बिहार चुनाव के पहले चरण की विधानसभा सीटों के लिए नामांकन की अंतिम तारीख करीब आ गई है और विपक्षी महागठबंधन में उम्मीदवारों की कौन कहे, अभी सीटें भी तय नहीं हो पाई हैं. कांग्रेस 60 से ज्यादा सीटों की डिमांड पर अड़ी हुई है. सूबे में विपक्षी गठबंधन की अगुवाई कर रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने कांग्रेस के लिए 58 सीटों की लिमिट तय कर दी है.
कांग्रेस बिहार की 65 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. सीटों की संख्या को लेकर कांग्रेस और आरजेडी में जबरदस्त तकरार देखने को मिल रही है. आरजेडी ने जहां कांग्रेस के लिए 58 सीटों की लिमिट य कर दी है, वहीं ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने लालू यादव की पार्टी के लिए 138 सीटें देने का फॉर्मूला तय कर रखा है.
कांग्रेस के फॉर्मूले में मुकेश सहनी की अगुवाई वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और लेफ्ट पार्टियों को 40 सीटों पर संतुष्ट करने की बात है. सीट बंटवारे पर फंसे पेच के बीच ही गठबंधन में शामिल पार्टियों ने अपने-अपने कैंडिडेट उतारने भी शुरू कर दिए हैं. आरजेडी की ही बात करें तो सीटों की संख्या का ऐलान नहीं हुआ, लेकिन पार्टी अब तक 71 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए सिंबल दे चुकी है.
महागठबंधन के ही घटक सीपीआई (एमएल) भी 18 उम्मीदवारों को सिंबल दे चुकी है. उम्मीदवार उतारने की होड़ में सीपीआई और सीपीएम भी पीछे नहीं हैं. सीपीआई छह उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी है और दावा किया है कि चार और सीटों पर कैंडिडेट उतारने का दावा किया है. पार्टी का कहना है कि सहमति बनने के बाद इन सीटों के लिए भी उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया जाएगा.
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सीपीएम के भी एक उम्मीदवार ने नामांकन कर दिया है. पार्टी के दूसरे उम्मीदवार के भी16 अक्टूबर को नामांकन करने की चर्चा है. वहीं, मुकेश सहनी भी कुछ सीटों पर सिंबल दे चुके हैं, जिन पर आरजेडी भी दावेदारी कर रही है. मुकेश सहनी की अगुवाई वाली वीआईपी को आरजेडी 12 सीटें देने को तैयार है. मुकेश सहनी कम से कम 20 सीटों की डिमांड पर अड़े हुए हैं.
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मुकेश सहनी अपनी पार्टी का कोटा यानी गठबंधन में सीटों की संख्या लगातार कम होते देख बेचैनी में हैं. महागठबंधन का हर घटक अपनी डिमांड पर अड़ा हुआ है. ऐसे में चर्चा इस बात की भी है कि ऐसा ही रहा और सीटों का पेच जल्द नहीं सुलझा, तो कुछ सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों में फ्रेंडली फाइट भी देखने को मिल सकती है.
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गौरतलब है कि तेजस्वी यादव दो दिन पहले दिल्ली में थे. तेजस्वी यादव कांग्रेस नेताओं के साथ मीटिंग यह बोलते हुए छोड़कर चले गए थे कि ऐसे गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता. तेजस्वी ने कांग्रेस नेताओं की बात पर यह भी कहा था कि देखेंगे, बताएंगे. तेजस्वी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात किए बगैर ही दिल्ली से पटना लौट आए थे.
शशि भूषण कुमार