एस एस राजामौली की अगली फिल्म 'वाराणसी' का टाइटल लॉन्च इन दिनों काफी चर्चा में रहा. 2027 में आने वाली इस फिल्म के ग्रैंड लॉन्च इवेंट से ही राजामौली ने माहौल सेट कर दिया है. इस इवेंट में लीड हीरो महेश बाबू का फर्स्ट लुक भी रिवील किया गया. पहली झलक में 'वाराणसी' भारत की प्राचीन माइथोलॉजी पर बेस्ड एक एडवेंचर फिल्म नजर आ रही है.
रुद्र नाम का किरदार निभा रहे महेश बाबू जब त्रिशूल के साथ बैल पर सवार होकर स्क्रीन पर नजर आए, तो लॉन्च इवेंट में जैसे बिजलियां दौड़ गईं. सोशल मीडिया पर लोगों का रिस्पॉन्स ज्यादातर पॉजिटिव ही रहा. मगर कई लोगों को महेश बाबू वाले रिवील के ग्राफिक्स थोड़े कमजोर लगे. उम्मीद है कि फिल्म में इसकी क्वालिटी और बेहतर होगी. मगर महेश बाबू की बैल पर एंट्री देखने के बाद बहुत लोगों को कमल हासन की एक भूली-बिसरी फिल्म याद आने लगी.
जब रियल बैल पर सवार हुए थे कमल हासन
'वाराणसी' में महेश बाबू का फर्स्ट लुक देखने के बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स ने फिल्म 'मरुधनायकम' से कमल हासन के वीडियो शेयर करने शुरू कर दिए. 'वाराणसी' और 'मरुधनायकम' में एक बहुत बड़ा फर्क है. राजामौली की फिल्म में महेश बाबू CGI से क्रिएट किए गए बैल पर सवार हैं. जबकि 'मरुधनायकम' में कमल हासन रियल बैल की सवारी करते नजर आए थे.
'मरुधनायकम' बतौर डायरेक्टर कमल हासन का एम्बिशन प्रोजेक्ट थी. ये कभी बनकर पूरी तो नहीं हुई, मगर आइकॉनिक म्यूजिक कंपोजर इलैयाराजा ने कुछ साल पहले फिल्म का एक गाना शेयर किया था. इसमें कमल का वो शॉट है जिसमें वो कूद लकर रियल बैल पर बैठते हैं और फिर उसे दौड़ाते हुए चले आ रहे है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि कमल हासन ने इस सीन के लिए तीन बैलों के साथ, 60 दिन ट्रेनिंग की थी. तब जाकर वो एक शॉट में इतना तगड़ा स्टंट करने में कामयाब हुए थे.
शुक्र है कि इलैयाराजा ने 'मरुधनायकम' का गाना शेयर किया था, जिसमें कमल का ये आइकॉनिक शॉट है. वरना 'मरुधनायकम' कमल की वो फिल्म है जो कई साल की मेहनत के बाद बननी शुरू हुई. कमल इसे ग्लोबल ऑडियंस के लिए बना रहे थे. फिल्म का स्केल और विजन ऐसा था जो इंडियन सिनेमा ने कभी नहीं देखा था. इसे आज भी लोग 'वो महानतम फिल्म जो कभी नहीं बन सकी' (Greatest Film Never Made) कहते हैं. लेकिन ऐसा क्यों कहा जाता है और ये फिल्म कभी पूरी क्यों नहीं हुई. इसकी कहानी अपने आप में बहुत दिलचस्प है.
क्या थी 'मरुधनायकम' की कहानी?
'मरुधनायकम' एक बायोग्राफिकल पीरियड ड्रामा फिल्म थी. कमल हासन इसमें मोहम्मद युसूफ खान का रोल करने वाले थे. तमिल वेल्ललार परिवार में जन्मे युसूफ का असली नाम मरुधनायकम पिल्लई था. इस्लाम अपनाने के बाद उन्होंने नाम बदला था. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में वो बतौर सैनिक भर्ती हुए थे. फिर कमांडर बने और मदुरई का पूरा प्रशासन भी संभाला.
