Breast Cancer Awareness Month: वो 5 सावधानियां, जो ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए जरूरी हैं

ब्रेस्ट यानी स्तन शरीर का खास हिस्सा होते हैं. स्त्र‍ियों में स्तन का कार्य अपने टिश्यू से दूध बनाना होता है. ये टिश्यू सूक्ष्म वाहिनियों द्वारा निप्पल से जुड़े होते हैं. जब स्तन वाहनियों में छोटे सख्त कण जमने लगते हैं या स्तन के टिश्यू में छोटी गांठ बनती है, ये कैंसर के रूप में डेवलप होने लगता है. 

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty) प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 07 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:16 PM IST

बदलते वक्त ने जहां स्त्री को हर क्षेत्र में मौके दिए हैं, वहीं लाइफस्टाइल के चेंज ने महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे भी बढ़ाए हैं. अब 20 से 30 साल की उम्र की महिलाओं में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़े हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार कैंसर के लेटेस्ट ट्रेंड और डेटा बताते हैं कि साल 2025 में कैंसर के मामले साल 2020 के 13.9 लाख के आंकड़े से बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंच जाएंगे. दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट्स में क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की हेड डॉ प्रज्ञा शुक्ला से जानिए ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी सावधानियों के बारे में. 

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01 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है. ये पूरा माह महिलाओं में होने वाले इस विशेष कैंसर के बारे में जागरूकता के लिए समर्पित है. ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों से लेकर, ये कैसे होता है, इसकी जांचों और ट्रीटमेंट को लेकर सभी महिलाओं को जानना बेहद जरूरी है. कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि लक्षणों की जानकारी न होने के कारण कई महिलाओं में स्थित‍ि खराब होने पर ही वो डॉक्टर तक पहुंच पाती हैं. पहले ब्रेस्ट कैंसर को एक खास उम्र से जोड़कर देखा जाता था जब 40 साल की उम्र के बाद ही ब्रेस्ट कैंसर होने की बात कही जाती थी, लेकिन अब 20 से 30 साल की उम्र में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं. 

ब्रेस्ट कैंसर क्या है  

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ब्रेस्ट यानी स्तन शरीर का खास हिस्सा होते हैं. स्त्र‍ियों में स्तन का कार्य अपने टिश्यू से दूध बनाना होता है. ये टिश्यू सूक्ष्म वाहिनियों द्वारा निप्पल से जुड़े होते हैं. जब स्तन की कोश‍िकाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं, उस समय वाहनियों में छोटे सख्त कण जमने लगते हैं या स्तन के टिश्यू में छोटी गांठ बनती है, ये कैंसर के रूप में डेवलप होने लगता है. 

स्तन कैंसर के तीन खास लक्षण 

1. ब्रेस्ट में छोटी गांठ या लंप दिखाई देना ब्रेस्ट कैंसर के सामान्य लक्षणों में से एक है. डॉ प्रज्ञा शुक्ला कहती हैं कि अगर ब्रेस्ट में किसी प्रकार की गांठ महसूस हो तो तुरंत मेडिकल जांच करवानी चाहिए. इसके लिए स्त्र‍ियों को समय समय पर अपने स्तन की जांच करते रहना चाहिए. 

2. अगर आपको ब्रेस्ट की त्वचा में कोई भी परिवर्तन त्वचा में जलन, लालिमा आना या त्वचा का कुछ हार्ड हो जाना, त्वचा की बनावट में बदलाव या त्वचा में गीलापन होना आदि कुछ भी हो सकता है. सामान्य से हटकर कोई भी लक्षण आने पर आप सचेत हों. 

3. यदि आपको ब्रेस्ट में किसी प्रकार की सूजन दिखाई देती है तो उसके प्रति लापरवाही बिल्कुल न बरतें. ये सूजन ब्रेस्ट के एक हिस्से या पूरे ब्रेस्ट में हो तो तुरंत सचेत हो जाएं. यदि आप बच्चे को दूध नहीं पिलाती हैं, फिर भी निपल में किसी तरह का सिक्रेशन हो तो भी डॉक्टर से जरूर सलाह लें. 

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ये 5 सावधानियां बहुत जरूरी 

1. ब्रेस्ट फीडिंग जरूर कराएं 

दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट्स में क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की हेड डॉ प्रज्ञा शुक्ला कहती हैं कि नवजात को ब्रेस्ट फीड‍िंग कराना आसान काम नहीं होता है. कई बार सी-सेक्शन से बच्चा होने के बाद मांएं ब्रेस्ट फीडिंग से बचती हैं. इसके अलावा वर्किंग मांएं भी ऐसा सोचती हैं कि यदि बच्चा ब्रेस्ट फीडिंग के बजाय टॉप फीड पर रहे तो ये बच्चे के लिए अच्छा होगा. बच्चे को दो दो घंटे में फीड कराना कठ‍िन कार्य होता है. कई महिलाओं के बीच ये मिथ भी है कि बच्चे को दूध पिलाने से फिगर खराब होता है. लेकिन ये सब मिथ हैं, आप किन्हीं भी हालात में हों यदि आपको ब्रेस्ट मिल्क पर्याप्त मात्रा में बन रहा है तो बच्चे को फीड कराने में कोई कोताही न करें. बच्चे को फीड कराने से न सिर्फ आपका वजन कंट्रोल रहता है, बल्क‍ि साथ ही आपको ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है. 

