बेरोजगारी, पलायन और SIR... जान‍िए- कैसे बिहार के सुशासन मॉडल की हवा निकालने की जुगत में है कांग्रेस?

छठ पूजा के बाद बिहार की सियासत गरमाने वाली है. कांग्रेस ने चुनावी मोर्चे पर बेरोजगारी, पलायन और SIR जैसे मुद्दों को हथियार बनाकर नीतीश कुमार के 'सुशासन मॉडल' को घेरने की तैयारी कर ली है. राहुल गांधी खुद महागठबंधन के चेहरे के तौर पर मैदान में उतरेंगे और NDA सरकार से बीते 20 साल के कामकाज पर जवाब मांगेंगे.

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चुनावी रणभूमि में कांग्रेस का एजेंडा तय चुनावी रणभूमि में कांग्रेस का एजेंडा तय

राहुल गौतम

  • पटना,
  • 29 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST

छठ पूजा के बाद बिहार विधानसभा चुनावी माहौल गरमाने वाला है. स‍ियासत की ब‍िसात ब‍िछ चुकी है. इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि वो महागठबंधन के पक्ष में माहौल बना पाएगी और इसके लिए पार्टी ने एनडीए के सुशासन मॉडल पर सीधा हमला बोलने की तैयारी कर ली है. अब देखना ये है कि ये चुनावी पैंतरे वोटर्स के दिल की गहराई में कहां तक पहुंच पाएंगे. 

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कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन और रणनीति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने इंडिया टुडे को बताया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी खुद इस बार के चुनाव में मोर्चा संभालेंगे और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को दो बड़े मुद्दों बेरोजगारी और पलायन पर घेरेंगे. कांग्रेस को भरोसा है कि इन दोनों मसलों पर हमला एनडीए के लिए दोहरी मुश्किल साबित होगा क्योंकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पहले ही 'हर घर एक नौकरी' का वादा कर चुके हैं.

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी SIR (Special Summary Revision) वाले मुद्दे को भी चुनाव अभियान में उठाती रहेगी, भले ही चुनाव आयोग ने इसे एक सफल अभ्यास बताया हो. कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद इस मुद्दे पर काफी चर्चा बनी थी और अब पार्टी उसी पर आगे काम करेगी. एक पार्टी नेता ने कहा कि चुनाव आयोग कुछ भी कहे, लेकिन हम अभी तक SIR प्रक्रिया को समझ नहीं पा रहे हैं. इसमें पारदर्शिता की भारी कमी है. लाखों नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए और ये बिहार जैसे राज्य के लिए बहुत बड़ा मुद्दा है.

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कांग्रेस अपने पुराने दो बड़े मुद्दों सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा को इस चुनाव में भी केंद्र में रखेगी. इन्हीं मुद्दों ने पार्टी को लोकसभा चुनाव में 52 से 99 सीटों तक पहुंचाया था. पार्टी सूत्रों का कहना है कि जहां शीर्ष नेतृत्व राज्य स्तर पर महागठबंधन के पक्ष में माहौल बनाएगा, वहीं स्थानीय स्तर पर उम्मीदवारों को 'लोकल इश्यूज' उठाने की रणनीति अपनाने को कहा गया है ताकि पिछले 20 सालों की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाया जा सके.

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कई पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस की यह ‘वोकल फॉर लोकल’ वाली रणनीति ही कर्नाटक में जीत और हरियाणा में हार की वजह रही थी. अब पार्टी यही फॉर्मूला बिहार में आजमाने जा रही है.

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