रजनीकांत-कमल हासन बना रहे हिंदी में फिर से दम दिखाने का प्लान, क्या इस बार कामयाब होंगे दोनों सुपरस्टार्स

कमल हासन और रजनीकांत अपनी नई फिल्मों से एक बार फिर हिंदी दर्शकों में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश करने जा रहे हैं. आइए बताते हैं कैसे इन स्टार्स की हिंदी दर्शकों से दूरी के बाद तमिल सिनेमा 'पैन इंडिया' कामयाबी के लिए जूझ रहा है. और ये दोनों स्टार्स अब इस कामयाबी के लिए क्या प्लान बना रहे हैं...

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रजनीकांत-कमल हासन कर रहे हिंदी में फिर से दम दिखाने का प्लान रजनीकांत-कमल हासन कर रहे हिंदी में फिर से दम दिखाने का प्लान

सुबोध मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 10 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST

'पैन इंडिया' फॉर्मुले की ताजा लोकप्रियता से कुछ दशक पहले, तमिल फिल्म इंडस्ट्री के दो सुपरस्टार हिंदी फिल्म दर्शकों के बीच बिल्कुल वैसी ही पॉपुलैरिटी का स्वाद चख चुके थे, जो बॉलीवुड स्टार्स को मिलती है- कमल हासन और रजनीकांत. 

दिलचस्प बात ये है कि 'पैन इंडिया' लोकप्रियता पाने वाले ये दोनों तमिल स्टार्स जब हिंदी दर्शकों से दूर हुए, वैसे ही इनकी इंडस्ट्री भी हिंदी ऑडियंस को लुभाने में पिछड़ने लगी. जबकि इस बीच साउथ की तेलुगू इंडस्ट्री ने हिंदी में सीधा बॉलीवुड फिल्मों को टक्कर देनी शुरू कर दी. तेलुगू इंडस्ट्री से निकली पैन इंडिया फिल्म 'पुष्पा 2' तो हिंदी की सबसे बड़ी फिल्म भी बन गई.

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अब कमल हासन और रजनीकांत अपनी नई फिल्मों से एक बार फिर हिंदी दर्शकों और उत्तर भारत के फिल्म मार्किट में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश करने जा रहे हैं. आइए बताते हैं कैसे इन स्टार्स की हिंदी दर्शकों से दूरी के बाद तमिल सिनेमा 'पैन इंडिया' कामयाबी के लिए जूझ रहा है. और ये दोनों स्टार्स अब इस कामयाबी के लिए क्या प्लान बना रहे हैं...  

हिंदी ऑडियंस के पुराने फेवरेट हैं कमल हासन और रजनीकांत
तमिल इंडस्ट्री में सुपरस्टार बन चुके कमल हासन ने 1981 में फिल्म 'एक दूजे के लिए' से, बतौर हीरो हिंदी में डेब्यू किया था. इसके बाद वो लगातार हिंदी फिल्मों में नजर आते रहे और 'सनम तेरी कसम', 'सदमा', 'गिरफ्तार', 'चाची 420' और 'अभय' जैसी हिट हिंदी फिल्मों में नजर आए. जबकि तमिल इंडस्ट्री में उनकी टक्कर के स्टार रहे रजनीकांत 1983 में 'अंधा कानून' से हिंदी फिल्मों में आए. अगले कुछ सालों में उन्होंने हिंदी में 'मेरी अदालत', 'गंगवा', 'जॉन जानी जनार्दन' और 'दोस्ती दुश्मनी' जैसी कई हिट्स दीं. 

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साल 2000 के आसपास तक ये दोनों लगातार हिंदी फिल्म दर्शकों के सामने बड़े पर्दे पर बने रहे. ये बात मॉडर्न पैन इंडिया फॉर्मुला पॉपुलर होने से 15 साल पहले की है. जहां कमल ने इसके बाद खुद को साउथ में ही ज्यादा सीमित कर लिया, वहीं रजनीकांत बीच-बीच में अपनी तमिल फिल्मों 'रोबोट', 'शिवाजी' और '2.0' के हिंदी वर्जन से, नॉर्थ इंडिया की मार्किट में भी डटे रहे. मगर ये फिल्में एक दूसरे से लंबे गैप पर आईं. पिछले 6-7 सालों में वो हिंदी दर्शकों के उतने करीब नहीं रहे जितने पहले थे.

ये एक संयोग ही है कि जब साउथ की बाकी फिल्में पैन इंडिया होने लगीं, तब तमिल सिनेमा के ये 'ऑरिजिनल' पैन इंडिया स्टार इस होड़ से दूर थे. और इसी बीच तमिल सिनेमा भी साउथ की बाकी फिल्मों, खासकर तेलुगू फिल्मों के मुकाबले, हिंदी ऑडियंस को लुभाने में कमजोर साबित हुआ. आज हिंदी में सबसे कमाऊ साउथ फिल्मों की टॉप 10 लिस्ट में सिर्फ एक ही तमिल फिल्म है, रजनीकांत की '2.0'. देखें लिस्ट:

