बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को जारी होने वाली है, लेकिन इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने स्पष्ट कहा कि अगर बड़े पैमाने पर नाम काटे गए या ज़िंदा लोगों को मृत घोषित कर सूची से हटाया गया है, तो सुप्रीम कोर्ट फौरन दखल देगा. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगर उन्हें कोई गड़बड़ी नजर आती है, तो वे ऐसे मामलों के उदाहरण सामने रखें, जहां जिंदा लोगों को मृत बताकर हटाया गया हो.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर राजनीतिक दलों को NGO की तरह आम लोगों को मदद देने के लिए आगे आना चाहिए, ताकि लोग यह जांच सकें कि उनके नाम वोटर लिस्ट में हैं या नहीं. बेंच ने यह भी टिप्पणी की कि भारत का चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और जहां तक उसके वैध निर्णयों का संबंध है, चुनाव आयोग द्वारा लिए गए किसी भी कार्य या निर्णय को सही माना जाएगा.
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि ECI की प्रेस विज्ञप्ति में खुद कहा गया है कि 65 लाख लोगों को 'मृत या निवास पर नहीं पाए जाने' के कारण लिस्ट से हटाया जा रहा है. इसका मतलब है कि लाखों लोगों को दोबारा आवेदन करना होगा, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ECI के दिशा-निर्देशों में सुधार और आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया मौजूद है और जब ड्राफ्ट लिस्ट 1 अगस्त को आएगी, तब लोग जान पाएंगे कि उनके नाम सूची में हैं या नहीं. कोर्ट ने कहा कि अगर बड़े पैमाने पर लोगों के नाम हटाए गए हैं, तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे. हमें बताएं.हमें 15 ऐसे उदाहऱण बताएं जिनका नाम मृतक के रूप में काटा गया है, लेकिन वे जीवित हैं. हम हस्तक्षेप करेंगे.
आपत्ति दर्ज कराने के लिए 31 दिन का समय
ECI की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि जिनके नाम हटे हैं, उनके पास 31 दिन का समय होगा आपत्ति दर्ज कराने और जरूरी दस्तावेज देने के लिए. 31 सितंबर तक अंतिम सूची प्रकाशित करने का लक्ष्य है.
सुप्रीम कोर्ट 12-13 अगस्त को करेगा अंतिम सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की संवैधानिक वैधता और ECI की प्रक्रिया पर अंतिम बहस 12 और 13 अगस्त को करेगा. कोर्ट ने कहा कि 1 अगस्त को ड्राफ्ट लिस्ट आ जाने के बाद 12 अगस्त तक तस्वीर साफ हो जाएगी, और तब इस मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई की जाएगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि बहुत सी याचिकाएं कॉपी-पेस्ट जैसी हैं, इसलिए बहस में दोहराव से बचा जाए. साथ ही जो पक्ष हस्तक्षेप करना चाहते हैं वे कर सकते हैं, लेकिन समय की बर्बादी नहीं होनी चाहिए.
अनीषा माथुर