ज‍िस डायरेक्टर को माना सिनेमा का धुरंधर, उसने कर दी तारीफ, आदित्य धर का बन गया दिन

दिग्गज फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने फिल्म 'धुरंधर' को लेकर एक पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने डायरेक्टर आदित्य धर की जमकर तारीफ की. इसके अलावा इस फिल्म को उन्होंने 'क्वांटम लीप' बता दिया.

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फिल्म धुरंधर के डायरेक्टर आदित्य धर (Photo: x/@AdityaDharFilms) फिल्म धुरंधर के डायरेक्टर आदित्य धर (Photo: x/@AdityaDharFilms)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

5 दिसंबर 2025 को रिलीज हुई रणवीर सिंह की फिल्म धुरंधर ने बॉक्स ऑफिस पर इस समय तहलका मचाया हुआ है. क्या नॉर्थ और क्या साउथ.. सब जगह इस फिल्म को जमकर सराहा जा रहा है. फिल्म के डायरेक्टर आदित्य धर की भी जमकर तारीफ हो रही है. इस बीच दिग्गज राम गोपाल वर्मा ने फिल्म धुरंधर को 'क्वांटम लीप' बता दिया है.  

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राम गोपाल वर्मा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर पोस्ट कर लिखा, 'धुरंधर सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह भारतीय सिनेमा में एक 'क्वांटम लीप' है.' क्वांटम लीप को आसान शब्दों में कहे तो अचानक होने वाला बदलाव.

राम गोपाल वर्मा ने क्या लिखा?
फिल्म मेकर राम गोपाल वर्मा ने लिखा, 'मेरा मानना ​​है कि आदित्य धर ने अकेले ही भारतीय सिनेमा का भविष्य पूरी तरह से बदल दिया है. चाहे वह उत्तर हो या दक्षिण... ऐसा इसलिए है क्योंकि धुरंधर सिर्फ एक फिल्म नहीं है... यह एक क्वांटम लीप है. धुरंधर जो हासिल करती है, वह सिर्फ पैमाना नहीं है, बल्कि एक ऐसा विजन है जिसका अनुभव पहले कभी नहीं किया गया, न सिर्फ देखने में बल्कि दिमाग में भी. आदित्य धर यहां दृश्यों को निर्देशित नहीं करते... वह किरदारों और हम दर्शकों दोनों के मन की स्थितियों को इंजीनियर करते हैं. यह फिल्म आपका ध्यान नहीं मांगती... यह उस पर हावी हो जाती है. पहले ही शॉट से, ऐसा लगता है कि कुछ ऐसा शुरू हो गया है जिसे बदला नहीं जा सकता, और दर्शक अब सिर्फ दर्शक नहीं हैं, बल्कि स्क्रीन पर होने वाली घटनाओं में भागीदार हैं.'

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फिल्म मेकर ने आगे लिखा, 'यह एक ऐसी फिल्म है जो विनम्र होने से इनकार करती है. लेखन इरादे से वार करता है, मंचन में खतरा महसूस होता है, और खामोशी उतनी ही हथियारबंद है जितनी कि ज़ोरदार साउंड इफेक्ट. धर समझते हैं कि कहानी कहने में शक्ति आवाज में नहीं है... यह दबाव बनाने में है. हर सीक्वेंस दबा हुआ महसूस होता है, जैसे कोई स्प्रिंग लपेटा जा रहा हो, यह जाने बिना कि वह कब टूटेगा और जब ऐसा होता है, तो असर न सिर्फ क्रूर होता है बल्कि सिम्फोनिक रूप से ओपेरा जैसा भी होता है.'

धुरंधर सिनेमा का एक टर्निंग पॉइंट- RGV
'फिल्म में परफॉर्मेंस पसंद किए जाने के लिए डिजाइन नहीं की गई हैं, बल्कि वे थिएटर छोड़ने के बाद भी लंबे समय तक याद रहने के लिए डिजाइन की गई हैं. किरदार अपने कंधों पर इतिहास का बोझ लेकर चलते हैं, और फिल्म दर्शकों पर इतना भरोसा करती है कि वे उनकी कहानियों को चम्मच से खिलाने के बजाय उनके निशानों को पढ़ें. यह आत्मविश्वास, जिसे आसानी से अहंकार समझा जा सकता है, ठीक वही है जो धुरंधर को भारतीय सिनेमा के लिए एक टर्निंग पॉइंट बनाता है. धर मानते हैं कि दर्शक बुद्धिमान हैं, जो एक डायरेक्टर द्वारा दर्शकों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है, जबकि ज्यादातर फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को आसान बनाने में विश्वास करते हैं.'

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अंत में राम गोपाल वर्मा ने लिखा, 'तकनीकी रूप से यह फिल्म मुख्यधारा के भारतीय सिनेमा के व्याकरण को फिर से लिखती है. साउंड डिजाइन दृश्यों को सजाता नहीं है, बल्कि उनका पीछा करता है. कैमरा देखता नहीं है, बल्कि शिकारी की तरह उसके चारों ओर घूमता है. यहां एक्शन तालियों के लिए कोरियोग्राफी नहीं है. यह देखने से उचित और बेहद बदसूरत है, जैसा कि असली हिंसा महसूस होनी चाहिए.'

