UP Election 2022: जाटलैंड-मुस्लिम बेल्ट के बाद अब यादव बेल्ट में अखिलेश की अग्निपरीक्षा, जानिए 59 सीटों का समीकरण

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरण के मतदान खत्म होने के बाद अब बारी तीसरे चरण के चुनाव की है. तीसरे चरण में यादव बेल्ट और बुंदलेखंड इलाके की 59 सीटों पर 20 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. सपा का परंपरागत गढ़ यादव बेल्ट में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था. बुंदेलखंड में तो विपक्ष खाता भी नहीं खोल सका था. ऐसे में अखिलेश यादव की असल परीक्षा अब तीसरे चरण में होनी है, जिसके लिए वो खुद भी चुनावी मैदान में हैं.

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तीसरे चरण की सीटों पर चुनाव प्रचार करते अखिलेश यादव तीसरे चरण की सीटों पर चुनाव प्रचार करते अखिलेश यादव

कुबूल अहमद / कुमार अभिषेक

  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 15 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST
  • तीसरे चरण की 59 सीटों पर 20 फरवरी को वोटिंग
  • बुंदेलखंड में विपक्ष खाता भी नहीं खोल सका था
  • यादव बेल्ट में शाक्य-लोध-कुर्मी वोटर काफी अहम

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरू के दो चरणों की 113 सीटों पर मतदान खत्म हो चुका है. पहले चरण में जहां जाटलैंड इलाके वाली सीटों पर चुनाव थे तो दूसरे चरण में मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटिंग हुई हैं. वहीं, अब तीसरे चरण में सेंट्रल यूपी के यादव बेल्ट और बुंदेलखंड इलाके की 59 सीटों पर सियासी दलों ने अपनी जोर-आजमाइश शुरू कर दी है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए सत्ता में वापसी लिए यह चरण सबसे अहम है तो बीजेपी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. 

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अब तीसरे चरण का चुनावी संग्राम 

तीसरे चरण में 16 जिलों की 59 सीटों पर कुल 627 उम्मीदवार मैदान में है, जहां पर 20 फरवरी को वोटिंग होनी है. तीसरे चरण में हाथरस, फिरोजाबाद जिले  कासगंज, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर, कानपुर देहात,  जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा जिले की 59 सीटे हैं. बृज और यादव बेल्ट के 7 जिले तो बुंलेदखंड के भी 5 जिले शामिल हैं. 

2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की जिन 59 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें से 90 फीसदी सीटों पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. 2017 के चुनाव में इन 59 सीटों में से 49 सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी जबकि 9 सीट पर सपा और महज एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. बसपा खाता नहीं खोल सकी थी. सत्ता में रहने के बावजूद भी सपा ने अपने गढ़ में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया था और मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने 49 सीटें जीतकर एक नया रेकॉर्ड बनाया. पिछले तीन दशक में किसी भी पार्टी के लिए इस चरण में यह सबसे बड़ी जीत थी. 

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बीजेपी और सपा दोनों के लिए चुनौतियां

तीसरे चरण में बीजेपी के लिए जहां अपनी सीटें बचाने की चुनौती है तो सपा और बसपा की साख दांव पर होगी. पिछली बार चुनावी नतीजो के देखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद ही तीसरे चरण में चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने के लिए मैनपुरी जिले की करहल सीट से उतरे हैं और उनके चाचा शिवपाल यादव इटावा के जसवंतनगर सीट से ताल ठोक रहे हैं. अखिलेश यादव के सामने अपने गढ़ में खिसके सियासी आधार को दोबारा से हासिल करने की है. बुंदेलखंड के जिन जिलों की सीटों पर चुनाव हैं, वहां पर पिछली बार सपा-बसपा-कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. 

दरअसल, एटा, कन्नौज, इटावा, फारुर्खाबाद, कानपुर देहात जैसे जिलों में भी सपा को करारा झटका लगा था. जबकि, 2012 के चुनाव में इन जिलों में सपा ने क्लीन स्वीप किया था. सपा को तीसरे चरण में तब 37 सीटें मिली थीं और 2017 में महज 9 सीटों से संतोष करना पड़ा था. यहां पर बीजेपी का गैर-यादव ओबीसी कार्ड काफी सफल रहा था. शाक्य और लोध वोटर एकमुश्त बीजेपी के पक्ष में गए थे, लेकिन इस बार सपा ने भी इन वोटों को साधने का खास इंतजाम किया. 

हाथरस से लेकर खुशी दुबे तक का मुद्दा

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हाथरस जिले की सीटों का चुनाव भी इसी चरण में हैं, जहां दलित युवती के साथ बलात्कार और हत्या और उसके बाद प्रशासनिक मशीनरी का व्यवहार राष्ट्रीय मुद्दा बन गया था. अखिलेश यादव वोटरों के जेहन में इस मसले को जिंदा रखने के लिए हर महीने 'हाथरस की बेटी स्मृति दिवस' मना रहे हैं. इत्र नगरी कन्नौज पर छापेमारी को सपा एक बड़ा मुद्दा बनाया था और कन्नौज के बदनाम करने का आरोप अखिलेश बीजेपी पर लगाते रहे हैं. 

