एक मिनट के अंदर, झट से एंटरटेनमेंट परोसने वाली रील्स की पॉपुलैरिटी अब कंटेंट की दुनिया में एक नई क्रांति लेकर आ रही है. फिल्मों, टीवी शोज और वेब सीरीज के बाद अब कंटेंट में खपने का नया मीडियम मार्किट में आ चुका है जिसका नाम है माइक्रो ड्रामा. टिकटॉक ने शॉर्ट वीडियोज से कंटेंट की जो क्रांति शुरू की थी वो अब एंटरटेनमेंट की दुनिया में एक नया और बड़ा बाजार बन चुका है.
भारत में जहां शुरुआत में माइक्रो ड्रामा के में कुछ छोटे स्टार्टअप ही थे, वहीं अब कंटेंट के बड़े खिलाड़ी भी इसमें उतरने लगे हैं. हाल ही में पॉपुलर ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 ने एक टेक स्टार्टअप बुलेट के साथ पार्टनरशिप की है जो उनके प्लेटफॉर्म पर क्रिएटर्स का बनाया फास्ट पेस वाला, मोबाइल फ्रेंडली कंटेंट डिलीवर करेगा. अगर आप माइक्रो ड्रामा की तेजी से बढ़ती पॉपुलैरिटी से अनजान हैं तो चलिए बताते हैं कि कंटेंट की दुनिया को बदल रही ये नई चीज है क्या...
क्या है माइक्रो ड्रामा?
माइक्रो ड्रामा रील्स वाले फॉर्मेट का कंटेंट है. रील्स स्टैंडअलोन वीडियो होते हैं जिनका कोई बैकग्राउंड स्टोरी, संदर्भ या नैरेटिव स्ट्रक्चर नहीं होता. जबकि माइक्रो ड्रामा एक कंटेंट सीरीज है जिसमें रील्स के साइज यानी लगभग एक-डेढ़ मिनट के, वर्टिकल फ्रेम वाले एपिसोड होते हैं. एक माइक्रो ड्रामा में नॉर्मली 50-60 एपिसोड होते हैं.
क्या है माइक्रो-ड्रामा ऐप्स का सब्सक्रिप्शन और रेवेन्यू मॉडल?
अलग-अलग माइक्रो ड्रामा ऐप का अपना सब्सक्रिप्शन मॉडल होता है. अधिकतर माइक्रो ड्रामा ऐप्स में शुरुआत के कुछ एपिसोड फ्री अवेलेबल होते हैं. उसके बाद देखने के लिए दो तरह के मॉडल ज्यादा पॉपुलर हैं: पे-पर-व्यू यानी एपिसोड्स के हिसाब से आपको चार्ज किया जाएगा. या फिर कॉइन सिस्टम.
जैसे- बुलेट में आपको साइन-अप करते ही 50 कॉइन मिल जाते हैं. ऐप में हर दिन चेक-इन करने पर आपको प्रतिदिन के हिसाब से 10 कॉइन मिलते रहते हैं. प्रोफाइल डिटेल्स भरनी हो या कोई दूसरा टास्क, आपको टास्क के हिसाब से कॉइन मिलते रहेंगे. जब आप कंटेंट देखना शुरू करते हैं तो पहले 5 एपिसोड फ्री होंगे, उसके बाद आपके कॉइन खर्च होते चल जाते हैं. एक माइक्रो ड्रामा सीरीज पूरा निपटाने के लिए आपको अगर और कॉइन्स की जरूरत पड़ती है तो आप इन्हें खरीद भी सकते हैं. बुलेट ऐप में आपको 9 रुपये में 28 कॉइन, 25 रुपये में 75 या 99 रुपये के 309 कॉइन मिलते हैं.
कुछ माइक्रो ड्रामा ऐप ऐड वाले मॉडल का भी सहारा लेते हैं. इसमें फ्री एपिसोड्स देख लेने के बाद आगे के कुछ एपिसोड अनलॉक करने के लिए दो या तीन ऐड देखने होते हैं. इन ऐप्स की एक खासियत ये है कि इनके एपिसोड आप डायरेक्ट सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं, स्क्रीनशॉट ले सकते हैं और पोस्ट कर सकते हैं. कई ऐप्स में तो कंटेंट को सोशल मीडिया पर शेयर करने के भी रिवॉर्ड हैं.