1. बाहुबली 2- 511 करोड़
2. KGF चैप्टर 2- 435 करोड़
3. कल्कि 2898 AD- 293 करोड़
4. RRR- 273 करोड़
5. 2.0- 190 करोड़
6. सालार- 152 करोड़
7. आदिपुरुष-  148 करोड़ 
8. साहो- 145 करोड़
9. बाहुबली- 118 करोड़
10. पुष्पा- 106 करोड़

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तमिल फिल्मों की कामयाबी में रोड़ा बनी ओटीटी डील
लॉकडाउन के बाद रजनीकांत और कमल हासन ही नहीं, तमिल इंडस्ट्री में इनके बाद सुपरस्टार बने विजय ने भी हिंदी ऑडियंस को अपनी फिल्मों से अपील करने की कोशिश की. मगर इनकी इस कोशिश में एक बड़ी दिक्कत बनी इनकी फिल्मों की ओटीटी डील. 

लॉकडाउन के ठीक बाद वाले दौर में थिएट्रिकल रिलीज के बाद 4 हफ्ते बाद फिल्मों का ओटीटी पर आ जाना एक कॉमन प्रैक्टिस बनने लगा. भूल भुलैया 2, सम्राट पृथ्वीराज, शमशेरा और एक विलेन रिटर्न्स जैसी हिंदी फिल्मों ने भी यही ट्रेंड फॉलो किया. लेकिन इसी दौर में विजय की 'मास्टर' (2021) ने ओटीटी रिलीज का माहौल बदलने वाला काम किया. 

लॉकडाउन के बाद आधी कैपेसिटी में चल रहे थिएटर्स में रिलीज हुई ये फिल्म 15 दिन के अंदर ओटीटी पर रिलीज हो गई. थिएटर्स में 113 करोड़ रुपये का ग्रॉस कलेक्शन करने वाली इस फिल्म ने साउथ में एक ट्रेंड सा शुरू कर दिया और ओटीटी रिलीज का गैप कम होने लगा. ऐसे में नेशनल मल्टीप्लेक्स चेन्स और बहुत सारे सिंगल स्क्रीन्स ने ये तय किया कि वो अपने थिएटर्स में वही फिल्में दिखाएंगे, जो ओटीटी पर कम से कम 8 हफ्ते बाद रिलीज होंगी. उत्तर भारत के फिल्म बिजनेस में 70-80 प्रतिशत हिस्सा मल्टीप्लेक्स चेन्स का है. यानी यहां मल्टीप्लेक्स चेन्स ने रिलीज से इनकार किया, तो फिल्म के लिए बाकी का बिजनेस बहुत कम बचता है.

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इसके उलट तमिलनाडु की फिल्म प्रोड्यूसर एसोसिएशन ने लॉकडाउन के बाद जो नियम बनाया उसमें ओटीटी रिलीज का गैप 4 हफ्ते ही रखा. इसका नुकसान कई बड़ी तमिल फिल्मों को हुआ, जिनकी महत्वाकांक्षा पैन इंडिया हिट बनने की थी. इसमें विजय की 'लियो', 'वारिसु' और GOAT जैसी फिल्में हैं, जो सबसे बड़ी तमिल फिल्मों में से एक हैं. रजनीकांत की पॉपुलर और कमाऊ फिल्म 'जेलर' को भी इसी वजह से उत्तर भारत में बड़ी रिलीज नहीं मिली. 

हिंदी में फिर बड़ा धमाका करने की कोशिश में कमल-रजनी
अब रिपोर्ट्स बता रही हैं कि रजनीकांत और कमल हासन की अगली फिल्मों के मेकर्स हिंदी में भी अपनी फिल्मों को बड़ी रिलीज दिलाने का प्लान कर रहे हैं. इसके लिए वो ओटीटी डील में 8 हफ्ते की विंडो रखने के डिस्कशन में हैं.

कमल हासन की अगली फिल्म 'ठग लाइफ' में पंकज त्रिपाठी, सान्या मल्होत्रा और रोहित सराफ जैसे बॉलीवुड नाम भी हैं. ये फिल्म 5 जून को रिलीज होनी है. जबकि रजनीकांत की 'कुली' में तो आमिर खान बड़ा कैमियो करने जा रहे हैं और ये फिल्म स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज होगी.  

पिंकविला की एक रिपोर्ट में इस डेवलपमेंट से जुड़े एक सूत्र ने बताया, ''ठग लाइफ' और 'कुली' 2025 की सबसे बड़ी तमिल फिल्में हैं. इनमें उत्तर भारतीय मार्किट पर भी छाप छोड़ने का दम है और इसीलिए 8 हफ्ते की थिएट्रिकल विंडो पर डिस्कशन हो रहा है. अगर सब ठीक रहा तो इन दोनों फिल्मों को उत्तर भारत की मल्टीप्लेक्स चेन्स में बड़ी रिलीज मिलेगी.' ये दोनों फिल्में फर्स्ट लुक और टीजर से तो बहुत दमदार लग रही हैं. अगर इन्हें उत्तर भारत में ठीकठाक स्क्रीन्स मिलीं तो यकीनन तमिल सिनेमा के हाथ इस साल एक बड़ी हिंदी हिट भी लग सकती है.

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