हो जाती है, अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाता है और ब्लड सर्कुलेशन कमजोर हो जाता है. लंबे समय तक यह मोटापे, टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोग का कारण बनता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिसर्च से पता चलता है कि सुस्त लाइफस्टाइल स्ट्रोक और हार्ट अटैक के जोखिम को काफी अधिक बढ़ा देती है और इसका दीर्घकालिक प्रभाव धूम्रपान के बराबर माना जाता है, खासकर अगर नियमित एक्सरसाइज ना की जाए तो.
हेल्दी हार्ट के लिए 5 जरूरी चीजें क्या हैं?
पुणे के सह्याद्री सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जगजीत देशमुख ने Aajtak.in को बताया, 'हेल्दी हार्ट, स्वस्थ्य लाइफस्टाइल पर डिपेंड करता है. इसके लिए रोजाना की फिजिकल एक्टिविटी जैसै, कम से कम आधे घंटे तेज चलना, साइकिल चलाना, तैरना या कोई भी मीडियम इंटेंसिटी की एक्सरसाइज ब्लड वेसिल्स को फ्लेग्जिबल बनाए रखता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है. बैलेंस डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें, लीन प्रोटीन और ड्राईफ्रूट व सीड्स से प्राप्त हेल्दी फैट भी लें. साथ ही नमक, चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स को सीमित करें. हेल्दी वेट मेंटेन करें और बैली फैट को भी कंट्रोल में रखें क्योंकि पेट की चर्बी हृदय रोग से जुड़ी होती है. ब्लडप्रेशर और स्ट्रेस, हार्मोन को नियंत्रण में रखने के लिए योग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज या मेडिटेशन से स्ट्रेस को मैनेज करें और अगर आप ठीक महसूस भी कर रहे हैं तो ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर की समय-समय पर जांच कराएं.'
खाने में लोग क्या गलतियां कर रहे हैं जो हार्ट पर भारी पड़ रहा है?
डॉ. देशमुख ने बताया, 'हममें से कई लोग अनजाने में ऐसी डाइट संबंधी गलतियां करते हैं जो हृदय पर भारी पड़ती हैं. अधिक नमक ब्लडप्रेशर बढ़ाता है जबकि ठंडी ड्रिंक्स, पैकेज्ड स्नैक्स और मिठाइयों में छिपी हुई शुगर डायबिटीज और ट्राइग्लिसराइड के जोखिम को बढ़ाती है. तली हुई चीजें और बेकरी प्रोडक्ट्स में मौजूद ट्रांस-फैट एलडीएल 'खराब' कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं और सब्जियां, फलों और साबुत अनाज से प्राप्त फाइबर की कमी वाली चीजें कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में बाधा डालती हैं. ओमेगा-3 फैट के सोर्स जैसे ऑयली मछली, अलसी या अखरोट को छोड़ने का मतलब है हार्ट की प्राकृतिक सुरक्षा से वंचित रहना.'
चाय-सुट्टे की लत हार्ट पर कैसा असर डालती है?
डॉ. देशमुख के मुताबिक, 'युवाओं में धूम्रपान की आदत हानिकारक हो सकती है. सीमित मात्रा में चाय पीना आमतौर पर सुरक्षित है लेकिन इसे स्मोकिंग के साथ मिलाना खतरनाक है. हर सिगरेट धमनियों की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाती है, प्लाक के निर्माण को तेज करती है और हृदय गति और ब्लड प्रेशर को बढ़ाती है. कड़क चाय और निकोटीन एक साथ लेने पर हृदय गति और ब्लडप्रेशर में दोगुनी वृद्धि होती है जिससे कम उम्र में भी हृदय पर अनावश्यक दबाव पड़ता है.'
वीकेंड पार्टी का हर एक पैग हार्ट को कितना नुकसान पहुंचाता है?
डॉ. देशमुख ने कहा, 'शराब पीने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. 30 मिली स्पिरिट या वाइन या बीयर का एक सामान्य गिलास भी अस्थायी रूप से ब्लडप्रेशर और हृदय गति बढ़ा देता है. नियमित रूप से अत्यधिक शराब पीना (पुरुषों एक दिन में 2 से अधिक पैग और महिलाओं के लिए 1 से अधिक पैग) हाई ब्लडप्रेशर, अनियमित हृदय गति और हार्ट के मसल्स को कमजोर करने का खतरा काफी बढ़ा देता है. अच्छी हेल्थ के लिए शराब का सेवन बिल्कुल न करें. लेकिन अगर आप पीते भी हैं तो इसे कभी-कभार पिएं और हृदय पर दबाव कम करने के लिए खूब पानी पिएं. रोजाना एक्सरसाइज करें, बैलेंस डाइट लें, स्ट्रेस कम रखें, तंबाकू से परहेज रखें. ये चीजें आपके हृदय की रक्षा करने में किसी भी दवा से कहीं ज्यादा प्रभावी हैं.