भारत में कैसी है माइक्रो ड्रामा की ग्रोथ?
ऑडियो ओटीटी प्लेटफॉर्म एट नेटवर्क (Eight Network) ने इस साल फरवरी में अपना माइक्रो ड्रामा ऐप वर्टिकल टीवी लॉन्च किया था. एट नेटवर्क के फाउंडर और सीईओ मोहित पालीवाल ने कैम्पेन इंडिया को बताया था कि वर्टिकल टीवी को उन्होंने जून से मोनेटाइज करना शुरू किया.
मई के अंत तक उनके करीब 1.5 लाख यूजर्स थे, जिसमें से लगभग 20% पेड यूजर थे. मोहित ने बताया था कि वर्टिकल टीवी का एक एवरेज यूजर प्रतिदिन 40 एपिसोड देखता है और पेड यूजर्स में से करीब 30% पहले ही दिन नया कंटेंट अनलॉक करने के लिए करीब 3 बार कॉइन पैक खरीद लेते हैं.
कैसे अलग है माइक्रो ड्रामा का प्रोडक्शन और बजट?
एक-डेढ़ मिनट के हर एपिसोड का अपना एक फास्ट नैरेटिव होता है और ये ऐसे पॉइंट पर खत्म होता है, जहां से आप अगला एपिसोड देखना चाहते हैं. माइक्रो ड्रामा में सारा फोकस कंटेंट की फास्ट पेस और ऑडियंस को हर एक मिनट के एपिसोड में उलझाए रखने पर है. इसकी राइटिंग में सबसे बड़ी ट्रिक ये है कि एक मिनट के एपिसोड में ही, अंत के कुछ सेकंड्स में आपको ऐसा हुक छोड़ना है कि दर्शक दूसरा एपिसोड देखने के लिए तैयार हो जाए.
माइक्रो ड्रामा की प्रोडक्शन क्वालिटी भी बहुत अलग होती है. ये बहुत कम बजट में शूट होते हैं और इसमें प्रोडक्शन डिजाईन जैसी किसी चीज की जरूरत भी नहीं होती. इस तरह के दो माइक्रो ड्रामा में काम कर चुके एक एक्टर अंकित अरोड़ा ने मिंट की एक रिपोर्ट में बताया था, 'इनके शूट में एक डायरेक्टर और डी.ओ.पी. का होना काफी है. जबतक एक्टर अपनी लाइनें सही से बोल रहे हैं तो हर टेक ओके है, रीटेक नहीं होते.'
अंकित ने आगे बताया कि उन्होंने पुणे के पास एक सेट पर शूट किया है जिसमें माइक्रो-ड्रामा शूट के लिए बदलाव किए गए हैं. इस सेट पर एक फैंसी बाथरूम, बेडरूम, लॉन, स्वीमिंग पूल जैसी चीजें हैं ताकि एक ही सेट पर ढेर सारी लोकेशन मिल सकें. अंकित ने एक दिलचस्प बात ये भी बताई कि उन्होंने 60 मिनट लंबी एक माइक्रो ड्रामा सीरीज दो ही दिन में शूट की थी.
माइक्रो ड्रामा प्रोडक्शन पर काम करने वाली एक कंपनी अनंत प्रोडक्शंस के हेड अनीश सुराना ने इसी रिपोर्ट में बताया था कि उनकी कंपनी ने ज्यादातर कुकू एफएम की माइक्रो ड्रामा ऐप कुकू टीवी के लिए कंटेंट बनाया है. अनीश ने बताया कि उन्होंने जनवरी में माइक्रो ड्रामा प्रोडक्शन में कदम रखा था तबसे उनकी कंपनी लगभग 1000 मिनट का कंटेंट बना चुकी है. यानी जनवरी से अबतक वो लगभग 50 मिनट के 10 माइक्रो ड्रामा शोज बना चुके हैं.
