India-Pakistan War: हलगाम हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें सिंधु जल संधि को समाप्त करने, पाकिस्तानियों के वीजा रद्द करने जैसे अहम निर्णय शामिल हैं. इन घटनाओं के बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका और सैन्य ताकत पर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं. हर तरफ यह सवाल उठ रहा है कि अगर युद्ध हुआ तो किसकी सेनाएं किस हद तक टिक सकती हैं और क्या परिणाम हो सकते हैं.
इस बीच, हमने ग्रोक से पूछा कि अगर युद्ध होता है, तो पाकिस्तान की सेना भारत के सामने कितनी देर तक टिक पाएगी. ग्रोक के विश्लेषण के अनुसार, अगर युद्ध सीमित क्षेत्र में हुआ तो पाकिस्तान की सेना कुछ हफ्तों तक अपनी स्थिति बनाए रख सकती है. हालांकि, अगर यह युद्ध पूरी तरह से विस्तृत होता है, तो पाकिस्तान की सेना 4-10 दिनों से ज्यादा टिकने की संभावना कम है. इसका मुख्य कारण है गोला-बारूद और आर्थिक संसाधनों की कमी, जो पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को प्रभावित कर सकती है.
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति में पाकिस्तानी सेना की टिकने की अवधि कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे युद्ध का प्रकार (पूर्ण युद्ध या सीमित संघर्ष), दोनों देशों की सैन्य ताकत, आर्थिक स्थिति, अंतरराष्ट्रीय समर्थन, और रणनीतिक तैयारी. हाल के विश्लेषणों और उपलब्ध जानकारी के आधार पर, निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार किया जा सकता है
सैन्य ताकत की तुलना:
भारत: ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारत की सेना दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना है, जिसमें 14.55 लाख सक्रिय सैनिक, 11.55 लाख रिजर्व सैनिक, 4,614 टैंक, 2,229 एयरक्राफ्ट (600 फाइटर जेट सहित), और 150 युद्धपोत (2 एयरक्राफ्ट कैरियर सहित) हैं. भारत की उन्नत मिसाइलें (जैसे अग्नि-5, ब्रह्मोस) और उच्च ऊंचाई वाले युद्ध में विशेषज्ञता इसे मजबूत बनाती है. वहीं, पाकिस्तान की सेना में लगभग 5.6 लाख सक्रिय सैनिक, 2,496 टैंक, 425 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, और छोटा नौसैनिक बेड़ा है. पाकिस्तान के पास शाहीन-3 जैसी मिसाइलें हैं, लेकिन इसकी सैन्य तकनीक और संसाधन भारत से कम हैं.
गोला-बारूद और संसाधनों की कमी:
हाल की कुछ रिपोर्ट्स और एक्स पर पोस्ट्स में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के पास गोला-बारूद की भारी कमी है, खासकर यूक्रेन को हथियार बेचने के बाद. इनके अनुसार, पाकिस्तानी सेना उच्च-तीव्रता वाले युद्ध में केवल 96 घंटे (4 दिन) तक टिक सकती है. हालांकि, यह जानकारी खुफिया रिपोर्टों पर आधारित है और इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है. पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था (भारत की जीडीपी से 10 गुना कम) और बढ़ते कर्ज के कारण लंबे युद्ध को बनाए रखने की क्षमता सीमित है.
पिछले युद्धों का इतिहास:
1947-48: पहला कश्मीर युद्ध, जिसमें भारत ने कश्मीर के दो-तिहाई हिस्से पर नियंत्रण हासिल किया.
1965: 17 दिन तक चला युद्ध, जिसमें कोई निर्णायक विजेता नहीं रहा, लेकिन भारत की स्थिति मजबूत थी.
1971: 13 दिनों में भारत ने निर्णायक जीत हासिल की, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ. पाकिस्तान ने अपनी आधी नौसेना, एक-चौथाई वायुसेना, और एक-तिहाई सेना खो दी.
1999 (कारगिल): भारत ने 2 महीने में पाकिस्तानी घुसपैठियों को हटाकर विजय प्राप्त की.
इन युद्धों में भारत ने हमेशा बेहतर प्रदर्शन किया, खासकर 1971 में, जब पाकिस्तान ने जल्दी हार मान ली.
वर्तमान परिदृश्य:
विशेषज्ञों का अनुमान है कि पूर्ण युद्ध में पाकिस्तान 7-10 दिन तक टिक सकता है, जबकि सीमित संघर्ष में 2-3 सप्ताह तक हाई अलर्ट पर रह सकता है. परमाणु हथियारों की मौजूदगी (भारत: 120-130, पाकिस्तान: 150-170) पूर्ण युद्ध को कम संभावित बनाती है, क्योंकि यह दोनों देशों के लिए विनाशकारी होगा. अंतरराष्ट्रीय समर्थन में भारत को रूस, अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों का साथ मिल सकता है, जबकि पाकिस्तान को मुख्य रूप से चीन और कुछ हद तक तुर्की का समर्थन है.
हालांकि, ये अनुमान सैद्धांतिक हैं और वास्तविक युद्ध की स्थिति में कई अप्रत्याशित कारक प्रभाव डाल सकते हैं. परमाणु युद्ध की संभावना दोनों पक्षों को संयम बरतने के लिए मजबूर करती है. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि युद्ध की स्थिति में मानवीय और आर्थिक नुकसान दोनों देशों के लिए भारी होगा, इसलिए कूटनीतिक समाधान हमेशा बेहतर विकल्प है. कुछ दावे, जैसे "पाकिस्तान केवल 4 दिन टिकेगा," खुफिया रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्ट्स पर आधारित हैं, जिनकी पुष्टि नहीं हुई है. इसलिए, इनका उपयोग सावधानी से करना चाहिए.
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