Jolly LLB 3 Review: किसान का दर्द, अक्षय-अरशद का 'जॉली' गुड फैक्टर, भावनाओं से भरपूर है फिल्म

जॉली एलएलबी 3 19 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. इस मच-अवेटेड फिल्म को देखने के लिए फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. तो चलिए हम आपको बता देते हैं कि अक्षय-अरशद की ये फिल्म आपकी उम्मीदों पर कितनी खरी उतरेगी.

Advertisement
जॉली एलएलबी 3 का रिव्यू (Photo: Screengrab) जॉली एलएलबी 3 का रिव्यू (Photo: Screengrab)

आरती गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:06 PM IST
फिल्म:लीगल ड्रामा
3/5
  • कलाकार : अक्षय कुमार, अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला, गजराज राव, हुमा कुरैशी, अमृता राव, राम कपूर
  • निर्देशक :सुभाष कपूर

डायरेक्टर सुभाष कपूर की जॉली एलएलबी फ्रैंचाइजी की तीसरी किस्त 'जॉली एलएलबी 3' रिलीज हो चुकी है. इस तीसरी फिल्म में दो जॉली की भिड़ंत दिखाई गई है. असली जॉली कौन है और नकली जॉली कौन है, ये पता चलेगा आपको फिल्म देखने पर, लेकिन हमारे रिव्यू में हम आपको बताएंगे कि ये भिड़ंत देखने लायक है कि नहीं. 

जॉली की कहानी 

Advertisement

फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है अक्षय कुमार और अरशद वारसी के टकराव से. पहले जॉली यानी जगदीश त्यागी, जो मेरठ की गलियों से निकलकर दिल्ली की अदालत तक पहुंच गए हैं, लेकिन आज भी स्कूटर में सिर्फ 50 रुपये का ही पेट्रोल भरवाते हैं. वहीं दूसरे जॉली यानी जगदीश्वर मिश्रा, जो कानपुर से निकलकर अब दिल्ली की कोर्ट में अपना चेंबर बना चुके हैं, मगर आदत में बदलाव अभी तक नहीं आया है. वो अब पहले जॉली के केस चुराने के काम करते हैं. यही वजह है कि वो पहले जॉली के मामलों को हड़पने में लगे रहते हैं.

लेकिन इन दोनों के बीच तालमेल तब बैठता है, जब उनकी अंतरात्मा जागती है. और इस अंतरात्मा को जगाने का काम करती हैं जानकी देवी, यानी सीमा बिस्वास. जानकी एक किसान की पत्नी हैं, जिनकी जमीन को बिजनेसमैन हरीभाई खेतान (गजराज राव) ने धोखे से हड़प ली है. जानकी के पति और बहू ने तंग आकर आत्महत्या कर ली, जिसके बाद वो इंसाफ की उम्मीद लेकर जॉली के पास पहुंचती हैं. अब कौन-सा जॉली किस तरह से उनकी मदद करता है, ये फिल्म देखने पर पता चलेगा. 

Advertisement

जॉली एलएलबी 3 की कहानी सुनने में भले ही बेहद साधारण-सी लगती है, लेकिन देखने पर ये दिल की गहराई में बहुत हद तक उतर जाती है. फिल्म किसानों का दर्द आप तक सीधे पहुंचाती है. बिजनेसमैन हरीभाई का 'बिकानेर टू बॉस्टन' का सपना, आपको चिर-परिचित सा लगेगा. वो इसके लिए किसी का भी घर उजाड़ देने को तैयार हैं. लेकिन अपने घर पर एक आंच नहीं आने दे सकते. 

कैसा है फिल्म का ट्रीटमेंट?

बेहद साफ शब्दों में बतातें हैं कि, फिल्म में कई जॉली गुड फैक्टर्स हैं, जो आपको हंसाने और इमोशनल करने का काम करते हैं. फिल्म की कास्ट ने बेहतरीन अभिनय किया है. अक्षय और अरशद ने तो एंटरटेन किया ही है, लेकिन जज बने सौरभ शुक्ला और सीमा बिस्वास बिल्कुल अलग छाप छोड़ते हैं. वो अब 'टेडी बियर' से 'टेंडर टाइगर' बन चुके हैं. सौरभ की ‘जजगिरी’ आपको गुदगुदाती है और साथ ही पुरानी जॉली एलएलबी 1 और 2 की याद भी दिलाती है. वहीं, आखिर में सीमा बिस्वास के रोने का एक साइलेंट सीन है, जो थिएटर में नहीं बल्कि सीधे आपके दिलों-दिमाग में गूंजता है.

इनके साथ हुमा कुरैशी और अमृता राव भी अपने-अपने रोल में सधी हुई हैं. हर फिल्म की तरह इसमें भी एक 'मीन' वकील कैरेक्टर है, जिसे राम कपूर ने निभाया है. वो भी अपना काम कर गए हैं. वहीं गजराज राव कभी उम्मीद टूटने नहीं देते, ये भी जगजाहिर है. 

Advertisement
जॉली एलएलबी रिव्यू (Photo: Screengrab)

फिल्म में थोड़ी-सी है खामी

जो एक बात आपको अखर सकती है, वो है कोर्ट रूम ड्रामा का कम होना. फिल्म का फर्स्ट हाफ में कहानी की बुनाई में इतना निकला है कि आप कोर्ट रूम ड्रामा मिस करने लगते हैं. छुट-पुटिये केसिज को दिखाने और कहानी पर पैर जमाने में वकालती मोनोलॉग को सेकेंड हाफ तक खिसका दिया गया है. ऐसे में आपको पहले दो जॉली फिल्मों की याद सता सकती है. लेकिन इसका गुड पॉइंट ये है कि ये बोरिंग नहीं है. अक्षय-अरशद-सौरभ की मजेदार तिकड़ी को देखते हुए इसे नजरअंदाज किया जा सकता है. 

फिल्म स्कूलों में बच्चों को पढ़ाए जाने वाले विषयों में किसानी और कृषि से संबंधित विषयों को अनिवार्य करने का संदेश भी देती है. 

जॉली एलएलबी 3 में गाने जबरदस्ती ठूंसे नहीं गए हैं. डायलॉग्स उतने ही हैं जितने कि सुनने पर आप हंसते हुए ताली बजा लेंगे. अरशद और अक्षय का टकराव और उसपर सौरभ की टिप्पणी वाकई मजेदार है. तो अगर आप फिल्म देखने का मन बना रहे हैं, तो हमारी सलाह रहेगी कि जरूर जाएं, फैमिली के साथ एक अच्छा वक्त तो बिता ही लेंगे. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement