संजय कपूर प्रॉपर्टी विवाद: क‍रिश्मा के बच्चों ने की हाई कोर्ट में अपील, प्र‍िया कपूर ने किया फ्रॉड!

दिवंगत बिजनेसमैन संजय कपूर की मौत के बाद उनकी संपत्ति पर विवाद गहरा गया है. पहले संजय की मां और बहन ने उनकी तीसरी पत्नी प्रिया कपूर पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. लेकिन अब करिश्मा कपूर के बच्चों- समायरा और किआन ने भी वसीयत के गलत होने का दावा करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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करिश्मा के बच्चों ने खटखटाया HC का दरवाजा (Photo: Yogen Shah) करिश्मा के बच्चों ने खटखटाया HC का दरवाजा (Photo: Yogen Shah)

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

बॉलीवुड एक्ट्रेस करिश्मा कपूर के एक्स-हसबैंड संजय कपूर की मौत के बाद उनकी 30 हजार करोड़ की संपत्ति पर विवाद शुरू हो गया है. पहले संजय की मां और उनकी पत्नी प्रिया कपूर में विवाद की खबर सामने आई थी, लेकिन अब करिश्मा और संजय के बच्चे समायरा और किआन भी इसमें कूद पड़े हैं. दोनों बच्चों ने प्रिया कपूर पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. उनका कहना है कि 21 मार्च 2025 की जो वसीयत दिखाई जा रही है, वह नकली और फर्जी है.

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पिता की संपत्ति पर विवाद

संजय कपूर की संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में अब करिश्मा कपूर के दोनों बच्चों ने एक बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए एक सिविल केस दायर किया है. इस केस में उन्होंने पिता की संपत्ति का बंटवारा, हिसाब-किताब दिखाने और उसके इस्तेमाल पर स्थायी रोक लगाने की मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि कानूनी वारिस होने के नाते उन्हें अपने पिता की निजी संपत्ति और सामान में हिस्सा मिलना चाहिए. बच्चों ने आरोप लगाया है कि प्रिया कपूर (संजय कपूर की पत्नी) ने कई जानकारियां छुपाई हैं. उन्होंने जरूरी कागज शेयर करने से मना कर दिया और शक है कि वे संपत्तियों को बेचने या हड़पने की कोशिश कर रही हैं.

हाई कोर्ट पहुंचे करिश्मा के बच्चे

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संजय कपूर की संपत्ति को लेकर करिश्मा कपूर के बच्चों ने दिल्ली हाई कोर्ट में जो याचिका दायर की है, उसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

बच्चों ने अदालत से मांग की है कि प्रिया कपूर को शपथ लेकर यह बताने का आदेश दिया जाए कि पिता की मौत के समय, उनकी संपत्ति की असली स्थिति क्या थी. साथ ही बाद में उन्होंने उस पर क्या कदम उठाए.

इस मामले में सबसे बड़ा विवाद 21 मार्च 2025 की वसीयत को लेकर है. बच्चों का कहना है कि यह वसीयत 'संदिग्ध' है. आरोप लगाते हुए बच्चों ने कहा है कि पिता की मौत के बाद हफ्तों तक प्रिया उन्हें और करिश्मा को यही कहती रहीं कि कोई वसीयत नहीं है. और बताया कि पूरी संपत्ति RK फैमिली ट्रस्ट में शामिल है. लेकिन अचानक सात हफ्तों बाद उन्हें बताया गया कि एक आखिरी वसीयत है.

याचिका में कहा गया है कि यह वसीयत जिस रहस्यमयी तरीके से सामने आई और बार-बार इनकार करने के बाद पेश की गई. वो इसकी असलियत पर गंभीर शक पैदा करती है. बच्चों का कहना है कि पिता ने तलाक के बावजूद हमेशा उन्हें बराबर प्यार और देखभाल दी, इसलिए यह सोचना नामुमकिन है कि वो अपनी निजी संपत्ति में उन्हें पूरी तरह नजरअंदाज करते.

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मना करने के बाद कहां से आई पुरानी वसीयत?

बच्चों का आरोप है कि इंग्लैंड में प्रिया कपूर ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि कोई वसीयत नहीं है और सिर्फ RK फैमिली ट्रस्ट से जुड़ी फाइलिंग्स हैं. उन्होंने उन्हें 25 जुलाई 2025 को सोना कॉम्स्टार की AGM में ट्रस्ट के लाभार्थी के रूप में बुलाया भी, लेकिन फिर बिना कारण अचानक मना कर दिया कि उनकी मौजूदगी जरूरी नहीं है.

कुछ हफ्तों बाद, प्रिया कपूर ने एक मीटिंग बुलाई जिसमें प्रतिवादी (डिफेंडेंट) नंबर 4 यानी कथित एक्जीक्यूटर ने दूर से एक दस्तावेज दिखाया और कहा कि यह संजय कपूर की वसीयत है. दावा किया गया कि इसे उन्होंने बस एक दिन पहले ही (29 जुलाई 2025 को) दो गवाहों- दिनेश अग्रवाल और नितिन शर्मा (जो प्रिया कपूर के करीबी हैं) से जाना. उस वक्त जल्दी-जल्दी कुछ हिस्से पढ़कर सुनाए गए, जिनमें लिखा था कि पूरी संपत्ति प्रिया कपूर को दी गई है. लेकिन न तो पूरा दस्तावेज दिखाया गया और न ही उसकी कॉपी दी गई.

प्रिया ने की जालसाजी?

26 अगस्त 2025 को एक्जीक्यूटर ने बच्चों को ईमेल भेजकर दोबारा कहा कि वसीयत की कॉपी नहीं दी जा सकती क्योंकि यह 'निजी डॉक्यूमेंट' है, क्योंकि वे इसमें लाभार्थी नहीं हैं. सिर्फ 'गोपनीयता की घोषणा' (Declaration of Confidentiality) पर साइन करने के बाद ही उन्हें देखने की इजाजत दी जा सकती है.

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समायरा और किआन ने सवाल उठाया है कि अगर वसीयत असली थी तो प्रिया कपूर के इतने करीबी दोनों गवाहों ने इसे सात हफ्ते तक क्यों छुपाया? उनका कहना है कि पूरा घटनाक्रम सोची-समझी साजिश जैसा लगता है. उन्होंने इस वसीयत को पूरी तरह जाली, फर्जी और कानूनी तौर पर ना माने जाने वाला बताया है. मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहा है.

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