जब भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर सिडनी में एक शानदार कैच लेते हुए अजीब तरह से जमीन पर गिरे और दर्द से कराहने लगे तो क्रिकेट फैन्स ने सोचा कि शायद उनकी पसलियों में चोट लग गई है. लेकिन कुछ ही देर में पता चला कि यह कहीं ज्यादा गंभीर चोट थी. उन्हें पसलियों के पास स्प्लीन यानी तिल्ली में चोट लगी थी. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने बाद में कंफर्म किया कि उन्हें तिल्ली में चोट लगी है. उनकी हालत पर कड़ी निगरानी की जा रही है.
तिल्ली क्या है और यह क्या करती है?
स्प्लीन को हिंदी में तिल्ली और प्लीहा भी कहते हैं. यह एक मुलायम, मुट्ठी के आकार का अंग है जो पसलियों के बाईं ओर ठीक नीचे स्थित होता है. इसके दो बड़े काम हैं. पहला संक्रमण से लड़ने में मदद करना और दूसरा पुरानी या डैमेज लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) को हटाकर खून को साफ करना. ब्लड वेसल्स से घिरे होने के कारण यह शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक है.
तिल्ली खून के लिए एक फिल्टर का काम करती है जो खून से बैक्टीरिया, वायरस और डैमेज ब्लड वेसल्स को हटाती हैं. जब खून तिल्ली से होकर बहता है तो श्वेत रक्त कोशिकाएं (white blood cells) किसी भी बाहरी आक्रमणकारी पर हमला करके उसे नष्ट कर देती हैं. लाल रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल लगभग 120 दिनों का होता है जिसके बाद तिल्ली उन्हें तोड़ देती है.
किसी जोरदार चोट जैसे कि बाईं ओर जोर से गिरना या पसलियों में चोट लगने जैसी कंडीशन में तिल्ली फट सकती है और शरीर के अंदर खून बह सकता है. डॉक्टर इसे splenic laceration कहते हैं.
इस तरह की चोट कितनी गंभीर होती है?
मेडिकल प्रोफेशन्स से जुड़ी एक वेबसाइट 'UpToDate' में छपे मेडिकल पेपर में बताया गया है कि प्लीहा की चोट बहुत हल्की से लेकर जानलेवा तक हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि स्प्लीन अगर फटी है तो घाव कितना गहरा है और इससे कितना खून बह रहा है. डॉक्टर यही पता लगाने के लिए कि नुकसान कितना गंभीर है, सीटी स्कैन जैसी जांच का इस्तेमाल करते हैं
मामूली चोट में एक छोटा सा घाव या खरोंच हो तो वो अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन गंभीर चोट लगने या अंदर ब्लीडिंग होने से तुरंत सर्जरी करानी पड़ती है.
अगर चोट अपने आप ठीक हो जाती है यानी घाव इतना गहरा नहीं है तो यह अच्छी बात है. इसका मतलब है कि मरीज बिना ऑपरेशन के स्वाभाविक रूप से ठीक हो जाएगा.
तिल्ली की चोट का डॉक्टर कैसे इलाज करते हैं
हर तिल्ली की चोट के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं होती. वास्तव में अधिकांश का इलाज इसके बिना भी किया जा सकता है. जरूरी बात यह है कि क्या व्यक्ति स्टेबल है जिसका मतलब है कि उसका ब्लड वेसल्स और ब्लडप्रेशर सामान्य है और शरीर से बहुत अधिक खून तो नहीं निकल रहा है.
अगर मरीज स्टेबल है तो डॉक्टर उसे अस्पताल में इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में शुरुआत में कुछ दिनों तक कड़ी निगरानी में रखते हैं.
