एक के बाद एक मध्यस्थता के दावों के बीच नई पीस डील में जुटे ट्रंप, क्या वे इतिहास के सबसे बड़े शांतिदूत साबित होंगे?

इजरायल- हमास के बीच अक्टूबर 2023 से चले आ रहे युद्ध को रोकने के बाद डोनाल्ड ट्रंप चुप नहीं बैठे. महीने के आखिर में वे थाईलैंड और कंबोडिया के बीच भी शांति समझौता करा सकते हैं. इन दो देशों के बीच सीमा विवाद मिडिल ईस्ट की तरह चर्चा में भले न हो, लेकिन हिंसा तो हो रही है, और इसका खामियाजा भी दोनों पक्ष उठा रहे हैं.

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डोनाल्ड ट्रंप अक्टूबर के अंत में एक और शांति समझौता करा सकते हैं. (Photo- AP) डोनाल्ड ट्रंप अक्टूबर के अंत में एक और शांति समझौता करा सकते हैं. (Photo- AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

कंबोडिया और थाईलैंड में जुलाई में हिंसक संघर्ष हुआ था, जिसकी वजह से लाखों लोग विस्थापित हो गए. सीमा विवाद पर भड़की हिंसा काफी जानें लीलती, इसके पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने हस्तक्षेप किया. संघर्ष वक्ती तौर पर थम गया, लेकिन चिंगारी अब भी बाकी है. इसी पर ठंडा पानी डालने यानी औपचारिक सीजफायर के लिए ट्रंप एक बार फिर पहल कर रहे हैं. कुछ रोज पहले ही वे इजरायल और हमास पर शांति प्रस्ताव ला चुके.

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तो एक के बाद एक पीस डील्स कराते हुए क्या ये अमेरिकी राष्ट्रपति दुनिया में सबसे ज्यादा देशों के बीच मेल-मिलाप कराने वाला लीडर बन जाएंगे?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच क्यों घमासान

दोनों देशों के बीच लगभग 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर कई स्पॉट्स ऐसे हैं, जिन्हें लेकर पुराना विवाद रहा. इसका केंद्र है, 11वीं सदी का एक प्राचीन हिंदू मंदिर. दोनों के बॉर्डर पर स्थित मंदिर को नक्शे में कंबोडिया की सीमा के भीतर दिखाया गया. वहीं थाईलैंड का कहना है कि मंदिर भौगोलिक रूप से उसकी जमीन पर है. 

साठ के दशक में मामला इंटरनेशनल कोर्ट में गया, जिसमें फैसला हुआ कि मंदिर कंबोडिया का है और थाईलैंड को अपनी सेना वहां से हटानी चाहिए. लेकिन टेंपल लैंड के आसपास विवाद अब भी जारी है. कुछ साल पहले जब UNESCO ने मंदिर को वर्ल्ड हैरिटेज घोषित किया, तो थाईलैंड में विरोध भड़क उठा. इसके बाद से कई बार छुटपुट संघर्ष हो चुका. इसी जुलाई में तनाव ज्यादा ही बढ़ गया और 40 से ज्यादा मौतें हो गईं.

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इसी बीच वाइट हाउस ने दखल दिया और अस्थाई शांति आ गई. दोनों देशों के नेताओं ने खुद ये बात मानी थी. अब सीजफायर को आधिकारिक रूप देने के लिए ट्रंप जुलाई के आखिर में मलेशिया आ सकते हैं. दरअसल, इसी बीच मलेशिया की राजधानी कुआलालांपुर में आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. यहां ट्रंप भी मौजूद होंगे और सीजफायर को लॉन्ग टर्म की तरफ ले जाया जा सकता है. 

(Photo- AP)

अक्तूबर में नोबेल शांति पुरस्कार के एलान से काफी पहले से ट्रंप खुद को आठ युद्ध रोकने वाला बताने लगे थे. ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने कार्य़काल के पहले नौ महीनों में शांति के लिए जो कर दिखाया, वो किसी ने नहीं किया. 

किन युद्धों को रोकने का दावा 

- हमास और इजरायल के बीच सीजफायर के लिए ट्रंप ने जमकर काम किया. अब गाजा पट्टी में सीजफायर हो चुका और हमास बंधकों को रिहा भी कर चुका. 

- अस्सी के दशक से आर्मेनिया और अजरबैजान में लड़ाई चली आ रही थी. ट्रंप ने दखल ने इसे रोक दिया. 

- डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और रवांडा में दशकों से जंग चल रही थी, जो इसी जुलाई में वाइट हाउस की कोशिशों से रुकी. 

