गंगूबाई काठियावाड़ी से क्यों नाराज हैं ट्रांसजेंडर्स? कास्टिंग पर उठाए सवाल

गंगूबाई काठियावाड़ी ट्रेलर के रिलीज होते ही इसकी चर्चा जोर-शोर से चल रही है. हालांकि ट्रेलर के आते ही फैंस ने एक मुद्दा भी उठाया कि फिल्म में ट्रांसजेंडर का किरदार प्ले कर रहे विजय राज के बजाय किसी असल के ट्रांसजेंडर एक्टर को यह मौका क्यों नहीं दिया गया.

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आलिया भट्ट-विजय राज आलिया भट्ट-विजय राज

नेहा वर्मा

  • मुंबई,
  • 14 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST
  • LGBTQ एक्टर ओनीर ने उठाए सवाल
  • कास्टिंग को लेकर मुकेश छाबड़ा ने दी सफाई

गंगूबाई काठियावाड़ी की चर्चा इन दिनों बॉलीवुड के गलियारों में है. संजयलीला भंसाली की इस फिल्म में आलिया भट्ट के साथ-साथ विजयराज के अलग अवतार की भी जबरदस्त तारीफ हो रही है.  एक ओर जहां फैंस विजयराज के इस नए लुक की तारीफ कर रहे हैं, तो दूसरी ओर फैंस का एक हिस्सा ऐसा भी है, जो मेकर्स पर यह सवाल उठा रहा है कि फिल्म में आखिर किसी ट्रांसजेंडर को कास्ट क्यों नहीं किया गया.

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LGBTQ कम्यूनिटी है नाराज 
यह सवाल खासकर एलजीबीटीक्यू से नाता रखने वाले फैंस का है. फेसबुक पर yes, we exist नाम का एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी का पेज हैंडल करने वाले इंद्रजीत का कहना है कि समाज में हमें ऐसे ही अपने असतित्व के लिए लड़ रहे हैं, फिल्मों में भी इस तरह का भेदभाव देखकर दुख होता है. इंद्राजीत का कहना है कि पिछले कुछ समय में उनकी कम्यूनिटी के कई स्ट्रगल कर रहें एक्टर्स ने उनसे अप्रोच किया है ताकि वे उनकी इस मांग पर भी आवाज बुलंद कर सकें.जिससे आगे चलकर एलजीबीटी कम्यूनिटी के एक्टर्स को भी मौका मिले, ताकि सोसायटी पर इक्वॉलिटी का मेसेज पहुंच सके. 

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फिल्म डायरेक्टर ओनीर जो खुद एलजीबीटी कम्यूनिटी के रिप्रेजेंटेटिव रहे हैं. ओनीर ने अपने फिल्मों के जरिए कई बार उनकी हक की बात कह चुके हैं. आजतक डॉट इन से बातचीत के दौरान ओनीर बताते हैं, मुझे नहीं समझ आता कि जब भी इस तरह का कोई मुद्दा आता है, तो आप हम लोगों से क्यों सवाल पूछते हो, आप उन बड़े डायरेक्टर्स से क्यों बात नहीं करते, जिन्होंने यह काम किया है. ये ऐसे लोग हैं, जो शायद कभी इस मुद्दे पर खुलकर बात करें. हम ही हैं, जो कहते रहते हैं कि ऐसा होना चाहिए, वैसा होना चाहिए. मेरी बात करें, तो मैं अभी एक फिल्म बनाने जा रहा हूं, जिसमें मैं ट्रांसजेंडर को कास्ट भी कर रहा हूं.

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यह लड़ाई जेंडर की है, लिबर्टी नहीं ले सकते हैं
ओनीर आगे कहते हैं, मुझे यह जोक लगता है कि लोग जब यह कहते हैं कि बॉलीवुड में ट्रांसजेंडर एक्टर खोजना मुश्किल है. मेरी फिल्म के लिए 35 से 40 ट्रांसजेंडर एक्टर ने अप्लाई किया है. मैंने उनमें से एक को चुना और उसके साथ वर्कशॉप कर रहा हूं.  ये ट्रांसजेंडर एक्टर वाकई में टैलेंटेड हैं, अपनी एक्टिंग से आपको हैरान कर देंगे. यहां सवाल जेंडर का है न कि सेक्सुअलिटी की बात हो रही है. मैं विजयराज की एक्टिंग का मुरीद हूं, उनके लिए रिस्पेक्ट है लेकिन यह हमारी कड़वी सच्चाई है कि आजतक जितने भी ट्रांसजेंडर के रोल्स हुए हैं, उसे मेल एक्टर ने ही प्ले किया है. यह लड़ाई लंबे समय से चल रही है. एक वक्त था जब थिएटर में महिलाओं का किरदार भी पुरूष निभाया करते थे, वहां महिलाओं ने समाज से लड़कर अपनी जगह बनाई थी. अब वही लड़ाई ट्रांसजेंडर एक्टर की भी चल रही है. आप क्रिएटिव लिब्रर्टी का हवाला देकर ये फ्रीडम नहीं ले सकते कि ट्रांसजेंडर का किरदार कोई मेल एक्टर निभाए.

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शुरूआत होगी, तो रास्ते खुलेंगे
मुझे इस बात का इल्म है कि प्राइमरी कास्ट के लिए आप इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकते हैं. एक स्टार की मौजूदगी फिल्म में वैल्यू ऐड करता है लेकिन आप सेकेंड्री कास्टिंग से इसकी शुरूआत तो कर सकते हैं न. बिग बजट फिल्म में यह रिस्क लेना मुश्किल है, मैंने कभी इसपर सवाल भी नहीं उठाया है. लेकिन आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप इस तरह ट्रांस किरदारों के लिए रियल एक्टर्स को मौका तो दें. वैसे ही तो बदलाव आएगा और इनके लिए रास्ते खुलेंगे.

