बिहार में चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर में एक रैली को संबोधित किया जहां उन्होंने लोगों को शहर के चर्चित गोलू अपहरण कांड की याद दिलाई और महागठबंधन पर तंज कसा. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या था गोलू अपहरण कांड जिसका जिक्र कर पीएम मोदी ने लालू यादव और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. बिहार में जिस वक्त गोलू का अपहरण हुआ था उस समय बिहार में लालू यादव की पार्टी का शासन था.
साल 2001 में हुआ था गोलू अपहरण कांड
साल 2001 में मुजफ्फरपुर में गोलू नाम के मासूम बच्चे को पहले अगवा कर लिया गया था और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी. गोलू का शव मिलने के बाद पूरा शहर गुस्से में उबल पड़ा था. लोगों ने मुख्य सड़क से लेकर शहर की गलियों तक को जाम कर रखा था और हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पूरा शहर बंद कर दिया था. बीते साल ही पुलिस ने इस मामले को फिर से खोला है.
हेलीकॉप्टर से भेजे गए थे नए एसपी
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देखते ही देखते पूरा शहर हिंसा की चपेट में आ गया. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला कर दिया, नगर थाना, नाका थाना और पुलिस पिकेट को आग के हवाले कर दिया गया. उस समय हालात इतने बिगड़ गए थे कि खाकी वर्दी पहनकर निकलना भी पुलिसकर्मियों के लिए खतरे से खाली नहीं था.
स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग की थी, कई लोग घायल हुए थे और शहर में लगातार दो दिनों तक तनाव का माहौल बना रहा. हालात संभालने के लिए तत्कालीन सरकार को पटना से हेलीकॉप्टर द्वारा आईपीएस अधिकारी रविन्द्र कुमार सिंह को मुजफ्फरपुर भेजना पड़ा था, जबकि तत्कालीन एसपी नय्यर हसनैन खान को वापस बुला लिया गया था.
23 साल बाद फिर खुला केस
घटना के 23 साल बाद साल 2024 में फिर से इस केस को खोला गया है. पुलिस ने इस मामले में कुल 32 लोगों को नामजद किया गया था, जबकि सैकड़ों अज्ञात भी शामिल थे. इनमें से 10 आरोपी पहले से ही जमानत पर हैं. इस मामले में कई ऐसे नाम शामिल हैं जो अब अलग-अलग राजनीतिक दलों में महत्वपूर्ण पदों पर हैं. पुलिस की कार्रवाई की खबर से इन लोगों में खलबली मच गई है.
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