बतौर कमांडर उन्होंने, कंपनी के खिलाफ दक्षिण भारत में सिर उठाती कई बगावतों को कुचला था. लेकिन कंपनी की हरकतों को देखकर उनका मन बदलने लगा और आखिरकार वो बागी हो गए. उन्हें पकड़ने के लिए आर्कोट के नवाब और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, दोनों लगे हुए थे. कामयाबी तब मिली जब कंपनी ने उनके ही तीन साथियों को रिश्वत दी गई. युसूफ को आखिरकार तब पकड़ा गया जब वो सुबह प्रार्थना कर रहे थे और उन्हें फांसी पर चढ़ाया गया.
किस्सों में बताया जाता है कि युसूफ खान को तीन बार में फांसी दी गई, तब जाकर उनकी सांस रुकी. इस घटना से आर्कोट के अन्धविश्वासी नवाब को घबराहट होने लगी. इसलिए उसने युसूफ के टुकड़े-टुकड़े करके अलग-अलग जगह दफनाने का हुक्म दिया था.
'मरुधनायकम' की राइटर सुजाता ने पुराने इंटरव्यूज में बताया है कि कमल हासन कवित्त वाले डायलॉग्स के साथ एक हिस्टोरिकल फिल्म बनाना चाहते थे. सुजाता ने ही उन्हें युसूफ के जीवन पर, तमिल में लिखे बैलाड 'Khan Saibu Sandai' (खान साहिब का युद्ध) के बारे में बताया. सैमुएल चार्ल्स हिल्स ने युसूफ खान की बायोग्राफी लिखी है, जिसका नाम 'मरुधनायकम' है. सुजाता ने बताया था कि फिल्म की 80% कहानी बायोग्राफी से ली जाएगी. जिन चीजों के बारे में तथ्यात्मक जानकारी नहीं है, सिर्फ उन्हीं को दिखाने के लिए क्रिएटिव इमेजिनेशन लगाई जाएगी. यहां देखें वो गाना जिसमें 'मरुधनायकम' के सीन्स हैं:
'मरुधनायकम' का स्केल
इसका स्क्रीनप्ले तैयार करने के लिए पहली बार भारत में एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया. सुजाता इस स्क्रीनप्ले को, स्क्रीनप्ले डॉक्टर की तरह फाइनल शक्ल देती थीं. उनके साथ एक फ्रेंच स्क्रीनराइटर, इतिहासकार और कवियों ने भी स्क्रीनप्ले पर काम किया. 4 साल की मेहनत के बाद 'मरुधनायकम' कागज पर उतरी.
सबसे पहले फिल्म का एक टेस्ट शूट जयपुर, राजस्थान में हुआ था. ये एक युद्ध का सीक्वेंस था. कॉस्टयूम डिजाईनर सारिका ने इस सीक्वेंस के लिए 7000 से ज्यादा कॉस्टयूम और एसेसरीज डिजाईन की थीं. इस सीक्वेंस पर ही करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपये का खर्च आया था. रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसके लिए कमल ने 5000 एक्सट्रा आर्टिस्ट्स के साथ काम किया था.
फिल्म के एक बैटल सीक्वेंस के लिए टीम ने चेन्नई के पास 200 एकड़ जमीन बुक की थी. पहली बार रिमोट कंट्रोल्ड कैमरा मंगाए गए. घुड़सवारी की ट्रेनिंग के लिए कमल हासन ने ऑस्ट्रेलिया से ट्रेनर बुलाए थे. ऑस्कर विनिंग फिल्म 'गांधी' बनाने वाले सर रिचर्ड एटनबरो के असिस्टेंट्स को फिल्म के लिए बुलाया गया था.
1997 की रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस फिल्म पर 85 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. पता है ये बजट उस समय के लिहाज से कितना बड़ा था? 1997 की सबसे बड़ी इंडियन फिल्म 'बॉर्डर' का वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन करीब 65 करोड़ था. और तब 40 करोड़ कमाने वाली फिल्में ब्लॉकबस्टर हो जाया करती थीं.
