क्या एक बार फिर लौटेगा शीत युद्ध का दौर, तारीफ करते-करते ट्रंप ने रूस पर लिया यू-टर्न?

लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप का व्लादिमीर पुतिन को लेकर धीरज आखिरकार खत्म हो चुका. कुछ रोज पहले पुतिन पर सवाल पर उन्होंने कुछ ऐसा ही रिएक्शन दिया. कोल्ड वॉर के बाद से वे पहले ऐसे अमेरिकी लीडर थे, जो रूस को लेकर नर्म दिखते रहे. तो क्या पुतिन और ट्रंप के बीच वाकई ब्रेकअप हो चुका, या ट्रंप की बातों की तरह ये भी वक्ती है?

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अमेरिका और रूस के लीडर एक-दूसरे से दूर हो रहे हैं. (Photo- Reuters) अमेरिका और रूस के लीडर एक-दूसरे से दूर हो रहे हैं. (Photo- Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:19 PM IST

पहले कार्यकाल में भी डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के लीडर व्लादिमीर पुतिन की खुलकर तारीफ की. दूसरे टर्म की शुरुआत भी ऐसी ही रही, लेकिन अब चीजें बदल रही हैं. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने पुतिन को लेकर अपनी नाराजगी दिखाई. अब भी वे बचते-बचाते टिप्पणी कर रहे हैं लेकिन साफ है कि ट्रंप-पुतिन रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे. क्या इसकी वजह यूक्रेन युद्ध न रोकने की पुतिन की जिद है, या कुछ और है, जो ट्रंप को उकसा रहा है?

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क्या कहा ट्रंप ने, जिससे साफ दिख रही दूरी

एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं पुतिन से खुश नहीं हूं. यूक्रेन युद्ध को लेकर उनका रवैया खराब है. वे हमेशा अच्छा व्यवहार करते रहे लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है. 

ट्रंप जैसे पल-पल अपनी बातें बदलते रहते हैं, उसमें बहुत संभव है कि वे जल्द ही ट्रैक बदल लें, लेकिन फिलहाल तक यही कयास लग रहे हैं कि ये रिश्ता एकतरफा था, जिसे ट्रंप अब खुद खत्म करना चाहते हैं. हालांकि अब भी वे खुलकर पुतिन के खिलाफ नहीं जा रहे, और बीच-बीच में अच्छे शब्दों की छौंक लगा ही जाते हैं. तो क्या ट्रंप समझ चुके हैं कि पुतिन यूक्रेन को लेकर उनकी पीस टॉक नहीं मानेंगे, या किसी और वजह से उनकी नाराजगी है. 

मार्च के आखिर तक ट्रंप की पुतिन को लेकर झुंझलाहट साफ़ दिखने लगी. असल में पुतिन ने ट्रंप के महीनेभर के युद्धविराम के प्रपोजल से इनकार कर दिया था, जबकि यूक्रेन इसपर तुरंत राजी हो चुका था. मई में इस्तांबुल में हुई नाकाम कूटनीतिक बातचीत और यूक्रेन पर बढ़ते हमलों के बीच ट्रंप की नाराजगी बढ़ने लगी. इसके बाद से ही वे सार्वजनिक तौर पर पुतिन के खिलाफ कुछ-कुछ बोलने लगे. 

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 डोनाल्ड ट्रंप अब रूस, खासकर पुतिन को लेकर उतने उदार नहीं लग रहे. (Photo AP)

कैसे लगातार बदल रहा सुर 

- राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद दोनों के बीच बात हुई और ट्रंप ने कहा कि वे चाहते हैं यूक्रेन और रूस की लड़ाई रुक जाए. 

- मई में ये बात ज्यादा आक्रामक ढंग से हुई. ट्रंप ने अबकी बार पुतिन को एब्सॉल्यूटली क्रैजी कह दिया और आरोप लगाता कि उनकी महत्वाकांक्षी रूस को खत्म कर देगी. 

- जुलाई की शुरुआत में ट्रंप ने कहा कि मैं पुतिन से खुश नहीं. इसके साथ ही उन्होंने उन्होंने यूक्रेन को डिफेंसिव हथियार भेजने की मंज़ूरी दे दी.

- हाल में बयान आया कि वे पुतिन की झूठी बातों से नाराज हैं और उन्होंने साफ तौर पर रूस पर पाबंदियां लगाने का इशारा दिया. 

