राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से निष्कासित होने के बाद अपनी नई पार्टी जन शक्ति जनता दल (JSJD) बनाकर मैदान में उतरे तेज प्रताप यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी राजनीतिक रणनीति को लेकर बड़ा बयान दिया है. तेज प्रताप महुआ सीट से उम्मीदवार हैं, जहां पहले चरण में मतदान पूरा हो चुका है.
उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी किसी भी ऐसी सरकार के साथ जाएगी, जो रोजगार देगी, पलायन रोकेगी और बिहार में वास्तविक बदलाव लाने का काम करेगी.
बिहार की महुआ सीट से सियासी किस्मत आजमा रहे तेज प्रताप ने कहा, "किसकी भी सरकार रहेगी, जो आम जनमानस को रोजगार देगा, पलायन को रोकेगा, बिहार में बदलाव लाने का काम करेगा, हम उसके साथ रहेंगे." उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, क्योंकि इसे चुनाव परिणामों के बाद संभावित गठबंधन संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या भविष्य में वे खुद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो सकते हैं, तेज प्रताप ने मुस्कुराते हुए कहा, "देखिए, वो तो बाद की बात है. जनता मालिक है, जनता बनाती है, बिगाड़ती है, सब जनता के हाथ में है."
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उन्होंने कहा कि उनकी राजनीति किसी विरासत की नहीं बल्कि सामाजिक न्याय और संपूर्ण क्रांति की विचारधारा पर आधारित है.
लालू प्रसाद यादव की विरासत को मुख्यमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाने के सवाल पर तेज प्रताप ने स्पष्ट किया, "कौन सी विरासत? विरासत तो लोहिया जी, कर्पूरी ठाकुर जी और जननायक जयप्रकाश नारायण जी की है. लालू जी भी उसी विचारधारा से निकले हैं. हम उसी समाजवादी सोच और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चल रहे हैं."
तेज प्रताप नेकदिल इंसान: बीजेपी सांसद रवि किशन
बीजेपी ने तेज प्रताप यादव को स्पष्ट इशारा किया है कि वह चाहें तो बीजेपी के साथ जा सकते हैं. पटना में सांसद रवि किशन ने तेज प्रताप यादव की तारीफ करते हुए कहा, “वे बहुत ही नेकदिल इंसान हैं, भोलेनाथ के भक्त हैं. बीजेपी का दिल उन सभी के लिए खुला है जिनका उद्देश्य सेवा है."
बता दें कि गुरुवार को बिहार में पहले चरण का मतदान हो चुका है, जिसमें 64.66 प्रतिशत की रिकॉर्ड वोटिंग हुई है, जिसे लेकर तमाम दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. तेज प्रताप का यह बयान ऐसे समय आया है जब आरजेडी नेतृत्व, विशेषकर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद की मुख्य दावेदारी में हैं.
तेज प्रताप का यह रुख संकेत देता है कि वे अपने राजनीतिक अस्तित्व को आरजेडी से अलग लेकिन विचारधारा से जुड़ा रखकर नई दिशा में ले जाना चाहते हैं. अब देखना यह होगा कि मतगणना के बाद जन शक्ति जनता दल किस भूमिका में नजर आती है- सत्ता की साझेदार या विपक्ष की नई आवाज़ के रूप में.
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