बिहार में फिर नीतीशे सरकार या तेजस्वी के हाथ कमान? कुछ देर में आएंगे Exit Polls

Bihar Election Exit Poll 2025 Result: बिहार चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण की वोटिंग चल रही है. चुनाव नतीजे 14 नवंबर को आने हैं, लेकिन इससे पहले एग्जिट पोल के अनुमान कुछ देर में आएंगे.

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Bihar Election 2025 Exit Poll Bihar Election 2025 Exit Poll

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:01 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों के लिए मतदान चल रहा है. दूसरे चरण में 122 सीटों पर 1302 उम्मीदवार मैदान में हैं. 3 करोड़ 70 लाख से अधिक मतदाता अपना फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कैद कर रहे हैं. चुनाव नतीजे 14 नवंबर को आएंगे, लेकिन इससे पहले एग्जिट पोल के अनुमान कुछ देर में आएंगे.

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बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार है. साल 2005 से 2020 तक, हर विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले गठबंधन को ही जीत मिली है. 2015 के चुनाव में महागठबंधन को जीत मिली थी, तब नीतीश कुमार की अगुवाई वाला जनता दल (यूनाइटेड) भी इसमें शामिल था. इस बार के चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच ही माना जा रहा है.

चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज, असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चुनावी फाइट बहुकोणीय बनाने की कोशिश में थीं. इस बार एनडीए को महागठबंधन के साथ ही पीके की पार्टी से भी कड़ी टक्कर मिल रही है. बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और इनमें से 121 सीटों के लिए पहले चरण में 6 नवंबर को वोट डाले गए थे. पहले फेज में 65  फीसदी से अधिक मतदान हुआ था. 

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क्या होते हैं एग्जिट पोल?

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एग्जिट पोल से चुनावी नतीजों की एक संभावित तस्वीर पता चलती है. दरअसल, एग्जिट पोल एक तरह से सर्वे होता है. इसमें मतदाताओं से कई सवाल किए जाते हैं. उनसे यह जानने की कोशिश की जाती है कि वह किसे वोट देकर आए हैं. ये सर्वे वोटिंग वाले दिन ही वोट देकर आने वाले लोगों से किए जाते हैं, इसीलिए इन्हें एग्जिट पोल कहा जाता है.

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सर्वे करने वाली एजेंसियों की टीम मतदान केंद्र के बाहर वोट डालकर आने वाले मतदाताओं से सवाल करती है. वोट डालकर आए मतदाताओं की राय जानने के बाद इसका एनालिसिस किया जाता है. एनालिसिस के बाद इसके आधार पर ही चुनाव नतीजों के अनुमान लगाए जाते हैं. भारत में कई सारी एजेंसियां एग्जिट पोल करवाती हैं.

एग्जिट पोल को लेकर क्या हैं गाइडलाइंस?

एग्जिट पोल को लेकर कुछ गाइडलाइंस भी हैं. देश में पहली बार 1998 में एग्जिट पोल को लेकर गाइडलाइंस जारी हुई थीं. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 में भी यह प्रावधान है कि जब तक सभी फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद भी आधे घंटे तक एग्जिट पोल नतीजे दिखाने पर रोक है.

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भारत के कानून में यह प्रावधान भी है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान अगर कोई एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा सर्वे दिखाता है, चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है, तो उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है. एग्जिट पोल्स को लेकर सख्त गाइडलाइंस हैं.

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