क्या रात में देर तक मोबाइल चलाना या नींद पूरी न होना दिल को समय से पहले बूढ़ा कर देता है?
मुंबई के पी. डी. हिंदुजा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ. अमेय उदयवर ने Aajtak.in को बताया, 'शरीर को हर दिन कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद चाहिए ताकि दिल, दिमाग और बाकी अंग दिनभर के काम से रिकवरी कर सकें लेकिन आजकल के लोगों की रात को देर तक मोबाइल इस्तेमाल करने से स्लीप हाइजीन बिगड़ जाती है, नींद देर से आती है और नींद का समय घट जाता है. यह आदत धीरे-धीरे धमनियों में चर्बी जमने और हार्टबीट में गड़बड़ी जैसी समस्याओं को बढ़ा सकती है.'
क्या रोजाना चाय–कॉफी या एनर्जी ड्रिंक पीना हार्ट की धड़कन को गड़बड़ा सकता है?
डॉ. अमेय के मुताबिक, 'अधिक चाय, कॉफी या एनर्जी ड्रिंक पीना भी हार्ट रिदम पर असर डालता है. इनमें मौजूद कैफीन जैसे स्टिमुलेंट्स दिल की धड़कन तेज कर सकते हैं. कुछ लोगों में ये एट्रियल फिब्रिलेशन या एट्रियल टैकीकार्डिया जैसी गंभीर हार्ट रिदम की समस्या भी पैदा कर सकते हैं.'
क्या शादी या पारिवारिक तनाव भी युवाओं में हार्ट अटैक का बड़ा कारण बन सकता है?
डॉ. अमेय का कहना है, 'किसी को भी लगातार तनाव उसके शरीर में सूजन पैदा कर सकता है जिससे नसों को धीरे-धीरे नुकसान होने लगता है और उनमें चर्बी जमने लगती है. ऐसे युवा जो एक्सरसाइज नहीं करते और हेल्दी डाइट नहीं लेते, उनमें लंबे समय तक स्ट्रेस रहना दिल की बीमारियों का बड़ा कारण बन सकता है.'
क्या सिर्फ पेट की चर्बी हार्ट डिजीज का उतना ही बड़ा खतरा है जितना पूरे शरीर का मोटापा?
भोपाल AIIMS के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जन डॉ. विक्रम वट्टी ने Aajtak.in को बताया, 'सिर्फ पेट की चर्बी होना सीधे-सीधे हार्ट डिजीज का कारण नहीं है लेकिन यह अंदरूनी अंगों के पास ज्यादा चर्बी बढ़ा देता है. इससे शरीर में प्रो-इंफ्लेमेटरी एंजाइम्स बढ़ते हैं जो धमनियों को जल्दी खराब करते हैं. पेट की चर्बी से अक्सर मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है जिसमें ट्राइग्लिसराइड्स, शुगर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाते हैं. ये सब मिलकर दिल की बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ा देते हैं.'
हेल्दी हार्ट के लिए बेसिक लाइफस्टाइल हैबिट्स क्या हैं?
हेल्थी हार्ट के लिए अपनी बेसिक लाइफस्टाइल में आप जो रेगुलर एक्सरसाइज है उसको एक पार्ट बनाएं जो डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस है या अमेरिकन हार्ट एफिशिएंट की रिकमेंडेशन है, उसके मुताबिक, कम से कम 30 मिनट ब्रीफ वॉकिंग साइकलिंग या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करें. सभी को बैलेंस डाइट लेना चाहिए जिसमें ग्रीन वेजिटेबल्स और हेल्दी फैट वाले ड्राई फ्रूट्स शामिल करें. स्मोकिंग, ड्रिंकिंग आदि उनसे दूरी रखें और रेगुलर हेल्थ चैकअप कराते रहें.'
पहली बार हार्ट अटैक आने से पहले चेतावनी संकेत मिलते हैं या अचानक भी आ सकता है?
डॉ. विक्रम ने बताया, 'अक्सर पहले हार्ट अटैक से पहले हमें कुछ चेतावनी संकेत मिलते हैं. जैसे सीने में दबाव या जकड़न जैसा महसूस होना, लेफ्ट साइड कंधे में या गर्दन में जबड़े में दर्द होना, पीठ में दर्द होना, सांस फूलना, अचानक पसीना आना, चक्कर या बेहोशी जैसा लगना या बड़ी वीकनेस लगना. ये हार्ट अटैक के लक्षण होते हैं लेकिन हर व्यक्ति में ये अलग-अलग होते हैं और कई बार लोग इन्हें समान थकान या गैर समझ कर नरअंदाज़ कर देते हैं. कुछ मामलों में हार्ट अटैक बिल्कुल अचानक भी हो सकता है बिना किसी स्पष्ट संकेत के.'
पीरियड्स या हार्मोन बदलने से हार्ट हेल्थ पर क्या असर पड़ता है?
