राजस्थान की वह सीट जहां गहलोत-पायलट और राजे के लॉयलिस्ट हैं मैदान में, तीनों की बदल गई है पार्टी

राजस्थान की एक सीट ऐसी है जहां अशोक गहलोत, सचिन पायलट और वसुंधरा राजे, तीनों ही दिग्गजों के लॉयलिस्ट एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं. तीनों ही उम्मीदवार 2018 में भी आमने-सामने थे और 2023 में भी हैं, अंतर ये है कि इस बार तीनों की ही पार्टी बदल गई है. क्यों हो रही है खंडेला सीट की चर्चा?

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सचिन पायलट, अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे (फाइल फोटो) सचिन पायलट, अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:28 AM IST

राजस्थान चुनाव में प्रचार का शोर थम चुका है और अब मतदान की बारी है. 25 नवंबर को मतदान होना है और चुनाव नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. मतदान की घड़ी करीब आने के साथ ही अब बात उन सीटों की भी हो रही है जहां इसबार कुछ अजब-गजब समीकरण देखने को मिल रहे हैं. कहीं दो करीबी आमने-सामने हैं तो कहीं एक ही परिवार के दो लोग. कहीं-कहीं तो सीन इस कदर बदल गया है कि चेहरे वही, पार्टी नई वाली बात सार्थक होती दिख रही है.

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ऐसी ही एक सीट है राजस्थान की खंडेला विधानसभा. सीकर जिले की खंडेला विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे तीन प्रमुख चेहरे वही हैं जो 2018 में भी थे. बस पार्टी बदल गई है. एक खास बात ये भी है कि सूबे की सत्ता के शीर्ष पर काबिज होने के तीन दावेदारों- अशोक गहलोत, सचिन पायलट और वसुंधरा राजे में से तीनों के ही लॉयलिस्ट एक-दूसरे को चुनावी चुनौती दे रहे हैं.

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कांग्रेस ने महादेव सिंह खंडेला को टिकट दिया है. खंडेला की गिनती अशोक गहलोत के वफादार नेताओं में होती है. वह पिछले यानी 2018 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए थे और जीतकर विधानसभा भी पहुंचे. 2018 के निर्दलीय महादेव इस बार कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं. वहीं, 2018 में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सुभाष मील अबकी बीजेपी के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं. सुभाष मील की गिनती सचिन पायलट के करीबियों में होती हैं.

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महादेव सिंह खंडेला (फाइल फोटो)

कांग्रेस ने अबकी टिकट नहीं दिया तो मील ने पार्टी बदल दी. पिछली बार बीजेपी के उम्मीदवार रहे बंशीधर बाजिया अबकी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं. बंशीधर को वसुंधरा राजे का समर्थक माना जाता है. खंडेला सीट पर अशोक गहलोत, सचिन पायलट और वसुंधरा राजे, तीनों ही नेताओं के वफादार चुनाव मैदान में एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं, अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं.

पायलट के लॉयलिस्ट सुभाष मील भी हैं चुनाव मैदान में (फाइल फोटोः फेसबुक)

अब एक पहलू ये भी है कि पिछली बार भले ही बीजेपी के बाजिया हार गए थे, यह सीट लंबे समय से बाजिया परिवार का गढ़ रही है. जाट बाहुल्य इस सीट पर अधिकतर बाजिया या उनके परिवार का कोई सदस्य, रिश्तेदार ही विजयश्री पाते रहे हैं. बाजिया के साथ ही बाकी दोनों उम्मीदवार भी जाट समाज से ही आते हैं.

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बाजिया 2023 के चुनाव में भी जीत का दावा कर रहे हैं. उनका दावा ये भी है कि बीजेपी के 90 फीसदी कार्यकर्ता उनके साथ हैं. अब बाजिया के दावे में कितना दम है, खंडेला क्या खंडेला विजय में कामयाब हो पाएंगे या मील कमल खिलाएंगे? इसे लेकर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता 25 नवंबर को अपना मत ईवीएम में कैद करेंगे. परिणाम क्या होगा, ये तो 3 दिसंबर को पता चलेगा जब वोट गिने जाएंगे. लेकिन तीन शीर्ष नेताओं के तीन वफादार जाट नेताओं के बीच दिलचस्प मुकाबले से खंडेला सीट चर्चा में है.

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