Heart Failure Early Symptoms: हार्ट फेल्योर आज दुनिया भर में तेजी से बढ़ने वाली एक गंभीर दिल की समस्या है. वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में 6.4 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं. उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा भी बढ़ता जाता है और समस्या यह है कि हार्ट फेल्योर के कई शुरुआती लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं.
मणिपाल हॉस्पिटल, व्हाइटफील्ड (बेंगलुरु) के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप हरनाहल्ली के मुताबिक,अगर समय रहते इन संकेतों को पहचान लिया जाए तो हार्ट फेल्योर को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. इसके के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि इसके शुरुआती लक्षण क्या होते हैं, ताकि टाइम पर उनकी पहचान की जा सके.
डॉ. प्रदीप बताते हैं कि हार्ट फेल्योर को मुख्य तौर से दो हिस्सों में बांटा जाता है. इन दोनों में इलाज की रणनीति भले अलग हो, लेकिन दोनों ही स्थितियों में लक्षण काफी हद तक एक जैसे होते हैं.
पहले जो काम आसानी से हो जाते थे, अब उनमें थकान महसूस होने लगती है. अक्सर लोग इसे उम्र बढ़ने का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि यह दिल के कमजोर होने का शुरुआती संकेत हो सकता है. खासतौर पर बुजुर्गों में, जिनको घुटनों या कमर में दर्द रहता है, वे पहले से ही कम चलने-फिरने लगते हैं. ऐसे में उनकी असली स्टैमिना कभी परखी ही नहीं जाती और हार्ट फेल्योर लंबे समय तक छिपा रह सकता है.
डॉ. प्रदीप के अनुसार, जैसे-जैसे एक्टिविटी कम होती जाती हैं, वैसे-वैसे वजन बढ़ने लगता है. यह बढ़ा हुआ वजन अक्सर चर्बी नहीं, बल्कि शरीर में जमा अतिरिक्त पानी भी हो सकता है.
शुरुआत में पैरों की सूजन शाम को होती है और सुबह तक कम हो जाती है, लेकिन जैसे-जैसे हार्ट फेल्योर बढ़ता है, सूजन पूरे दिन बनी रहती है. इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए.
इसके अलावा, जब फेफड़ों में पानी जमा होने लगता है तो सांस फूलना, खांसी आना और लेटने में दिक्कत होने लगती है. कई मरीजों को रात में सोते समय ज्यादा तकिए लगाने पड़ते हैं या बैठकर सोना आरामदायक लगता है. कुछ मामलों में नींद से अचानक सांस घुटने और तेज खांसी के साथ जागना भी होता है, जिसे मेडिकल भाषा में पैरॉक्सिस्मल नॉक्टर्नल डिस्प्निया कहा जाता है.
डॉ. प्रदीप बताते हैं कि हार्ट फेल्योर के कुछ और संकेत भी हैं, जिन पर लोग ध्यान नहीं देते है.
नियमित जांच में भी इसके संकेत मिल सकते हैं, जैसे छाती के एक्स-रे में दिल का बढ़ा हुआ दिखना या ब्लड टेस्ट में NT-proBNP और क्रिएटिनिन लेवल का बढ़ा हुआ.
किन लोगों को ज्यादा खतरा?
बीमारी के एडवांस स्टेज में मरीज को आराम करते समय भी सांस फूल सकती है. नहाना, कपड़े बदलना या कमरे में थोड़ी दूर चलना भी थकाने वाला हो जाता है. हार्ट फेल्योर का खतरा खासतौर पर इन लोगों में ज्यादा होता है.
डॉ. प्रदीप चेतावनी देते हैं कि इन लक्षणों को केवल उम्र बढ़ने का असर मानकर नजरअंदाज न करें. हार्ट फेल्योर समय पर पहचान लिया जाए तो यह पूरी तरह मैनेज किया जा सकता है. सही इलाज और लाइफस्टाइल में बदलाव से मरीज की जिंदगी की क्वालिटी और उम्र दोनों बेहतर हो सकती हैं.
अगर आपको या आपके किसी अपने को ये संकेत दिखाई दें, तो देर किए बिना डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
आजतक हेल्थ डेस्क