राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के नाम से एक पोस्टकार्ड सोशल मीडिया पर खूब वायरल है. इसमें लिखे बयान को भागवत का असली बयान बताकर कई लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं.
दरअसल भगवान परशुराम पर मोहन भागवत की टिप्पणी बताकर पोस्टकार्ड में लिखा है - “परशुराम जी बढ़ई समाज के लक्कड़ हारे थे. वो हमेशा अपने पास फरसा कुल्हाड़ी रखते थे. वो कोई ब्राह्मण पुत्र नहीं थे.” अब सोशल मीडिया पर कई लोगों का कहना है कि भागवत ने ब्राह्मण समाज का अपमान किया है.
मिसाल के तौर पर इसे इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा, “जय जय परशुराम जी की ब्राह्मण एकता जिन्दाबाद. जब किसी का अन्त समय निकट आ जाता है तो उसके अन्दर विप्र द्रोहिता उत्पन्न हो जाती है भगवान सद्बुद्धी प्रदान करें.” वहीं एक अन्य ने लिखा “मोहन भागवत माफी मांगो.”
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि मोहन भागवत के नाम से वायरल ये पोस्टकार्ड पूरी तरह फर्जी है.
कैसे पता की सच्चाई?
अगर मोहन भागवत ने वाकई ऐसी कोई टिप्पणी की होती तो ये एक बड़ी खबर होती और ज्यादातर न्यूज आउटलेट्स ने इसके बारे में खबरें छापी होतीं. लेकिन हमें ऐसी कोई न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें उनके इस बयान का जिक्र हो.
प्रभात खबर के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर हमें ऐसा कोई भी पोस्टकार्ड नहीं मिला. इसके अलावा वायरल पोस्टकार्ड का फॉन्ट, ‘प्रभात खबर’ के असली पोस्टकार्ड के फॉन्ट से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है. इसके अलावा इसमें स्पेलिंग की भी गलतियां हैं और वाक्यों के अंत में पूर्णविराम या अल्पविराम चिन्ह भी नहीं हैं.
‘प्रभात खबर’ के फेसबुक पेज पर हमें वायरल पोस्टकार्ड जैसा दिखने वाला एक पोस्टकार्ड मिला. इसकी थीम, रंग, स्टाइल और मोहन भागवत की तस्वीर का प्लेसमेंट हूबहू वायरल पोस्टकार्ड से मिलता है. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि इसमें छपा बयान वायरल पोस्टकार्ड से एकदम अलग है.
असली पोस्टकार्ड में लिखा है - “यह भारत के लिए जीने का समय है, मरने का नहीं”. प्रभात खबर ने भी उनके नाम से वायरल पोस्टकार्ड पर स्पष्टीकरण देते हुए इसे पूरी तरह से फर्जी बताया.
ज्यादा जानकारी के लिए हमने संघ के पूर्व दिल्ली प्रांत प्रचार प्रमुख और वर्तमान में संघ की सहायक प्रकाशन सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली से बात की. उन्होंने इसे फर्जी बताया और कहा कि मोहन भागवत ने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया है.
फैक्ट चेक ब्यूरो