वहीं, बिकरू कांड वाला इलाका में भी वोटिंग इसी चरण में होनी है. विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर और उसके एक सहयोगी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को जेल भेजा जाना यहां मुद्दा बना हुआ है. विपक्ष इसे ब्राह्मणों के साथ अन्याय बता रही है तो कांग्रेस ने खुशी दुबे की बहन नेहा तिवारी को कल्याणपुर से चुनाव में उतार दिया है. 

कैराना के पलायन को लेकर भले ही सियासी चर्चाएं और भाषणबाजी खूब हुई है,  लेकिन बुंदेलखंड में पलायन जमीनी हकीकत है. पानी और बेरोजगार के सवाल हैं. आवारा पशुओं से किसानों की बर्बाद होती फसल और खनन माफियाओं की भेंट चढ़ती प्राकृतिक संपदा एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है. एक समय बुंदेलखंड बसपा का मजबूत गढ़ हुआ करता था, लेकिन बीजेपी ने 2017 में अपना सियासी आधार मजबूत किया है. यादव बेल्ट के साथ-साथ बुदंलेखंड के इलाके की सीटों पर इस बार कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. 

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हाईप्रोफाइल नेताओं की साख दांव पर
अखिलेश यादव और शिवपाल यादव ही नहीं बल्कि योगी सरकार के कई दिग्गज मंत्रियों की साख भी तीसरे चरण में दांव पर लगी है. अखिलेश के खिलाफ केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो फार्रुखाबाद सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद कांग्रेस से चुनाव लड़ रही हैं. कभी बसपा का ब्राह्मण चेहरे रहे रामवीर उपाध्याय ने बीजेपी के टिकट पर सादाबाद सीट से ताल ठोक रखी है. कानपुर की महाराजपुर सीट पर योगी सरकार के मंत्री सतीश महाना की साख दांव पर लगी है. 

वहीं, कन्नौज सुरक्षिच सीट पर आईपीएस की नौकरी छोड़कर सियासी पिच पर बीजेपी प्रत्याशी के रूप में उतरे असीम अरुण का भी इम्तेहान है. सिरसागंज सीट पर मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं तो कानपुर के किदवई नगर सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय कपूर फिर से मैदान में उतरे हैं. सीसामऊ सीट पर हाजी इरफान सोलंकी हैट्रिक लगाने के लिए उतरे हैं. 

10 जिले में विपक्ष का खाता नहीं खुला था
तीसरे चरण के 16 में से 10 जिलों में बीजेपी ने किसी का खाता नहीं खुलने दिया था, जिसमें बुंदेलखंड के पांचों जिले शामिल थे. सपा 32 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी.  यादव बेल्ट के कासगंज की तीन सीटें और तीनों बीजेपी के खाते में गई. हाथरस की तीनों सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज की थी. एटा की चारों सीटें बीजेपी ने जीती, फरुर्खाबाद की चारों सीटें बीजेपी को मिली. औरैया जिले की तीनों सीट, कानपुर देहात की सभी चारों सीटें बीजेपी ने जीती. वहीं, बुंदेलखंड के जालौन जिले की तीनों सीटें, हमीरपुर की दोनों सीटें, महोबा की दोनों सीटें, झांसी की चारों सीटें और ललितपुर में दोनों सीटें बीजेपी ने जीती थी. 

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वहीं, फिरोजाबाद की पांच में से चार सीटें बीजेपी और एक सीट सपा को मिली थी. ऐसे ही मैनपुरी की चार सीटों में से तीन सीटें सपा और एक सीट बीजेपी को मिली थी. कन्नौज जिले की तीन सीटों में से दो बीजेपी और एक सपा को मिली. इटावा की तीन सीट में से 2 बीजेपी और एक सपा ने जीती थी. वहीं, कानपुर नगर की 10 सीटों में से 7 बीजेपी, 2 सपा और एक कांग्रेस ने जीता था. 

59 सीटों पर होगा 20 फरवरी को मतदान

सादाबाद, सिकंदर राव, जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, सिरसागंज, कासगंज, अमनपुर, पटियाली, अलीगंज, एटाह, मरहारा, मैनपुरी, भोंगांव, करहली, अमृतपुर, फर्रुखाबाद, भोजपुर, छिबरामऊ, तिर्वा, जसवंतनगर, इटावा, बिधूना, दिबियापुर, अकबरपुर-रानिया, सिकंदर, भोगनीपुर, बिठूर, कल्याणपुर, गोविंदनगर, शीशमऊ, आर्य नगर, किदवई नगर, कानपुर छावनी, महाराजपुर, माधौगढ़, कल्पी, झांसी नगर, गरौठा, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा और चरखारी. इसके अलावा एससी सीट हाथरस, टूंडला, जलेसर, किशनी, कैमगंज, कन्नौज, भरथना, औरैया, रसूलाबाद, बिल्हौर, घाटमपुर, बबीना, मौरानीपुर, मेहरोनी और रथ पर भी मतदान होगा. 

 

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