कभी माचो मैन, कभी लवर बॉय… आखिरी सांस तक पर्दे पर जिए धर्मेंद्र, क्यों कहलाए 'ही-मैन'

बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ धर्मेंद्र देओल अब हमारे बीच नहीं रहे. समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक, 89 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली, लेकिन उनकी आवाज, जोश और किरदार हमेशा जिंदा रहेंगे. ‘कुत्ते कमीने… मैं तेरा खून पी जाऊंगा’ जैसे डायलॉग से लेकर शोले, फूल और पत्थर, धरम-वीर जैसी फिल्मों तक- धर्मेंद्र सिर्फ एक अभिनेता नहीं, एक युग थे जिन्होंने पर्दे पर जज्बे और दिल का मेल दिखाया.

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क्यों ही-मैन कहलाए धर्मेेंद्र? (Photo: ITG archive) क्यों ही-मैन कहलाए धर्मेेंद्र? (Photo: ITG archive)

आरती गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:32 PM IST

'कुत्ते कमीने... मैं तेरा खून पी जाऊंगा...', 'तेरे घर में कैलेंडर है? 97 को गौर से देख ले क्योंकि 98 तू देख नहीं पाएगा...', 'बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना...', 'इलाका कुत्तों का होता शेर का नहीं...', ऐसे कितने ही डायलॉग हैं जो जहन में आते हैं तो एक ही नाम कौंध जाता है, और वो है- धर्मेंद्र देओल. 89 साल की उम्र में धर्मेंद्र का निधन हो गया है पर यादें आज भी ताजा हैं. 

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धर्मेंद्र जो एक ऐसी शख्सियत थे, जिनके होने से ही माहौल में जोश भर जाया करता था. वो फिल्मों के एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा, लवर बॉय हीरो रहे, बावजूद इसके उन्हें बॉलीवुड के 'ही-मैन' की उपाधि मिली.

नंबर वन की रेस से दूर थे धर्मेंद्र

यह धर्मेंद्र यानी धर्म सिंह देओल की बात है, बॉलीवुड में लंबे समय तक चमकते सितारे की. उन्हें उनका पूरा हक मिला, लेकिन वे कभी नंबर 1 नहीं रहे. वे हमेशा नंबर 2 रहे और उन्हें यह पसंद भी था.

जब राजेंद्र कुमार नंबर 1 थे, धर्मेंद्र नंबर 2 थे. जब राजेश खन्ना नंबर 1 बने, तब भी धर्मेंद्र नंबर 2 थे. और जब अमिताभ बच्चन नंबर 1 हुए, तब भी धर्मेंद्र नंबर 2 ही रहे. एक बार उनसे पूछा गया कि- 'आप नंबर 1 बनने की कोशिश क्यों नहीं करते?' तो धर्मेंद्र ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- 'हर कोई नंबर 1 बनना चाहता है लेकिन नंबर 2 की जगह सेफ है, और मुझे यह जगह पसंद है.' कितना शानदार जवाब था.

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धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि दें

1958 से 2025 तक- बस धर्मेंद्र

धर्मेंद्र वो शख्सियत हैं- जो कभी फेल नहीं हुए, लेकिन कभी बिना मतलब शोहरत के पीछे भी नहीं भागे. उनका करियर लंबा और लगातार अच्छा रहा. उनकी पहली फिल्म 1958 में आई थी, अब निधन के वक्त भी वो एक्टिव थे- क्या कमाल का रिकॉर्ड है. उनकी आखिरी फिल्म इक्कीस 25 दिसंबर को रिलीज होगी.

किसी के लिए धर्मेंद्र एक माचो मैन हैं, किसी के लिए पड़ोस का सीधा-सादा लड़का, किसी के लिए रोमांटिक हीरो, किसी के लिए गुस्सैल नौजवान, किसी के लिए कॉमेडियन, किसी के लिए भोला और मासूम इंसान, और किसी के लिए दर्द झेलने वाला किरदार. इन सब भावनाओं का संगम मिलकर एक ही इंसान में समा गया और वह इंसान थे- धर्मेंद्र.

आखिर तक धर्मेंद्र ने किया काम (Photo: Aaj Tak Archive)

बॉलीवुड के रिकॉर्ड होल्डर 'ही-मैन' 

धर्मेंद्र को बॉलीवुड में 'ही-मैन' कहा जाता है, इसका मतलब सिर्फ बॉडी-बिल्डिंग या पावर फिल्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके करियर, व्यक्तित्व और स्क्रीन पर छाप का मिला-जुला असर है. अपने 5 दशक के करियर में उन्होंने 300 के लगभग फिल्में की हैं, जिनमें 74 सुपर हिट फिल्में शामिल हैं. बतौर लीडिंग एक्टर उनका ये रिकॉर्ड 'एक्स्ट्रा-ऑर्डिनरी' है.

उनकी ब्लॉक बस्टर फिल्मों पर नजर डाला जाए तो इनमें- शोले, फूल और पत्थर, सीता और गीता, हुकुमत, मेरा गांव मेरा देश शामिल हैं. वहीं धर्म वीर भी, जो 1977 की मेगा-ब्लॉकबस्टर फिल्म थी. 

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फैब्रिक-हंगामा और पावर इमेज

धर्मेंद्र ने 1960-70 के दशक में ऐसे एक्शन-हीरो किरदार निभाए, जिनमें उनकी पैशनेट एनर्जी, फाइट सीन, स्टन्ट और बॉडी लैंग्वेज अलग ही तरह की रही. उन्होंने 1987 में 12 रिलीज हिट फिल्मों में से सात लगातार हाइएस्ट ग्रोसिंग फिल्में दी थीं. अमिताभ बच्चन, जितेंद्र से लेकर ऐसा कमाल उस वक्त कोई नहीं कर पाया था. धर्मेंद्र की- हुकुमत, आग ही आग, इंसानियत के दुश्मन, वतन के रखवाले, इंसाफ की पुकार, लोहा, जान हथेली पर जैसी फिल्में शामिल हैं. उस दौरान धर्मेंद्र को 'मनी स्पिनर' का टैग दिया जाने लगा था. 

धर्मेंद्र का माचो अंदाज (Photo: Aaj Tak Archive)

टैलेंट का खजाना थे धर्मेंद्र

सिर्फ एक्शन ही नहीं, धर्मेंद्र ने रोमांटिक, कॉमेडी, ड्रामा- लगभग हर जॉनर में काम किया. फिल्म सीता और गीता, धरम-वीर, नौकर बीवी का, चुपके चुपके जैसी फिल्में आज भी याद की जाती हैं, जहां उनकी छवि अलग ही थी. उन्होंने अपने पंजाबी एक्सेंट और मजेदार एक्सप्रेशन्स से हर किसी का दिल जीत लिया था. 

ये सारे पहलू मिलकर उन्हें 'ही-मैन' की उपाधि देते हैं- यानि वो हीरो जो सिर्फ स्क्रीन पर नहीं बल्कि दौर में भी सबसे आगे था. धर्मेंद्र सिर्फ एक फिल्मी हीरो नहीं थे- वे एक दौर के प्रतीक बने. उनकी पावर-इमेज, बहुमुखी भूमिकाएं, रिकॉर्ड-हिट्स और लंबे करियर ने उन्हें 'ही-मैन' की जगह दी. उनका निधन सिर्फ एक अभिनेता के जाने जैसा नहीं- एक युग के अंत जैसा है.

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अलविदा 'ही-मैन'!

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