दुनियाभर के शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है. भारत में भी शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिली. सोमवार को बाजार खुलते ही सेंसेक्स और निफ्टी धड़ाम हो गए. जापान में 7.3%, ताइवान में 7.7% और साउथ कोरिया में 6.6% की गिरावट देखी गई.
आखिर दुनियाभर के शेयर मार्केट में इतनी बड़ी गिरावट की वजह क्या है? दरअसल, इसके लिए अमेरिका के नौकरियों के आंकड़ों को जिम्मेदार माना जा रहा है. शुक्रवार को अमेरिका ने नौकरियों पर डेटा जारी किया था. इसमें सामने आया था कि अमेरिका में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है. इससे अमेरिका में मंदी की आशंका पैदा हो गई है.
अमेरिका से आए इस नौकरियों के डेटा ने दुनियाभर में हलचल पैदा कर दी है. सवाल उठने लगा है कि क्या दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आने वाली है?
क्या कहता है US का नौकरियों का डेटा?
बीते शुक्रवार को अमेरिका के ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिस्टिक्स ने नौकरियों पर डेटा जारी किया था. इसमें बताया था कि जुलाई में 1.14 लाख लोगों को ही नौकरियां मिलीं. जबकि, अब तक हर महीने औसतन 2.15 लाख नौकरियां मिलती थीं.
इसमें बताया गया है कि जुलाई लगातार तीसरा महीना रहा, जब बेरोजगारी दर बढ़ी. जुलाई में बेरोजगारी दर 4.3% रही. जबकि, इससे पहले जून में 4.1% और मई में 4% थी. जुलाई में बेरोजगारी दर का आंकड़ा अक्टूबर 2021 के बाद सबसे ज्यादा रहा.
आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों में बेरोजगारी दर 4% और महिलाओं में 3.8% रही. सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर ब्लैक और अफ्रीकी-अमेरिकियों में रही. ब्लैक और अफ्रीकी-अमेरिकियों में बेरोजगारी दर 6.3% रही, जबकि जुलाई 2023 में ये 5.7% थी.
इन आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता
- जुलाई में बेरोजगारी दर 0.2% बढ़कर 4.3% हो गई. इस महीने 3.52 लाख लोग बेरोजगार हो गए. अमेरिका में जुलाई तक कुल 72 लाख लोग बेरोजगार थे.
- बेरोजगारों में तकरीबन 11 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें अस्थाई तौर पर नौकरी से निकाला गया है. यानी, इन्हें बाद में फिर से नौकरी पर रखा जा सकता है. जबकि, 17 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें कंपनियों ने स्थाई तौर पर नौकरी से निकाल दिया है.
- अमेरिका में लंबे वक्त से बेरोजगारों की संख्या भी सालभर में तीन लाख से ज्यादा बढ़ गई है. जुलाई तक अमेरिका में 15 लाख से ज्यादा लोग ऐसे थे, जो लंबे वक्त से बेरोजगार हैं. जबकि, एक साल पहले तक ऐसे बेरोजगारों की संख्या 12 लाख के आसपास थी.
- इतना ही नहीं, एक महीने में लोगों की औसत कमाई में भी मामूली गिरावट आई है. जून में एक व्यक्ति की हफ्तेभर की औसत कमाई 1,200.16 डॉलर थी. जुलाई में ये थोड़ी कम होकर 1,199.39 डॉलर हो गई.
मंदी की आशंका क्यों?
अमेरिकी सरकार ने बेरोजगारी पर जुलाई के जो आंकड़े जारी किए हैं, उससे मंदी की आशंका पैदा हो गई है. अमेरिका में मंदी को लेकर एक नियम चलता है. ये नियम पूर्व अर्थशास्त्री क्लाउडिया सैम ने बनाया था. ये नियम कहता है कि अगर लगातार तीन महीने तक बेरोजगारी दर पिछले साल के निचले स्तर से आधे प्वॉइंट भी बढ़ जाती है तो मान लेना चाहिए कि मंदी आ गई है.
आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में लगातार पांच महीने से बेरोजगारी दर बढ़ रही है. मार्च में बेरोजगारी दर 3.8% थी, जो जुलाई में बढ़कर 4.3% हो गई.
इतना ही नहीं, अमेरिका में जुलाई में लगभग ढाई लाख लोगों को कंपनियों ने छंटनी में नौकरी से निकाल दिया. पिछले साल भी एपल, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने लगभग दो लाख छंटनियां की थीं.
इसे अमेरिका में मंदी आने के संकेत दिख रहे हैं. हालांकि, कुछ जानकारों का मानना है कि बेरोजगारी दर और छंटनियों से मंदी का संकेत नहीं मिलता. एक्सपर्ट्स का मानना है कि बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी छंटनियों के कारण नहीं, बल्कि लेबर मार्केट में अप्रवासियों की संख्या बढ़ने की वजह से हो रही है.
फेडरल रिजर्व बैंक के प्रमुख जिरोम पॉवेल ने भी मंदी की आशंका को खारिज किया है. उनका कहना है कि अभी मंदी के संकेत नजर नहीं आ रहे हैं. जीडब्ल्यू सेंटर फॉर इकोनॉमिक रिसर्च की डायरेक्टर तारा सिन्क्लेयर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि बेरोजगारी दर के आंकड़े मंदी की शुरुआत नहीं बताते हैं.
अमेरिकी रिपोर्ट का भारत पर असर क्यों?
शुक्रवार को बेरोजगारी पर रिपोर्ट आने के बाद अमेरिकी शेयर मार्केट में भी गिरावट देखी गई थी. शुक्रवार को डाउ जोंस 600 प्वॉइंट गिर गया था. अब सोमवार को दुनियाभर में शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है.
भारत में सोमवार को सेंसेक्स में दो हजार और निफ्टी 650 से ज्यादा प्वॉइंट की गिरावट देखी जा रही है. इसके लिए अमेरिका की जॉब पर रिपोर्ट को ही जिम्मेदार माना जा रहा है. वो इसलिए क्योंकि इस रिपोर्ट के कारण अमेरिका में मंदी की आशंका तेज हो गई है. इसका असर शेयर मार्केट में दिख रहा है. दरअसल, जब-जब अमेरिका में अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का संकेत मिलता है, तब-तब निवेशक अपना पैसा निकालना शुरू कर देते हैं, जिस कारण शेयर मार्केट गिर जाता है. अमेरिकी शेयर मार्केट में गिरावट के चलते भारतीय बाजार में भी बिकवाली बढ़ जाती है. लोग अपना पैसा निकालने लगते हैं.
इसके अलावा, अमेरिका में मंदी का सीधा असर भारतीय उद्योगों पर भी पड़ता है. खासकर उन सेक्टर्स में जो अमेरिका पर निर्भर हैं. जैसे ऑटो, एनर्जी और आईटी सेक्टर काफी हद तक अमेरिका पर निर्भर हैं. इन सेक्टर्स के स्टॉक्स में गिरावट देखी गई है.
एक बड़ा कारण ये भी है कि अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी दर और मैन्युफैक्चरिंग में कमी से वैश्विक मांग में गिरावट आती है. इससे भारत के निर्यात पर बुरा असर पड़ता है, जिसका असर शेयर मार्केट में दिखाई देता है.
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