उत्तराखंड की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी हरसंभव कोशिश और रणनीति बनाने में जुटी है. बीजेपी के सामने सूबे में सत्ता परिवर्तन के अब तक चले आ रहे राजनीतिक ट्रेंड को बदलने की चुनौती है. यही वजह है कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले कमजोर और मजबूत सीटों को छांटने का होमवर्क पूरा कर लिया है. ऐसे में जिन सीटों पर बीजेपी को खतरे की आहट महसूस हो रही, वहां चेहरा बदलने की संभावना तलाशने के साथ जोड़तोड़ और पार्टी कैडर की सक्रियता के जरिए मौहाल को सुधारने के प्रयास तेजी से शुरू हो गए हैं.
उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड
उत्तराखंड में अब तक हर चुनाव में सत्ता बदलती रही है. मौजूदा समय में बीजेपी सत्ता में है. ऐसे में बीजेपी को जीत के लिए एंटी इनकंबेंसी से भी निपटना है और सत्ता परिवर्तन के ट्रेंड को तोड़ना के लिए शीर्ष नेतृत्व मंथन में जुटा है. बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने बैठक कर चुनावी तैयारियों का फीडबैक लिया. साथ ही उन्होंने जिला और विधानसभा स्तर पर चुनाव प्रबंधन समितियों को सक्रिय करने के दिशा-निर्देश दिए.
बीजेपी ने 2017 विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में आई थी. वहीं, 2022 विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 60 के पार' का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस टारगेट को हासिल करने लिए पार्टी ने बकायदा रोडमैप भी तैयार किया है, जिसके लिए सीटों को दो हिस्सों में बंटा है. बीजेपी को जिन सीटों पर खतरे की संभावना दिख रही है, उन सीटों पर खास फोकस करने की रणनीति बनाई जा रही है.
बीजेपी के लिए 30 सीटों पर चिंता ज्यादा
सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने संगठन के स्तर पर कराए गए सर्वे के रिपोर्ट पर 30 विधानसभा सीटों पर स्थिति ठीक नहीं दिख रही है. इनमें 20 विधानसभा सीटें बीजेपी के कब्जे वाली हैं जबकि 11 कांग्रेस वर्चस्व वाली हैं. प्रदेश के 70 विधानसभा सीटों पर तैनात संयोजक और विधानसभा प्रभारी के जरिए पार्टी इन सीटों को लेकर खासी रणनीति बना रही है. वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के नेतृत्व में चुनाव प्रभारी व सह प्रभारियों की टीम भी विधायकों और संभावित दावेदारों के दमखम को टटोलने में जुट गई है.
बीजेपी किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है. ऐसे में कमजोर सीटों पर संभावित दावेदारों के नामों के लेकर भी चर्चा की जा रही है, जो मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतर सकें. पूर्व में विधानसभा चुनाव लड़े प्रत्याशियों से फीडबैक लिया जा रहा है ताकि अपनी जीती हुई सीटों को बरकरार रखा जा सके और कांग्रेस की कब्जे वाली सीटों पर जीत का झंडा फहरा सके.
बीजेपी का 60 सीटें जीतने का टारगेट
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक कहते हैं कि पार्टी ने अबकी बार 60 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चुनावी मैदान में उतरी है. ऐसे में पार्टी अब अब पार्टी प्रत्याशी चयन को लेकर रणनीति बनाई है. इसके लिए वरिष्ठ पदाधिकारियों की टीमें विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगी. ये टीमें स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से चर्चा करके रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को देगी, जिसके बाद हम अपने कैंडिडेट के नाम तय करेंगे.
हालांकि, बीजेपी के सामने सत्ता परिवर्तन के ट्रेंड को तोड़ने के लिए अपने जीती हुई 57 में से कुछ सीटों पर प्रत्याशी बदलने का भी दबाव है. ऐसे में कुछ सीटों पर पार्टी विधायक की सीट बदलकर सत्तारोधी रुझान के सियासी प्रभाव को खत्म करने के विकल्प पर गंभीरता विचार कर रही है. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने मौजूदा विधायकों के टिकट कटने के संकेत भी दे चुकी है.
उत्तराखंड का सियासी समीकरण
बता दें कि साल 2000 में राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड में अबतक 4 विधानसभा चुनाव कराए गए हैं. पहला चुनाव 2002 और पिछला चुनाव 2017 में कराया गया था. सूबे में हर बार चुनाव में सत्ता परिवर्तन हुआ है. यही वजह है कि बीजेपी के लिए यह चुनाव काफी अहम और चुनौती पूर्ण बन गया है. हालांकि, बीजेपी ने अपने दो सीएम भी बदलकर सत्ता विरोधी लहर को कम करने का दांव चली है.
उत्तराखंड की विधानसभा में 70 सीटें हैं. बीजेपी ने पिछला चुनाव सभी 70 सीटों पर लड़ा था. उसने 57 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए 46.51 फीसदी वोट अपने नाम किए थे. वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने भी सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन वह केवल 11 सीटें ही जीत पाई थी. 2 सीटें निर्दलियों ने जीती थीं. बीजेपी इतिहास बदलने के मूड से 2022 के चुनाव में जुटी है, जिसके लिए राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को अपना चुनावी एजेंडा बना रही है.
कुबूल अहमद