अनुमान है कि जब 'मरुधनायकम' के शूट का पहला हिस्सा निपटा, तबतक फिल्म के लिए 23 दिनों की शूटिंग हो चुकी थी. इससे करीब 30 मिनट की फिल्म पूरी हुई थी. तबतक प्रोड्यूसर कमल हासन, अपनी जेब से इसपर 8 करोड़ रुपये खर्च कर चुके थे.
क्वीन एलिजाबेथ ने लॉन्च की थी फिल्म
'मरुधनायकम' के लिए कमल हासन ने क्या-क्या किया था इसका बड़ा सबूत तो फिल्म का ऑफिशियल लॉन्च ही था. क्वीन एलिजाबेथ सेकंड ने खुद ये फिल्म लॉन्च की थी. दरअसल, क्वीन का बहुत मन था कि उन्हें इंडिया टूर पर, किसी टॉप एक्टर की फिल्म का शूट देखना है. ये मौका कमल हासन को मिला.
तय हुआ कि एमजीआर फिल्म सिटी में, फिल्म का लॉन्च क्वीन के सामने होगा. वो 20 मिनट के लिए मौजूद रहीं और उनके सामने कमल हासन ने एक सीन शूट किया. तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने कैमरा स्टार्ट किया. राज्यसभा सांसद जी. के. मूपनार ने क्लैप दिया. और बतौर डायरेक्टर कमल हासन ने कहा 'एक्शन!'
सीन शुरू हुआ... फिल्म में मरुधनायकम का किरदार निभा रहे कमल को, ब्रिटिश राज की एक महत्वपूर्ण घोषणा पर रियेक्ट करना था. घोषणा करने वाले का किरदार नासिर ने निभाया था, जिन्हें आपने 'बाहुबली' में भल्लालदेव के पिता के रोल में देखा होगा. इसके बाद कमल हासन, क्वीन को एक मल्टीमीडिया कंप्यूटर के सामने ले गए. उन्होंने कुछ मिनट लंबा एक पायलट सीन प्ले किया, जो 'मरुधनायकम' का एपिक बैटल सीक्वेंस था. ये फिल्म का ऑफिशियल लॉन्च जरूर था, पर फाइनल शूट अगस्त 1998 में ही शुरू हुआ.
लीड रोल के लिए केट विंसलेट को किया गया अप्रोच
कमल हासन खुद फिल्म में लीड रोल कर रहे थे. कन्नड़ सिनेमा के वेटरन एक्टर विष्णुवर्धन को महत्वपूर्ण रोल में कास्ट किया गया था. नासिर के साथ बॉलीवुड से अमरीश पुरी, ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह को भी कास्ट किया गया. अमिताभ बच्चन और रजनीकांत को कमल ने सॉलिड कैमियो करने के लिए अप्रोच किया था. जब व्यस्त होने की वजह से ओम पुरी ने फिल्म छोड़ी, तो उनकी जगह सत्यराज आए, जो 'बाहुबली' में कट्टप्पा बने थे.
मगर कास्टिंग का सबसे बड़ा शॉट तो हॉलीवुड एक्ट्रेस केट विंसलेट थीं. कमल ने केट विंसलेट को फिल्म में लीडिंग लेडी के लिए अप्रोच किया था. लेकिन जब केट ने मना किया, तो उनके कास्टिंग डायरेक्टर्स ने दूसरी यूरोपियन एक्ट्रेसेज की तलाश शुरू की. प्रोजेक्ट में ब्रिटिश ऑफिसर्स और अंग्रेजों के रोल के लिए कई विदेशी एक्टर्स कास्ट किए गए.
क्यों अटकी 'मरुधनायकम'?
बजट, प्रोडक्शन का स्केल और धमाकेदार लॉन्च इवेंट... हर एंगल से 'मरुधनायकम' उस वक्त का सबसे बड़ा फिल्म प्रोजेक्ट था. इंडियन सिनेमा फैन्स, फिल्म इंडस्ट्रीज और मीडिया कमल की तरफ टकटकी लगाए देख रहे थे. लेकिन अचानक ये फिल्म अटक गई है. और इसकी वजह थी एक न्यूक्लियर टेस्ट!
'मरुधनायकम' को कमल इंटरनेशनल दर्शकों के लिए बनाना चाहते थे. विजन बड़ा था, तो बजट भी तगड़ा चाहिए था. रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई इंटरनेशनल प्रोडक्शन हाउस कमल के साथ हाथ मिलाने को तैयार थे. इनमें से एक ब्रिटिश स्टूडियो लगभग साथ आ चुका था. कमल को बस डील फाइनल करने यूएस जाना था. मगर तभी एक ऐतिहासिक घटना हुई. भारत का न्यूक्लियर मिशन, ऑपरेशन शक्ति सफलता के साथ पूरा हुआ और हमने खुद को 'न्यूक्लियर स्टेट' घोषित किया. प्रतिक्रया में तमाम देशों ने भारत पर इकॉनोमिक सैंक्शन लगा दिए. जो कंपनियां कमल हासन के नाम पर 'मरुधनायकम' में पैसा लगाने को तैयार थीं, अब भारत के नाम पर प्रोजेक्ट से दूर भागने लगीं.
2003 में इकॉनोमिक टाइम्स ने जब कमल से पूछा कि 'मरुधनायकम' पर दोबारा काम करने में क्या अड़चन है? तो कमल ने सीधा कहा, 'पैसा... डॉलर वाला पैसा!' कमल ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें 6 मिलियन डॉलर्स की जरूरत है क्योंकि वो इंटरनेशनल ऑडियंस को ध्यान में रखते हुए इसे बना रहे हैं. उस वक्त 6 मिलियन डॉलर का मतलब था लगभग 30 करोड़ भारतीय रुपये. 'मुझे बड़े, अमेरिकन पैसे की जरूरत है' कमल अपनी बात खत्म करते हुए बोले.
दोबारा फिल्म शुरू करने की कोशिशें
पुरानी रिपोर्ट्स ही बताती हैं की 'मरुधनायकम' के रास्ते में एक और बड़ा स्पीड ब्रेकर था— कमल का एटीट्यूड! कमल को पैसा तो बहुत चाहिए था और इसके लिए कुछ प्रोड्यूसर राजी भी थे. मगर कमल फिल्म का क्रिएटिव कंट्रोल पूरी तरह अपने हाथ में रखना चाहते थे. अपने तरीके से फिल्म बनाना चाहते थे.
2006 में खबर आई कि लॉस एंजेलिस की एक कंपनी फिल्म प्रोड्यूस करने को तैयार है. मगर बात वहीं अटक गई. 2012 में कमल ने कहा कि वो फिर से 'मरुधनायकम' शुरू करना चाह रहे है और ये 150 करोड़ के बजट में पूरी हो जाएगी. 2014 में एक फिल्ममेकर ने फॉक्स स्टार स्टूडियोज को आवाज लगाई कि उन्हें इस फिल्म को पूरा करवाना चाहिए. फिर कमल ने बताया कि साउथ की बड़ी कंपनी लाइका प्रोडक्शन्स इसे बनाने में इंटरेस्टेड है.
2017 के कान्स फिल्म मार्किट में इसके पोस्टर नजर आए, जो शायद प्रोड्यूसर्स के लिए फिल्म से जुड़ने का न्यौता थे. मगर 'मरुधनायकम' दोबारा शुरू नहीं हो सकी. आखिरकार 2020 के एक इंटरव्यू में कमल ने कहा कि उन्होंने फिल्म के हीरो की उम्र 40 साल के आसपास सोची थी. और वो अब इस रोल के लिहाज से उम्रदराज हो चुके हैं.
'मरुधनायकम' अब शायद कभी बड़े पर्दे पर ना पहुंचे. पहुंचे भी तो शायद उसमें कमल हासन ना हों. मगर ये सिनेमा जीनियस कमल के एम्बिशन, मेहनत और इंडियन सिनेमा को ग्लोबल स्केल देने की सनक के लिए हमेशा याद की जाती रहेगी.
सुबोध मिश्रा