'लेकिन जो चीज धुरंधर को सच में ऊपर उठाती है, वह है इसका इरादा. यह कोई ऐसी फिल्म नहीं है जो ट्रेंड्स या वैलिडेशन का पीछा कर रही हो. यह एक पक्की घोषणा है कि भारतीय सिनेमा को सफल होने के लिए खुद को बदलने की जरूरत नहीं है और न ही हॉलीवुड की बिना सोचे-समझे कॉपी करने की जरूरत है. धर ने साबित किया कि यह अपनी जड़ों से जुड़ा रहकर भी इंटरनेशनल लेवल का सिनेमा बन सकता है.'

'जब फिल्म खत्म होती है और क्रेडिट्स चलते हैं, तो आपको सिर्फ मनोरंजन महसूस नहीं होता, आपमें बदलाव महसूस होता है और यही उस फिल्ममेकर की पहचान है जो सिर्फ फिल्में नहीं बना रहा है, बल्कि वह उस जमीन को ही बदल रहा है जिस पर हम सभी फिल्ममेकर खड़े हैं.'

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आदित्य धर तारीफ से हुए खुश
राम गोपाल वर्मा की पोस्ट पर फिल्म धुरंधर के डायरेक्टर आदित्य धर का भी रिएक्शन आया. उन्होंने जवाब देते हुए लिखा, 'सर… अगर यह ट्वीट एक फिल्म होती, तो मैं इसे पहले दिन पहले शो में देखने जाता, आखिरी लाइन में खड़ा होता, और बदलकर बाहर आता. मैं सालों पहले एक सूटकेस, एक सपना, और इस अजीब विश्वास के साथ मुंबई आया था कि मैं एक दिन राम गोपाल वर्मा के अंडर काम करूंगा. ऐसा कभी नहीं हुआ. लेकिन कहीं न कहीं, बिना जाने, मैंने आपके सिनेमा के अंदर काम किया. आपकी फिल्मों ने मुझे फिल्में बनाना नहीं सिखाया - उन्होंने मुझे खतरनाक तरीके से सोचना सिखाया.'

'आपका यह कहना कि धुरंधर एक क्वांटम लीप है, यह अवास्तविक, इमोशनल, और सच कहूं तो थोड़ा अनुचित लगता है… क्योंकि अब मैं जो कुछ भी आगे करूंगा, उसे इस ट्वीट के लेवल का होना होगा. आप मेरे पसंदीदा डायरेक्टर्स में से एक थे, जिन्होंने भारतीय सिनेमा को निडर, बेबाक और जिंदादिल बनाया. अगर धुरंधर में उसका थोड़ा सा भी DNA है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि जब मैं इसे लिख और डायरेक्ट कर रहा था, तो आपकी फिल्में मेरे दिमाग में फुसफुसा रही थीं (कभी-कभी चिल्ला रही थीं).'

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अंत में धर ने लिखा, 'अगर मैंने दर्शकों को समझदार माना है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि आपने पूरी एक पीढ़ी को सिखाया कि सिनेमा को अपनी महत्वाकांक्षा के लिए कभी माफी नहीं मांगनी चाहिए. इस उदारता, इस पागलपन, और इस पहचान के लिए धन्यवाद. मेरे अंदर का फैन अभिभूत है. मेरे अंदर का फिल्ममेकर चुनौती महसूस कर रहा है. और वह लड़का जो RGV के अंडर काम करने मुंबई आया था… आखिरकार उसे पहचान मिली.'

राम गोपाल वर्मा ने दिया जवाब
वहीं आदित्य धर के इस पोस्ट का जवाब देते हुए रामगोपाल वर्मा ने लिखा, 'ठीक इसी वजह से सिनेमा आगे बढ़ता है, जब एक विजनरी दूसरे को और आगे बढ़ने के लिए इंस्पायर करता है. आपने मेरे सिनेमा के अंदर काम नहीं किया. आप उससे आगे निकल गए और ऐसा ही होना चाहिए. अगर कोई फिल्ममेकर सिर्फ अपने इन्फ्लुएंस को दोहराता है, तो वह एक फैन है. लेकिन जब वह उन्हें अपना लेता है और फिर उनसे अलग हो जाता है, तो वह एक नई ताकत बन जाता है और आप वही हैं.

'धुरंधर ने मुझे इसलिए इम्प्रेस नहीं किया क्योंकि यह मुझे मेरे किए हुए किसी काम की याद दिलाता था. इसने मुझे इसलिए इम्प्रेस किया क्योंकि इसने किसी से न तो परमिशन मांगी और न ही वैलिडेशन. यह अलग है. यह हिम्मत है. यह नया सिनेमा है. मैं तुम्हारी फिल्म में तुम्हारी अपनी बेचैनी साफ देख सकता हूं और यही बात लोगों को तुम्हारे बारे में लंबे समय तक डराती रहेगी. अगर मुंबई आया लड़का उरी में आदमी बन गया, तो अब वह धुरंधर के साथ सुपरमैन बन गया है.'

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