दिल्ली की जहरीली हवा के बीच एयर प्यूरीफायर अब सिर्फ एक लग्जरी लाइफस्टाइल का नहीं बल्कि जरूरत बन चुके हैं. हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने जीएसटी काउंसिल को निर्देश दिया है कि वह एयर प्यूरीफायर पर लगने वाले टैक्स को घटाने या खत्म करने पर विचार करे. हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उस याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान आई जिसमें एयर प्यूरीफायर को 'मेडिकल डिवाइस' घोषित करने की मांग की गई थी. याचिका में दलील दी गई कि गंभीर वायु प्रदूषण के दौरान ये डिवाइस स्वास्थ्य की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं. फिलहाल एयर प्यूरीफायर पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है जबकि मेडिकल डिवाइस घोषित होने पर यह टैक्स घटकर 5 फीसदी रह जाएगा.
एयर प्यूरीफायर क्या मेडिकल डिवाइस हैं?
एक्सपर्ट्स की मानें तो वे लोग अभी इस स्पष्टीकरण को लेकर संशय में हैं. उनका मानना है कि एयर प्यूरीफायर न तो किसी बीमारी का पता लगाते हैं और न ही उसका इलाज या रोकथाम करते हैं. उनका तर्क है कि ये डिवाइस किसी बीमारी का इलाज या निदान (Diagnosis) भी नहीं करते तो क्या इसे मेडिकल डिवाइस घोषित करना सही होगा?
एयर प्यूरीफायर कैसे काम करते हैं?
दिल्ली-एनसीआर समेत बड़े शहरों में बिगड़ती हवा के चलते इनकी मांग तेजी से बढ़ी है. मार्केट में अलग-अलग तरह के एयर प्यूरीफायर मौजूद हैं जो पोर्टेबल भी होते हैं. ये डिवाइस कमरे की प्रदूषित हवा को उसमें लगे पंखे के द्वारा अंदर खींचते हैं और उन्हें HEPA (हाई-एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर) और एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर से गुजारते हैं. इस फिल्टरिंग तकनीक के कारण धूल, परागकण (Pollen), धुआं और हानिकारक गैस सोख ली जाती हैं और साफ हवा वापस कमरे में छोड़ दी जाती है.
भारत में है करोड़ों का मार्केट
भारत में एयर प्यूरीफायर का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2025 में एयर प्यूरीफायर का मार्केट करीब लगभग 566.5 करोड़ रुपये (6.3 करोड़ डॉलर) का है जो 2032 तक करबी 1076 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. साल 2024 में देशभर में करीब 2.5 लाख यूनिट्स बिकी थीं.
भारतीय मार्केट में फिलिप्स, डायसन, शाओमी, हनीवेल और डायकिन जैसे ब्रांड्स की पकड़ है जिनकी कीमत 3 हजार रुपये से शुरू होती है और प्रीमियम मॉडल्स की कीमत 70 हजार रुपये तक जाती है.
सेहत पर कैसा असर डालते हैं एयर प्यूरिफायर?
साइंटिफिक एविडेंस के मुताबिक, HEPA फिल्टर वाले प्यूरीफायर घर के अंदर PM2.5 और उसके जैसे अन्य खतरनाक प्रदूषकों की मात्रा को काफी हद तक कम कर सकते हैं. सामने आया था कि ये PM2.5 लेवल को 50 से 80 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं. 14 ट्रायल के एक मेटा-एनालिसिस में पाया गया कि इनसे सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में 2.3 mmHg की मामूली गिरावट आती है.
अशोक यूनिवर्सिटी के डीन और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग अग्रवाल का कहना है, अधिकांश रिसर्च चीन में हुई हैं, यह बताती हैं कि एयर प्यूरिफायर डिवाइस अस्थमा, COPD और दिल के मरीजों जैसे संवेदनशील लोगों के लिए शॉर्ट टर्म में फायदेमंद हो सकते हैं.
अभी और ठोस सबूत की जरूरत
अशोक यूनिवर्सिटी की सीनियर रिसर्चर डॉ. पूर्णिमा प्रभाकरन का कहना है, 'अत्याधिक AQI वाले वातावरण में इसके ओवरऑल स्वास्थ लाभ के लिए अभी सबूत सीमित हैं. वर्तमान में ICMR और अमेरिकी नेशनल हेल्थ सर्विस के सहयोग से भारत के 3 शहरों में इस पर ट्रायल चल रहा है कि क्या ये हार्ट फेलियर के मरीजों के लिए मददगार हैं?'
पारस हेल्थ के पल्मोनोलॉजी हेड डॉ. अरुणेश कुमार का कहना है, 'भारत में लोग घर, ऑफिस और स्कूल के बीच आना-जाना अधिक करते हैं जिससे एयर प्यूरीफायर का असर सीमित हो जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि एयर प्यूरीफायर एक सपोर्टर तो हो सकता है लेकिन असली समाधान प्रदूषण के सोर्सों को खत्म करना और बेहतर सिटी प्लानिंग में ही छिपा है.
आजतक हेल्थ डेस्क