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में कार्डियोथोरेसिक एवं कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश गोयल ने Aajtak.in को बताया, पीरियड्स या हार्मोन चैजेंज विशेष रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में उतार-चढ़ाव महिलाओं की हार्ट हेल्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. प्रजनन काल के दौरान एस्ट्रोजन ब्लड वेसिल्स को लचीला रखकर कुछ सुरक्षा प्रदान करता है. हालांकि, पीरियड्स के दौरान कुछ महिलाओं को ब्लडप्रेशर और हृदय गति में अस्थायी परिवर्तन का अनुभव हो सकता है. मेनोपॉज के बाद जब एस्ट्रोजन लेवल गिरता है तो हाई ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रॉल इंबैलेंस और हार्ट डिजीज का खतरा काफी बढ़ जाता है.'
क्या महिलाओं में दिल के दौरे के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं?
डॉ. मुकेश ने कहा, 'हां. जहां पुरुषों को अक्सर सीने में तेज दर्द होता है वहीं महिलाओं को अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ, मतली, चक्कर आना, जबड़े में दर्द या पीठ के ऊपरी हिस्से में बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इन लक्षणों को अक्सर एसिडिटी, तनाव या कमजोरी समझ लिया जाता है, यही वजह है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में देर से अस्पताल पहुंचती हैं.'
बेहतर हार्ट हेल्थ के लिए महिलाएं क्या कर सकती हैं?
बेंगलुरु के स्पर्श हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी के मेडिकल डायरेक्टर एंड लीड कंसलटेंट डॉ. रंजन शेट्टी ने महिलाओं की हार्ट हेल्थ के बारे में बताते हुए कहा, 'महिलाओं में हार्ट की बीमारियां अक्सर छिपकर सामने आती हैं क्योंकि इनके लक्षण पुरुषों से अलग और हल्के दिखाई देते हैं. कई बार सीने में तेज दर्द की बजाय थकान, सांस फूलना, जी मिचलाना, पीठ या जबड़े में दर्द जैसे संकेत मिलते हैं जिन्हें महिलाएं अक्सर नजरअंदाज कर देती हैं.'
'हार्मोनल बदलाव, खासकर मेनोपॉज के बाद, महिलाओं के दिल पर ज्यादा असर डालते हैं क्योंकि इस समय शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन कम हो जाता है जो हार्ट को सुरक्षा देता है. इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या भी आगे चलकर हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ा सकती है.'
'महिलाओं में लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें जैसे कम फिजिकल एक्टिविटी, मोटापा, स्ट्रेस, धूम्रपान और गलत खानपान भी हार्ट डिजीज का बड़ा कारण बनते हैं. हार्ट को सुरक्षित रखने के लिए महिलाओं को रोज हल्की-फुल्की एक्सरसाइज, योग या वॉक करें, तला-भुना और ज्यादा मीठा खाने से बचें और हरी सब्जियां, फल, दालें और ओमेगा-3 युक्त फूड (जैसे अखरोट, अलसी, मछली) शामिल करें. स्ट्रेस को कंट्रोल करें, नींद पूरी लें और स्मोकिंग-ड्रिंकिंग से दूरी बनाएं. 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं को ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट की नियमित जांच करानी चाहिए ताकि शुरुआती स्तर पर ही समस्या पकड़ी जा सके. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महिलाएं अपने शरीर के छोटे-छोटे संकेतों को नजरअंदाज न करें और समय पर डॉक्टर से सलाह लें.
उम्र के मुताबिक हार्ट प्रॉब्लम्स के कारण क्या हैं?
जयपुर के नारायणा हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. अंशु काबरा ने Aajtak.in को बताया, 'आजकल दिल की बीमारियों का खतरा हर उम्र में बढ़ रहा है लेकिन अलग-अलग जनरेशन के हिसाब से इसके कारण और लक्षण बदल जाते हैं. जनरेशन एक्स (40–55 साल के बीच) में हार्ट प्रॉब्लम का सबसे बड़ा कारण हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और लंबे समय तक तनाव है क्योंकि इस उम्र में काम और परिवार की जिम्मेदारियां सबसे ज्यादा होती हैं.
मिलेनियल्स (25–40 साल) में समस्या अलग है. वे अधिकतर बैठे-बैठे काम करते हैं, जंक फूड और फास्ट फूड ज्यादा खाते हैं, नींद पूरी नहीं लेते और गैजेट्स में ज्यादा समय बिताते हैं जिसकी वजह से मोटापा और मेटाबॉलिक सिंड्रोम तेजी से बढ़ रहा है और यही हार्ट को कमजोर करता है.'
'जेन जेड (25 साल से कम) में भी खतरे नजर आने लगे हैं क्योंकि वे बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम, देर रात तक जागना, शुगर ड्रिंक्स और वेस्टर्न डाइट की वजह से अनहेल्दी लाइफस्टाइल अपना रहे हैं जिससे मोटापा और शुरुआती ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं.'
मृदुल राजपूत