अगर स्कैन से पता चलता है कि खून बहना बंद हो गया है और पेट के अंदर खून धीरे-धीरे दोबारा अवशोषित हो रहा है तो शरीर की खुद की नेचुरल हीलिंग प्रॉसेस शुरू हो जाती है. लेकिन अगर खून बहने लगे या पहले से बढ़ जाए तो डॉक्टरों को एम्बोलिजेशन (ब्लड फ्लो करने वाली ब्लड वेसल्स को ब्लॉक करना) नामक प्रक्रिया के माध्यम से इसे रोकना पड़ सकता है. रेयर केसेस में तिल्ली को हटाने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है.
शुरुआती कुछ दिनों के बाद क्या होता है
शुरुआती 24-48 घंटे सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. अगर सब कुछ स्टेबल रहता है तो डॉक्टर धीरे-धीरे मरीज को हिलने-डुलने, खाने-पीने और सामान्य रूप से ठीक होने की अनुमति देते हैं. यह देखने के लिए कि तिल्ली ठीक हो रही है और कोई नया ब्लड फ्लो नहीं हो रहा है इसलिए रोजाना स्कैन किए जाते हैं.
खून बहना बंद होने के बाद मरीज को लगभग एक हफ्ते तक अस्पताल में सावधानीपूर्वक निगरानी के लिए रखा जाता है. उसके बाद वो घर जा सकते हैं लेकिन कुछ महीनों तक उन्हें बहुत धीरे-धीरे चलना होगा.
ठीक होने में कितना समय लगेगा?
तिल्ली को पूरी तरह से ठीक होने में कम से कम 6-12 हफ्ते लगते हैं. इस दौरान डॉक्टर किसी भी तरह के शारीरिक संपर्क, चोट या भारी गतिविधि से बचने की सख्त सलाह देते हैं क्योंकि उसी जगह पर एक और चोट लगने से चोट फिर से खुल सकती है और फिर से ब्लीडिंग शुरू हो सकता है.
इसका मतलब है कि श्रेयस लगभग तीन महीने तक क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे. जब डॉक्टरों को यकीन हो जाएगा कि तिल्ली ठीक हो गई है और स्कैन में आगे कोई ब्लीडिंग नहीं दिख रहा है तो वह धीरे-धीरे पूरी तरह से स्वस्थ होने से पहले हल्का-फुल्का फिजिकल ट्रेनिंग शुरू करेंगे.
तुरंत इलाज क्यों जरूरी है
अगर फटी हुई तिल्ली से ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो यह बहुत जल्दी खतरनाक रूप ले सकती है. सबसे गंभीर मामलों में मरीज कुछ ही मिनटों में बहुत सारा खून खो सकता है. इसलिए तुरंत इलाज जरूरी है. श्रेयस भाग्यशाली थे कि उन्हें तुरंत मेडिकल हेल्प मिली और स्कैन के लिए ले जाया गया. इस तरह हालत बिगड़ने से पहले ही इलाज शुरू हो गया.
क्या श्रेयस भविष्य में क्रिकेट खेल पाएंगे
डॉक्टरों का कहना है कि तिल्ली की चोट वाले ज्यादातर लोग बिना किसी लंबी चलने वाली समस्या के पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, खासकर अगर चोट हल्की हो और जल्दी पकड़ में आ जाए. श्रेयस जैसे एथलेटिक और फिट व्यक्ति के मामलों में डॉक्टर काफी पॉजिटिव रहते हैं.
लेकिन उन्हें अभी सिडनी में डॉक्टरों की निगरानी में रहना होगा जहां उनका रोजाना स्कैन और जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ब्लीडिंग पूरी तरह से बंद हो गई है. उनकी हालत स्थिर होने पर उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी लेकिन उन्हें अभी भी आराम और निगरानी की जरूरत होगी.
अगर सब कुछ ठीक रहा तो श्रेयस अय्यर जल्द ही वापसी कर सकते हैं और अगली बार बाईं ओर से जमीन पर गिरने को लेकर थोड़ा ज्यादा सतर्क रह सकते हैं.
aajtak.in