मैं खुद ट्रांसजेंडर एक्टर की तलाश में हूं
बॉलीवुड फिल्मों की कास्टिंग में मुकेश छाबड़ा एक बड़ा नाम हैं. मुकेश इसपर अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं, इंडस्ट्री में ट्रांसजेंडर एक्टर्स हैं लेकिन आपको रोल की डिटेलिंग के लिए एक परफेक्ट एक्टर की जरूरत होती है, जो फिल्मों का भार अपने कंधे पर ले सके. हालांकि छोटे-छोटे रोल्स में ऐसे एक्टर्स को मौका मिल रहा है, जिससे लोगों के अंदर उनको लेकर विश्वास जग रहा है. अगर हमारे पास प्रोफेशनल ट्रांसजेंडर एक्टर हैं, तो हम जरूर इसकी कास्टिंग करेंगे. मेरे नजर में फिलहाल ऐसा कोई दमदार एक्टर नहीं मिल पाया है. मैं खुद ऐसे ट्रांसजेंडर एक्टर्स की तलाश में हूं, जिससे परफेक्ट कास्टिंग हो सके. फिलहाल हम तो ऐसे रोल्स के लिए किसी संजीदा एक्टर्स की ही तलाश करते हैं, जो किरदार को पुलऑफ कर सके. बॉलीवुड हिस्ट्री में ऐसे ग्रेट एक्टर्स रहे हैं, जिन्होंने ट्रांसजेंडर का किरदार निभाकर इतिहास रच दिया है. मैं आपकी बात से सहमत हूं कि हमारी इंडस्ट्री को ऐसे रियल ट्रांसजेंडर एक्टर्स को मौका देना चाहिए लेकिन मेरी तलाश अब भी जारी है.

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परफेक्ट ट्रांसजेंडर एक्टर के ऑप्शन की है कमी
मुकेश आगे कहते हैं, मेकर्स हमसे यही डिमांड करते हैं कि उन्हें परफेक्ट कास्टिंग चाहिए. हमारे पास ऑप्शन ही नहीं है. मैंने तो अपना स्पेस ओपन रखा है. इनक्वायरी बढ़ी भी है. पहले जहां एक-दो ट्रांसजेंडर ऑडिशन देते थे, लेकिन अब नंबर्स बढ़े हैं. हम इस बदलाव को भी स्वीकार कर रहे हैं. मुझे ईमेल, इंस्टाग्राम पर मेसेज आ रहे हैं. मैं खुश होऊंगा कि मैं रियल कास्टिंग कर सकूं. हालांकि मैंने तमाशा, चंडीगढ़ करे आशिकी में रियल कास्टिंग की है. धीरे-धीरे शुरूआत हुई है लेकिन एक बड़े बदलाव की उम्मीद है. हर कोई चांस डिजर्व करता है. मैं इसकी कोशिश में हूं. बहुत जल्द ही यह बदलाव आपको देखने को मिलेगा. ये मेरा वादा है.


इस माइंडसेट को तोड़ने में वक्त लगेगा
गौरी सावंत ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी की स्ट्रॉन्ग रिप्रेजेंटेटिव रही हैं. गौरी कई शॉर्ट फिल्म व ऐड्स में भी नजर आ चुकी हैं. अपनी राय रखते हुए गौरी कहती हैं, बिलकुल ट्रांसजेंडर एक्टर्स को मौका मिलना चाहिए. फिल्मों में पिछले कुछ सालों में इसमें बदलाव भी आए हैं. मैंने तमन्ना और सड़क फिल्म जब देखी थी, तो उन एक्टर्स के काम को देखकर मुझे काफी हैरानी हुई थी. इन दोनों ने किरदार के साथ जस्टिस किया था. लोगों के दिमाग में अब यह बैठ चुका है कि ट्रांसजेंडर मतलब 6 फुट लंबा चौड़ा, डार्क, बड़ा सा मुंह और डरावना इंसान होता है. इस कॉन्सेप्ट को बदलने की जरूरत है. आप देखें, कई ब्यूटी कॉन्सेप्ट होते हैं, कई ट्रांसजेंडर तो औरतों से भी खूबसूरत लगते हैं. तो ऐसे लोगों को मौका मिलना चाहिए. इस माइंडसेट को तोड़ने में वक्त लगेगा. हो सकता है कि हमें उन एक्टर्स की तरह परफेक्ट एक्टिंग नहीं आती होगी लेकिन मैं मानती हूं कि उस रोल को जीना आना चाहिए. मैं चाहती हूं कि फनी तरीके से ट्रांसजेंडर को न दिखाएं. आप हमारी गरिमा का ध्यान रखें. आदमी ही क्यों, कोई एक्ट्रेस क्यों ट्रांसजेंडर रोल नहीं कर सकती है. शबाना आज्मी अच्छी तरह निभा सकती हैं. लड़कों को ही यह जिम्मेदारी क्यों सौंपी है. इतनी लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 2014 में हमें दर्जा मिला. धीरे-धीरे बदलाव यहां भी आना चाहिए. पहले तो लोगों के जेहन में यह जाना जरूरी है कि हम भी इसी दुनिया के हैं और हम भी उनकी समाज का हिस्सा हैं.
 

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