अनीश ने कहा कि काफी मेहनत-मशक्कत के बाद उनकी कंपनी अब, राइटिंग से लेकर तैयार होने तक, 4 हफ्तों में एक माइक्रो ड्रामा शो बना लेती है. अपना प्रोडक्शन और बढ़ाने के लिए वो अब AI के इस्तेमाल करने पर भी काम कर रहे हैं.
भारत में कौन हैं माइक्रो ड्रामा के नामी प्लेटफॉर्म्स?
शेयरचैट के दो शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म मोज टीवी और क्विक टीवी करीब 2-3 साल पहले से माइक्रो ड्रामा कंटेंट डेवलप करने पर काम कर रहे थे. जबकि कुकू एफएम ने 2025 की शुरुआत में अपना माइक्रो ड्रामा प्लेटफॉर्म कुकू टीवी लॉन्च किया है. इस साल की शुरुआत में ही अमेजन एम.एक्स. प्लेयर ने एम.एक्स. फटाफट के नाम से वर्टिकल फॉर्मेट में माइक्रो ड्रामा पेश करने शुरू किए हैं.
टीवी के आइकॉनिक शोज से पहचान बनाने वाली एकता कपूर की कंपनी बालाजी टेलीफिल्म्स ने भी इस साल अपने प्लेटफॉर्म ALTT पर माइक्रो ड्रामा को डेडिकेटेड एक नया सेगमेंट शुरू किया है जिसका नाम कटिंग (कtingg) है. इनके साथ ही क्विक टीवी, फ्लिक टीवी, स्टोरी टीवी, वर्टिकल टीवी और रील सागा (ReelSaga) जैसे कई माइक्रो ड्रामा ऐप भारत में तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं. इन प्लेटफॉर्म्स पर हिंदी के साथ-साथ तेलुगू, तमिल, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, हरियाणवी जैसी रीजनल भाषाओं में भी कंटेंट उपलब्ध है.
किस तरह बढ़ रहा है माइक्रो ड्रामा का बाजार?
पूरी दुनिया में माइक्रो ड्रामा कंटेंट की पॉपुलैरिटी बहुत तेजी से बढ़ रही है. इसी साल डेडलाइन में पब्लिश रिसर्च फर्म Omdia की एक रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी में एशिया की टॉप 5 माइक्रो ड्रामा ऐप्स के मासिक यूजर्स 150 मिलियन हो चुके हैं.
एक-डेढ़ मिनट के एपिसोड वाले माइक्रो ड्रामा ऑफर करने वाली ऐप्स जैसे ड्रामाबॉक्स, गुडशॉर्ट, रीलशॉर्ट और शॉर्टमैक्स की ग्रोथ फिलिपींस, ब्राजील इंडोनेशिया और यूएस में भी बहुत तेजी से बढ़ी है. ड्रामाबॉक्स का ऐप स्टोर रेवेन्यू जहां ईयर ऑन ईयर 2550% बढ़ा, वहीं शॉर्टमैक्स की ग्रोथ 3888% बढ़ी है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में हर साल 5000 से ज्यादा माइक्रो ड्रामा सीरीज बन रही हैं. ऐड सेल्स और यूजर्स के खर्च से, चीन में माइक्रो ड्रामा इंडस्ट्री का रेवेन्यू लगभग 7 बिलियन डॉलर हो चुका है, जो चीन के थिएट्रिकल बॉक्स ऑफिस से ज्यादा है.
बालाजी टेलेफिल्म्स के चीफ रेवेन्यू ऑफिसर नितिन बर्मन ने अपने ओटीटी प्लेटफॉर्म ALTT के माइक्रो ड्रामा सेगमेंट, कटिंग के लॉन्च पर मनी कंट्रोल से कहा था, 'हम 2030 तक (भारत में) माइक्रो ड्रामा सेगमेंट के 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान लगा रहे हैं.' वहीं फ्लिक टीवी के को-फाउंडर कुशल सिंघल अपने अनुमानों को थोड़ा चेक में रखते हुए, भारतीय माइक्रो ड्रामा इंडस्ट्री से अगले 5 सालों में करीब 5 बिलियन डॉलर के रेवेन्यू की उम्मीद रखते हैं.
सुबोध मिश्रा