हार्ट अटैक के मामले जैसे-जैसे बढ़ रहे हैं, लोगों में उतना ही डर बैठा जा रहा है. बैड कोलेस्ट्रॉल को दिल की बीमारियों के लिए सबसे ज्यादा खतरा माना जाता है. यही वजह है कि अक्सर लोगों की लैब रिपोर्ट में कोलेस्ट्रॉल थोड़ा भी बढ़ा दिख जाए तो तुरंत डर लगने लगता है. कई बार तो डॉक्टर सीधे दवाइयों पर डाल देते हैं और सालों से कोलेस्ट्रॉल को दिल का सबसे बड़ा विलेन बताया गया है, लेकिन क्या यह सच में उतना बुरा है जितना हम मानते हैं?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब शरीर खुद 85% कोलेस्ट्रॉल बनाता है तो क्या यह सच में दुश्मन हो सकता है? दिल्ली के आशलॉक हॉस्पिटल के फाउंडर-डायरेक्टर और 40+ साल के अनुभव वाले कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.आलोक चोपड़ा इस बड़े मिथक के बारे में खुलकर बात की. एक इंस्टाग्राम वीडियो में उन्होंने अपनी बेटी ईशा चोपड़ा से बातचीत में बताया कि कोलेस्ट्रॉल जरूरी है, फायदेमंद है और आपके लैब नंबर हमेशा स्थिर नहीं होते.
डॉ. चोपड़ा ने मुताबिक, 'सबसे पहले तो कोलेस्ट्रॉल गाली बन गया है, लोग इसे बुरा समझते हैं और 200 के आसपास जाते ही दवा शुरू कर देते हैं.कोलेस्ट्रॉल कोई ‘विलेन’ नहीं बल्कि शरीर के कई जरूरी कामों के लिए बेहद अहम है. 85% कोलेस्ट्रॉल शरीर खुद बनाता है.अगर शरीर कुछ बना रहा है, तो वह कैसे खराब हो सकता है?'
डॉ. चोपड़ा के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल हमारी इम्युनिटी से गहराई से जुड़ा है और अपना काम बहुत अच्छे से करता है. यह शरीर को बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है और इसके अलावा भी वो कई काम करता है. जैसे-
डॉ. चोपड़ा बताते हैं कि कोलेस्ट्रॉल की रिपोर्ट किसी भी दिन, मौसम या समय की वजह से बदल सकती है. इसलिए एक रिपोर्ट देखकर घबराने की जरूरत नहीं. क्योंकि आपका कोलेस्ट्रॉल स्थिर नहीं बल्कि डायनेमिक है.
डॉ. चोपड़ा ने वीडियो में आगे मजाकिया अंदाज में कहा, ‘मेरे कोलेस्ट्रॉल की रिपोर्ट सुनकर हैरान मत होना, जानते हैं मेरा कोलेस्ट्रॉल कितना है? 325. और मैं अब भी बिल्कुल ठीक हूं. डॉक्टर ने फिर कहा कि इसके जरिए उनका मकसद लोगों को यह समझाना है कि केवल एक नंबर देखकर तनाव लेने या दवाइयों पर निर्भर होने की जरूरत नहीं.’
आजतक हेल्थ डेस्क