बिहार चुनाव 2025: बिहार में नामांकन की आखिरी तारीख नजदीक, महागठबंधन अब तक बातचीत में उलझा

बिहार विधानसभा चुनाव 2024 के लिए एनडीए ने भाजपा और जेडीयू को बराबर सीटें दी हैं, जबकि छोटे सहयोगी दलों को बाकी सीटें मिली हैं. विपक्षी महागठबंधन अभी भी सीट बंटवारे पर बातचीत कर रहा है. नामांकन की अंतिम तिथि 17 और 20 अक्टूबर है.

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बिहार विधानसभा चुनाव में नामांकन की तिथि अब करीब है (Photo: ITG) बिहार विधानसभा चुनाव में नामांकन की तिथि अब करीब है (Photo: ITG)

दीपू राय

  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:58 PM IST

बिहार में चुनाव की तारीखें आ गई हैं. सीट शेयरिंग, टिकट वितरण व अन्य चुनावी तैयारियों को लेकर जद्दोजहद जारी है. बिहार में गठबंधन अभी सीट-बंटवारे के सौदे और उम्मीदवारों की लिस्ट तो अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 17 अक्टूबर और 20 अक्टूबर है. एनडीए ने भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) के बीच सीटों को बराबर बांटा है.

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विपक्षी महागठबंधन अभी भी बातचीत कर रहा है और जन सुराज पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, और आम आदमी पार्टी जैसी छोटी पार्टियां उम्मीदवारों के नाम घोषित कर रही हैं. कुल मिलाकर इस बार का बिहार चुनाव एक तरीके से उम्मीदवारों की भीड़ से भरा हो सकता है. 
 
इस चुनाव में क्या नया देखने को मिलेगा और वह कितना महत्व रखने वाला है, इस बारीकी पर डालते हैं एक नजर-


नया क्या: एनडीए ने अपने सीट शेयरिंग फॉर्मूले को अंतिम रूप दे दिया है, जिसमें भाजपा और जेडीयू प्रत्येक 101 सीटों पर लड़ेंगी. छोटे सहयोगी दलों को बाकी 41 सीटें मिलेंगी.
क्यों महत्वपूर्ण: यह 2005 के बाद पहली बार है जब जेडीयू और भाजपा बराबर संख्या में सीटों पर लड़ेंगी, जो एनडीए के भीतर सत्ता के संतुलन का संकेत देता है. नामांकन के लिए महज चार दिन बाकी होने के साथ, प्रतिद्वंद्वी गुटों को अभी अपने सीट-बंटवारे के सौदे तय करने हैं.

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आंकड़ों पर नजर-

कुल सीटें: 243
एनडीए की सीटें: भाजपा – 101 | जेडीयू – 101 | एलजेपी (राम विलास) – 29 | एचएएम(एस) – 6 | राष्ट्रीय लोक मोर्चा – 6

एनडीए द्वारा घोषित उम्मीदवार: नौ (3.7 प्रतिशत)
महागठबंधन द्वारा घोषित उम्मीदवार: चार (1.6 प्रतिशत)
जेएसपी द्वारा घोषित उम्मीदवार: 116 (47.7 प्रतिशत)
नामांकन की अंतिम तिथि (चरण 1): 17 अक्टूबर

 
विस्तार से: एनडीए ने रविवार को नई दिल्ली में बैठक के बाद अपनी सीट वितरण की घोषणा की. जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा और भाजपा के चुनाव प्रभारी विनोद तावड़े ने सोशल मीडिया पर विवरण साझा किए. दोनों ने कहा कि समझौता "सौहार्दपूर्ण माहौल" में हुआ.

इस समझौते के तहत, भाजपा और जेडीयू प्रत्येक 101 सीटों पर लड़ेंगी. चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को 29 सीटें मिलेंगी. उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) को प्रत्येक छह सीटें मिलेंगी.

यह विभाजन एनडीए के दो सबसे बड़े भागीदारों के बीच समानता को सामने रखता है. 2020 में जेडीयू ने 115 सीटों पर और भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इस बार दोनों पार्टियों को बराबरी का आधार मिला है, क्योंकि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिर से सत्ता में लाने का प्रयास कर रही हैं.

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मांझी, जिन्होंने पहले 20 सीटों की मांग की थी, ने छह सीटों से "संतुष्ट" होने की बात कही. बाद में उन्होंने एक मीडिया बातचीत में कहा कि, उनकी पार्टी को "कम आंका गया" है. हालांकि, उम्मीदवारों की सूची घोषित करने के लिए सोमवार को तय एनडीए की प्रेस कॉन्फ्रेंस को कुछ सीटों पर असहमति के कारण स्थगित कर दिया गया है. 

उधर, विपक्षी नेताओं ने भी इस सौदे को खारिज किया है. आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि यह दिखाता है कि "भाजपा चिराग पासवान के आगे सरेंडर कर चुकी है." सांसद पप्पू यादव का दावा है कि यह नीतीश कुमार को हाशिए पर धकेलने की तैयारी है. इंडिया ब्लॉक के भीतर सीट-बंटवारे की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने अब तक केवल चार उम्मीदवार घोषित किए हैं.

मुख्य गठबंधनों के बाहर, कई क्षेत्रीय और छोटी पार्टियां स्वतंत्र रूप से उम्मीदवार घोषित करना शुरू कर चुकी हैं. प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जन सुराज पार्टी सभी 243 सीटों पर लड़ने की योजना बना रही है और अब तक 116 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. अख्तरुल इमान के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने 32 विधानसभाओं के लिए उम्मीदवारों के नाम बताए हैं. राकेश यादव के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने 11 उम्मीदवार घोषित किए हैं. रामजी गौतम के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी और जौहर आजाद के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) भी मैदान में हैं लेकिन अभी अपनी सूचियां अंतिम रूप नहीं दे पाई हैं. 

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ये छोटी पार्टियां राज्यव्यापी सीट गिनती को प्रभावित न कर सकें, लेकिन वे पारंपरिक वोट बैंक को विभाजित करके करीबी मुकाबलों के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं.  

बड़ी तस्वीर: विपक्ष की देरी की तुलना में एनडीए का त्वरित समझौता उन्हें मजबूत स्थिति में रखता है. जेडीयू और भाजपा के बीच समान वितरण पिछली चुनावों में चिह्नित आंतरिक घर्षण को कम कर सकता है. जैसे-जैसे उम्मीदवारों की सूचियां सामने आ रही हैं, गठबंधनों की स्थानीय अपेक्षाओं को प्रबंधित करने की क्षमता राज्य के राजनीतिक नक्शे को आकार देगी.  

 किसने क्या कहा: 

जेडीयू के संजय कुमार झा ने कहा  "हम एनडीए के सहयोगी मित्रों ने सौहार्दपूर्ण माहौल में सीटों का वितरण पूरा कर लिया है. हम एकजुट होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं," भाजपा के चुनाव प्रभारी विनोद तावड़े ने कहा "एनडीए परिवार के सभी सदस्यों ने आपसी सहमति से वितरण पूरा कर लिया है," वहीं जीतन राम मांझी ने कहा कि, 
"उन्होंने हमें कम आंका है.

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