इस्कॉन के पूर्व सदस्य और हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की 30 नवंबर को हुई गिरफ्तारी के बाद से बांग्लादेश में हिन्दू मंदिरों पर हमला होने के अब तक कम-से-कम तीन मामले सामने आ चुके हैं. आलम ये है कि कोई भी वकील चिन्मय के पक्ष में केस लड़ने के लिए आगे नहीं आ रहा है.
इस बीच, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें लोगों की भारी भीड़ डंडे-लाठी लेकर किसी इमारत में तोड़फोड़ कर रही है. यहां मौजूद कई लोगों ने सिर पर सफेद टोपी पहनी है. वीडियो शेयर करने वालों की मानें तो इसमें बांग्लादेशी मुसलमान एक मंदिर को तहस-नहस कर रहे हैं. ऐसे एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो इसी साल 29 अगस्त का है, जब बांग्लादेश के सिराजगंज में लोगों ने मुस्लिम संत अली पगला की दरगाह में तोड़फोड़ की थी.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये 30 अगस्त के एक फेसबुक पोस्ट में मिला. यहां बताया गया था कि ये घटना हजरत बाबा अली पगला की दरगाह पर हुई थी.
इसके बाद हमें बांग्लादेशी न्यूज चैनल ‘मेट्रो टीवी’ के यूट्यूब चैनल पर वायरल वीडियो का लंबा वर्जन मिला. 29 अगस्त के इस वीडियो में बताया गया है कि ये घटना बांग्लादेश के सिराजगंज की है.
बांग्ला में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ये घटना 29 अगस्त को बांग्लादेश के सिराजगंज जिले में हुई थी. दरअसल, काजीपुर उपजिले के मंसूरनगर इलाके में मौजूद मुस्लिम संत हजरत बाबा अली पगला की दरगाह को ध्वस्त कर दिया गया था. लोगों ने इमाम गुलाम रब्बानी के आदेशों पर इस पूरी घटना को अंजाम दिया था. खबरों के मुताबिक, इस घटना के बाद रब्बानी को उनके पद से हटा दिया गया था.
बीडीन्यूज 24 की रिपोर्ट के मुताबिक अली पगला एक संत थे, जो खुद 10 साल तक एक मस्जिद के इमाम रहे. 19 सितंबर, 2004 को उनकी मौत होने के बाद अनुयायियों ने उनकी दरगाह बनाई थी. लेकिन, 29 अगस्त, 2024 को इमाम गुलाम रब्बानी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर इसे ध्वस्त करा दिया. घटना से नाराज स्थानीय लोग गुलाम रब्बानी के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे, जिसके बाद उन्हें अपने पद से बर्खास्त कर दिया गया था. इस मामले को लेकर पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई थी. साफ है, वायरल वीडियो में लोग बांग्लादेश का एक मंदिर नहीं, बल्कि दरगाह तोड़ रहे थे.
(रिपोर्ट : सुराजुद्दीन मोंडाल)
फैक्ट चेक ब्यूरो