सालों पहले मिडिल ईस्ट से हो चुका था सफाया, फिर अफ्रीकी देशों तक कैसे पहुंच गया ISIS?

हाल में डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर नाइजीरिया में ISIS के ठिकानों पर बड़ा हमला हुआ. ट्रंप का आरोप है कि इस्लामिक स्टेट वहां मौजूद ईसाइयों पर हमला कर रहा था. नाइजीरियन ईसाइयों पर अटैक की बात पहले भी हो चुकी. इसके डेटा चौंकाने वाले हैं.

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नाइजीरिया में लंबे समय से चरमपंथ बढ़ रहा है. (Photo- Getty Images) नाइजीरिया में लंबे समय से चरमपंथ बढ़ रहा है. (Photo- Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST

अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ जंग में नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि आतंकी संगठन लगातार मासूम ईसाइयों को मार रहा था. उन्हें सबक सिखाने के लिए सेना ने इस्लामिक स्टेट पर अटैक किया. पिछले कई महीनों से अमेरिकी नेता इसके डेटा पर बात करते रहे. तो क्या ट्रंप के आरोपों में वाकई दम है? और कैसे सुदूर अफ्रीकी देशों में इस्लामिक स्टेट फल-फूल रहा है, जबकि पश्चिम ने कई साल पहले ही उसका सफाया कर दिया था?

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क्रिसमस की रात अमेरिकी फोर्स ने नाइजीरिया के उत्तर-पश्चिम इलाके में एयरस्ट्राइक की. ट्रंप खुद इस हमले की मॉनिटरिंग कर रहे थे. यह हमला इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हुआ था. बताया गया कि इसमें खुद नाइजीरियन सरकार की रजामंदी थी क्योंकि वे भी आतंकी संगठन से त्रस्त हैं. 

अमेरिकी टीवी होस्ट बिल माहेर ने सितंबर में नाइजीरिया की स्थिति को नरसंहार का नाम देते हुए दावा किया कि साल 2009 से अब तक बोको हराम ने एक लाख से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी. बीबीसी की एक रिपोर्ट में भी माहेर के हवाले से इसका जिक्र है. साथ ही कथित तौर पर अठारह हजार चर्च जलाए गए. 

सरकार इस डेटा से इनकार नहीं करती, लेकिन वो यह भी कहती है कि हिंसा केवल ईसाइयों के साथ नहीं हो रही, बल्कि इस्लाम से अलग हर धर्म के लोगों के साथ हो रही है. यहां तक कि उदार दिखने वाले मुस्लिम भी इस्लामिक स्टेट के शिकार हो रहे हैं.

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यह डेटा नाइजीरिया की मानवाधिकार संस्था इंटरनेशनल सोसायटी फॉर सिविल लिबर्टीज से लिया हुआ है, जिसके हवाले से ट्रंप के अलावा भी कई अमेरिकी नेता बात कर रहे हैं कि नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट फैल चुका. 

इस्लामिक स्टेट अब ग्लोबल जेहाद की बात करने लगा है. (Photo- Getty Images)

साल 2016 से 2017 के बीच अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने दावा किया कि इराक और सीरिया से इस्लामिक स्टेट खत्म हो चुका. ये दोनों देश इस बेहद बर्बर आतंकी संगठन का ठिकाना हुआ करते थे. इसके बाद काफी दिनों तक शांति रही. माना गया कि संगठन वाकई खत्म हो चुका है. लेकिन नहीं. गुट की विचारधारा अब भी बाकी थी, जो दुनिया में इस्लामिक चरमपंथ फैलाना चाहती थी. 

मिडिल ईस्ट से हटाए जाने के बाद इस विचारधारा के मानने वाले सेफ शेल्टर खोजने लगे. वेस्ट में खतरा ही खतरा था. एशियाई देश सख्त दिखे. ऐसे में अफ्रीका में सबसे ज्यादा संभावनाएं दिखीं. इस्लामिक स्टेट ने अपनी रणनीति बदलते हुए खुद को ग्लोबल नेटवर्क में ढाल लिया और अफ्रीका को ठिकाना बना लिया. 

ज्यादातर अफ्रीकी देश लंबे समय से सिविल वॉर से जूझ रहे हैं. कई चरमपंथी संगठन हैं, जो अपना राज चाहते हैं. इस्लामिक स्टेट ने उनसे हाथ मिलाया और उनके जरिए फैलने लगा. यह वैसा ही है जैसे इम्युनिटी कम होने पर वायरस का एकदम से सक्रिय हो जाना. ISIS ने प्रोविंस मॉडल पर काम किया. इसके तहत स्थानीय आतंकवादी संगठनों को उनके नाम, झंडे और विचारधारा से जोड़ दिया गया. अफ्रीका में बोको हराम इसका सबसे बड़ा उदाहरण बना. साल 2015 में बोको हराम के एक धड़े ने इस्लामिक स्टेट के प्रति वफादारी की घोषणा की और वह इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविंस कहलाया. यह संगठन नाइजीरिया, चाड, नाइजर और कैमरून के सीमावर्ती इलाकों में फैल गया. 

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अफ्रीका देशों का आर्थिक-राजनीतिक तौर पर कमजोर होना उन्हें आतंकवाद के लिए संवेदनशील बनाता है. (Photo- Pexels)

नाइजीरिया खास तौर पर इसलिए बना ठिकाना बना क्योंकि वहां पहले से ही हिंसा, बेरोजगारी और करप्शन था. सरकार से लेकर सुरक्षा बलों तक से आम लोगों का यकीन कम हो चुका था. इन्हीं नाराज लोगों को इस्लामिक स्टेट ने टारगेट किया. वे उन्हें पैसों और मकसद का लालच देने लगे. भर्तियां होने लगीं और आतंकवादी संगठन जड़ें जमाने लगा. 

नाइजीरिया के अलावा इस्लामिक स्टेट की शाखाएं माली, बुर्किना फासो नाइजर और मोजाम्बिक, कांगो में भी उभरीं. आईएस ने सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग के जरिए प्रचार किया, स्थानीय लड़ाकों को वैश्विक जिहाद का हिस्सा होने का अहसास दिलाया और सीमापार नेटवर्क बनाए.

सीरिया और इराक से खत्म होने के बाद वो एशिया में भी फैला. दक्षिण एशिया में इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत इस्लामिक स्टेट की सबसे खतरनाक शाखाओं में गिना जाता है .यह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में सक्रिय है. इस्लामिक स्टेट की कुछ मौजूदगी मध्य एशिया में भी है .उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों से जुड़े कुछ नेटवर्क इसी से जुड़े हुए बताए जाते हैं. फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया में भी छोटे, लेकिन सक्रिय आईएस-समर्थक सेल मौजूद रहे.

जिस पश्चिम ने आतंकी संगठन का सफाया करने का दावा किया था, ये वहां तक भी जा पहुंचा है. अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों में इसकी सीधी सैन्य मौजूदगी नहीं, लेकिन लोन वुल्फ हमले जरूर दिखने लगे हैं, जो इसी सोच से प्रेरित हैं.

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