- जून में इजरायल और ईरान के बीच लड़ाई शुरू हुई. 12 दिनों बाद ट्रंप ने इसमें हस्तक्षेप किया और सीजफायर हुआ. 

- कंबोडिया और थाईलैंड में सीमा विवाद ने हिंसक संघर्ष का रूप ले लिया था, जिसे ट्रंप ने रोका. अब दोनों के बीच औपचारिक सीजफायर हो सकता है. 

- पहले टर्म में ट्रंप ने दावा किया कि उनकी वजह से इजिप्ट और इथियोपिया के बीच युद्ध रुका. 

- इसी तरह से पहले कार्यकाल में ही सर्बिया और कोसोवो के बीच भी पीस डील में ट्रंप ने अपनी भूमिका बताई. 

- भारत-पाकिस्तान युद्ध रोकने में ट्रंप की भूमिका सबसे ज्यादा विवादित रही. ट्रंप ने दावा किया कि युद्ध उनकी वजह से रुका, वहीं भारत से लगातार इससे इनकार करते हुए कहा कि पाकिस्तान से उसका मसला द्विपक्षीय है, और इसमें किसी का हस्तक्षेप उसे मंजूर नहीं. हाल में पाकिस्तानी नेताओं ने भी कह दिया कि भारत ने कभी ट्रंप को अप्रोच नहीं किया. 
 

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(Photo- Pexels)

एक-दो नहीं, ट्रंप कुल आठ लड़ाइयां रोकने का दावा कर रहे हैं. तकनीकी तौर पर देखें तो ये बहुत बड़ा नंबर है. दो समुदायों के बीच नहीं, बल्कि दो देशों के बीच जंग रोकना बड़ा काम है, जो खून-पसीना और धीरज मांगता है. ट्रंप का कहना है कि वो ट्रेड के जरिए देशों को लड़ाई रोकने कह रहे हैं.

आसान ढंग से समझें तो ट्रंप कैरट एंड स्टिक की क्लासिक थ्योरी अपनाते हैं. यानी बात मान लो तो फायदा मिलेगा, वरना सजा. बकौल ट्रंप, देश इसी वजह से जंग रोक रहे हैं. 

हालांकि ट्रंप के इन आनन-फानन प्रयासों को संदेह की नजर से देखा जा रहा है. अंदेशा है कि डरकर या लालच में आकर शांत हुए देश जल्द ही किसी न किसी वजह से दोबारा भड़क सकते हैं. हो सकता है कि ऐसी सरकार आए जो ट्रंप से मेलजोल न रखना चाहे. तब बहुत संभव है कि हिंसा दोबारा शुरू हो जाए. तब भी ये भी सच है कि अब तक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के हिस्से इतने सीजफायर नहीं आए. यहां तक कि शीत युद्ध के दौर में भी अमेरिकी नेताओं ने हथियार कम कराने और शांति लाने पर काफी काम किया, लेकिन नंबरों की बात करें, तो ट्रंप सबसे ज्यादा समृद्ध हैं. ये अलग बात है कि उनके शांति प्रस्ताव कितने ठोस हैं, और कितना लंबा टिक पाते हैं.

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किस अमेरिकी राष्ट्रपति के नाम कितने ताज

- वुडरो विल्सन ने वर्साय की संधि कराई,  जिसके बाद पहला वर्ल्ड वॉर रुका. तभी लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना पर बात हुई, जो बाद में यूएन कहलाया. 

- फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद याल्टा और पॉट्सडैम समझौते कराए, जिसने मित्र देशों के बीच कड़वाहट आने से रोका. 

- अमरीका के 34 वें राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर ने कोरिया में युद्ध विराम कराया, वरना काफी नुकसान का डर था. 

- रिचर्ड निक्सन के पेरिस शांति समझौते की वजह से वियतनाम युद्ध रुका, जिसमें अमेरिका खुद भी इनवॉल्व हो चुका था.

- जिमी कार्टर की वजह से कैम्प डेविड एग्रीमेंट हुआ, जिसमें इजिप्ट और इजरायल शामिल थे. ये अरब देशों और तेल अवीव के बीच पहला स्थाई शांति समझौता था. 

- रोनाल्ड रीगन के दौर में निरस्त्रीकरण पर काफी काम हुआ. सोवियत संघ और अमेरिकी पहल पर कोल्ड वॉर का तनाव काफी घटा. 

- जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने सूडान में शांति समझौता कराया, जिसके बाद वहां सिविल वॉर बंद हुआ. 

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