बाकी राष्ट्रपतियों से अलग ट्रंप क्यों पुतिन को सपोर्ट करते रहे 

इसकी वजह वैचारिक भी है. ट्रंप पुतिन को मजबूत नेता मानते रहे, और उनकी पर्सनैलिटी को अपने करीब पाते रहे. जैसे ट्रंप की तरह ही पुतिन भी रूस फर्स्ट जैसी बातें करते हैं. दूसरा कारण है नाटो और उसी तरह के बाकी संगठन. ट्रंप नाटो समेत ज्यादातर ऐसे पश्चिमी गठबंधन के खिलाफ रहे. यहां तक कि वे यूएन के बारे में मानते हैं कि अमेरिका ने ही सबसे ज्यादा रकम लगाई और सबसे ज्यादा नुकसान उठाया. रूस से रिश्ते सुधारकर वे इस बोझ को कम करना चाहते थे. 

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ट्रंप मानते थे कि अमेरिका और रूस मिलकर आतंकवाद जैसे इस्लामिक स्टेट या दूसरी चरमपंथी ताकतों को कमजोर कर सकते हैं. पहले कार्यकाल में उन्होंने इसपर कई बयान भी दिए थे. 

चीन के खिलाफ संतुलन बनाना भी एक वजह हो सकती है. रूस और चीन फिलहाल वैचारिक तौर पर पास हैं और एक-दूसरे से सीधा टकराव नहीं दिख रहा. वहीं यूएस के लिए चीन खतरा बन रहा है. ऐसे में मॉस्को-बीजिंग जोड़ को कमजोर करना भी ट्रंप की सोच रही. साल 2018 में सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में वे यह बात बोल चुके. 

 रूस -यूक्रेन युद्ध रोकने की अमेरिकी कोशिश अब तक सफल नहीं हो सकी. (Photo- Reuters)

क्या ये रणनीति अमेरिका के लिए फायदेमंद रही

नहीं. रूस ने यूक्रेन पर हमला किया. लंबी लड़ाई में यूरोपियन देश के सहयोगी के नाते अमेरिका को कीव को भारी मदद देनी पड़ी. इस साल की शुरुआत में ट्रंप जब वाइट हाउस पहुंचे, उन्हें यकीन था कि वे जंग रुकवा देंगे और शांति दूत का अपना दावा पक्का कर सकेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. छह महीनों तक रिक्वेस्ट और सार्वजनिक बयानों के बाद भी ट्रंप ऐसा कुछ नहीं करना सके.

रूस अब भी लड़ाई कर रहा है. इससे ट्रंप की ग्लोबल डीलमेकर की सार्वजनिक छवि कमजोर पड़ी. इसका और एक पहलू भी है. पुतिन वॉर क्राइम के आरोपों से घिरे हुए हैं. ऐसे में ट्रंप खुद को उनसे संतुलित दूरी पर रखना चाहते हैं. 

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रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी ट्रंप की रूस नीतियों को खुला सपोर्ट नहीं. कई नेता हैं, जो रूस के विरोधी रहे, और ट्रंप से इस मुद्दे पर साफ रुख चाहते हैं. अब जबकि ट्रंप को लेकर उनके अपने ही देश में कई खेमे जैसे एलन मस्क नाराज हैं, ट्रंप कतई नहीं चाहेंगे कि एक विदेशी नेता की तारीफ करना उन्हें और कमजोर बना दे.

रूस क्या कह रहा 

हाल में जब ट्रंप ने पुतिन के लिए खराब भाषा का इस्तेमाल किया, इसके तुरंत बाद ही रूसी लीडरशिप ने भी अपना रुख साफ कर दिया. मॉस्को की तरफ से कहा गया कि अमेरिकी शांति वार्ता पर भरोसा करने में दिक्कतें हैं, क्योंकि ट्रंप की टोन और टैक्टिक्स अचानक बदल जाती हैं.

कुल मिलाकर, ट्रंप और पुतिन की निजी केमिस्ट्री अब रणनीतिक मतभेद में बदलती दिख रही है. हालांकि इसकी संभावना बहुत कम हैं कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई में यूएस सीधी एंट्री करेगा. खासकर जब यूरोप से उसने दूरी बनाई हुई है, और खुद ट्रंप को लेकर भी भीतरखाने कुछ सुलग रहा है. बस, ये होगा कि अमेरिका रूस को भी और भी अलग-थलग कर देगा. 

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