तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद निर्वाचन आयोग (ईसीआई) और पार्टी के बीच तल्खी और बढ़ती नजर आई. आयोग ने एक तरफ जहां पश्चिम बंगाल सरकार को अहम निर्देश दिए, वहीं दूसरी ओर टीएमसी नेतृत्व और उसके जमीनी कार्यकर्ताओं को कड़ी चेतावनी भी जारी की.
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार को प्रत्येक बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को आयोग से अनुमोदित मानदेय की राशि का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए. आयोग ने इसे चुनावी प्रक्रिया की सुचारु व्यवस्था के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि बीएलओ मतदाता सूची से जुड़े कार्यों की रीढ़ होते हैं और उनके भुगतान में किसी भी प्रकार की देरी स्वीकार्य नहीं होगी.
मलिन बस्तियों में मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे
आयोग ने टीएमसी प्रतिनिधिमंडल को यह भी जानकारी दी कि मतदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ऊंची इमारतों, गेटेड कम्युनिटीज यानी हाउसिंग सोसाइटीज और मलिन बस्तियों में मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इसका उद्देश्य मतदान प्रतिशत बढ़ाना और लोगों को अधिक सुलभ तरीके से मतदान का अवसर उपलब्ध कराना है.
हालांकि, बैठक के बाद माहौल उस समय गर्म हो गया जब तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने निर्वाचन सदन के बाहर आयोग पर तीखा हमला बोला. उन्होंने आयोग की कार्यप्रणाली और मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए और सार्वजनिक रूप से असंतोष जताया.
चुनाव आयोग ने दी चेतावनी
अभिषेक बनर्जी के बयान के तुरंत बाद निर्वाचन आयोग ने भी सख्त रुख अपनाते हुए जवाबी बयान जारी किया. आयोग ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके जमीनी स्तर के राजनीतिक प्रतिनिधि और कार्यकर्ता चुनावी ड्यूटी में लगे किसी भी कर्मचारी को धमकी देने या डराने-धमकाने में शामिल न हों.
निर्वाचन आयोग ने चेतावनी दी कि कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करने वाले किसी भी शरारती तत्व के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. आयोग ने साफ शब्दों में कहा कि बीएलओ, ईआरओ, एईओ, पर्यवेक्षक समेत किसी भी चुनावी कर्मचारी को धमकाना या दबाव में लेने का प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
संजय शर्मा