2. कांट्रॉसेप्ट‍िव गोलियां भी नहीं हैं सेफ 

डॉ प्रज्ञा कहती हैं कि कई अध्ययनों में पाया गया है कि अध‍िक समय तक गर्भ निरोधक गोलियां खाना स्तन स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है. ये गोलियां हार्मोन के आधार पर बनती हैं, इन्हें लंबे समय तक खाते रहने से ब्रेस्ट कैंसर के खतरे बढ़ते हैं. इसके लिए आप गर्भ निरोधक के दूसरे साधन अपना सकती हैं. गर्भ निरोधक गोलियां एक तय समय तक ही लेनी चाहिए, वो भी डॉक्टर की सलाह पर ही ये गोलियां लेनी चाहिए. 

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3. मोटापे का भी है रोल 

डॉ प्रज्ञा का कहना है कि वैसे तो मोटापे का रोल स्त्री पुरुष दोनों में कैंसर को बढ़ावा देता है, लेकिन महिलाओं में मोटापा ब्रेस्ट कैंसर का एक जरूरी कारक बन सकता है. इसके पीछे वजह ये है कि मोटापे के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे सिर्फ ब्रेस्ट ही नहीं कोई भी कैंसर पनप सकता है. इसलिए मोटापे से बचाव बहुत जरूरी है, शरीर को फिट रखना बहुत जरूरी है. 

4. स्मोकिंग-एल्कोहल का रोल 

एल्कोहल किसी भी प्रकार में और किसी भी मात्रा में ब्रेस्ट कैंसर को न्योता देता है, इसी तरह निकोट‍िन भी किसी भी प्रकार किसी भी मात्रा में खतरनाक है. निकोटिन का सेवन कैंसर कारक तत्वों को शरीर में आसानी से पहुंचाने में मदद करता है. कैंसर की खास वजहों में स्मोकिंग और शराब पीना एक खास वजह है. इसलिए कैंसर से बचाव के लिए किसी भी तरह के नशे से दूर रहना चाहिए. 

5. खराब लाइफ स्टाइल भी बनती है वजह 

लेट नाइट पार्टी, सुबह देर से उठना, भूख लगने पर किसी भी समय कुछ भी खा लेना इस तरह की खराब लाइफस्टाइल इंसान के शरीर को बीमार करता है. इससे शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम भी कमजोर पड़ने लगता है. आपको इसके लिए हेल्दी लाइफस्टाइल को चुनना चाहिए. वक्त पर सोने जगने के अलावा व्यायाम को अपनी जिंदगी का खास हिस्सा बनाएं. खाने में हरी सब्जि‍यों-फल के अलावा विटामिन मिनरल युक्त फूड का चयन करें. शरीर का इम्यून सिस्टम जितना मजबूत होगा, रोग पनपने का खतरा उतना ही कम होगा. कैंसर के बचाव में भी ये जरूरी है. 

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ऐसे होता है ट्रीटमेंट 

कई बार ब्रेस्ट कैंसर की वजह जेनेट‍िक भी होती है. यदि आपको किन्हीं भी वजहों से कैंसर के लक्षण नजर आते हैं तो आपको इसके लिए मेमोग्राम, एक्सरे और बायप्सी जांच करानी होगी. डॉ प्रज्ञा के अनुसार कैंसर के इलाज में आजकल एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी की भी आजकल एडवांस मशीनें आ गई हैं जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. यदि किसी मरीज में साइड इफेक्ट होता भी है तो ये जल्दी ही ठीक भी हो जाता है. जिन मरीजों के कीमोथेरेपी में बाल झड़ जाते हैं, वो भी कुछ समय के बाद वापस आने लगते हैं. 

आंकड़े हैं चौंकाने वाले 

इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर)-नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ इंफोर्मेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) ने नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 रिलीज़ की थी. इस रिपोर्ट में ये आकलन किया गया था कि साल 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मामले सामने आएंगे और जो चलन दिख रहा है उसके मुताबिक ये मामले साल 2025 में बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंच जाएंगे. ये आकलन जनसंख्या के आधार पर बनी 28 कैंसर रजिस्ट्रियों और अस्पतालों की 58 कैंसर रजिस्ट्रियों के आधार पर निकाला गया है. रजिस्ट्रियों के मुताबिक महिलाओं में स्तन या ब्रेस्ट कैंसर के 14.8 फ़ीसद यानी 3.7 लाख मामलों का आकलन किया गया है. 

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