UPPSC RO-ARO भर्ती एग्जाम पर इतना हंगामा क्यों बरपा? जानिए अभ्यर्थ‍ियों के आक्रोश की वजहें

UPPSC की ओर से आयोजित होने वाले आरओ एआरओ एग्जाम को लेकर अभ्यर्थ‍ियों में रोष है. दिल्ली से लेकर यूपी की सड़कों तक अभ्यर्थ‍ियों का प्रदर्शन जारी है. छात्र लगातार इस भर्ती परीक्षा को एक श‍िफ्ट में कराने की मांग उठा रहे हैं. आइए जानते हैं इस हंगामे के पीछे आख‍िर खास वजह क्या है.

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प्रदर्शन करते छात्र प्रदर्शन करते छात्र

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 11 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आंदोलित छात्रों में आक्रोश चरम पर है. 11 नवंबर यानी आज हजारों की संख्या में छात्र यूपी पीएससी के ख‍िलाफ सड़कों पर है. छात्रों का कहना है कि बीते दो साल से आयोग परीक्षा करा पाने में विफल रहा है. इसी साल की शुरुआत यानी जनवरी 2024 में आयोग ने उत्तर प्रदेश सिविल सर्विसेज का नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसकी परीक्षा मार्च माह में लंबित थी, जिसको फ‍िर अक्टूबर माह के लिए टाल दिया गया.

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इसके बाद आयोग की एक और परीक्षा समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी 11 फरबरी को आयोजित की गई थी परन्तु पेपर लीक होने के वजह से इसको निरस्त कर दिया गया था. इन दोनों परीक्षाओं को अक्टूबर माह में आयोजित करने के लिए प्रस्तावित किया गया था. फ‍िर अचानक आरओ एआरओ को दिसंबर माह में कराने की घोषणा की जाती है. इसके साथ ही छात्रों दो शिफ्ट में पेपर करने के लिए कहा गया, जिससे छात्रों में आक्रोश है.

छात्रों का तर्क है कि दो शिफ्ट में पेपर होने से नॉर्मलाइजेशन होगा जिसके कारण अच्छे छात्रों को भुगतना होगा, अर्थात एक दो शिफ्ट में पेपर होने के वजह से एक शिफ्ट में सरल एक शिफ्ट में कठिन प्रश्न होंगे जिसके कारण आयोग नॉर्मलाइजेशन करने का काम करेगा जिससे अच्छे छात्रों के छटने की संभावना रहेगी, साथ ही साथ भ्रष्टाचार बढ़ेगा. छात्र लगातार इसी का विरोध कर रहे है. उनकी मांग है कि पेपर एक शिफ्ट में हो और एक दिन में हो. वहीं, आयोग का कहना है कि हमारे पास केंद्र उपलब्ध नहीं है जिससे एक साथ 6 लाख अभ्यर्थ‍ियों का पेपर करवा सकें. छात्रों का तर्क है कि इससे पहले आयोग इससे ज्यादा छात्रों की परीक्षाएं करवाता आया है. यहां हम पूरे मामले में हो रहे अंतर्वि‍रोध के बारे में बता रहे हैं. 

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कब और कहां से शुरू हुआ मामला, सिलसिलेवार समझें 
बीते 1 जनवरी 2024 को UPPSC ने अपर सबऑर्डिनेट सर्विस (PCS) प्रीलिम्स एग्जाम का नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके अनुसार 17 मार्च 2024 को परीक्षा होनी थी. लेकिन ये स्थगित हो गई. फिर 3 जून को इसी परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी करते हुए घोषणा की गई कि 27 अक्टूबर को परीक्षा होनी है. एक बार फिर डेट बदली और बीती 5 नवंबर को UPPSC ने एक बार फिर नोटिफिकेशन जारी कर दिया. इस नोट‍िफिकेशन के साथ ही एक नया नियम भी सामने आया. इसी के बाद से अभ्यर्थी नाराज हैं. दरअसल इस नोटिफिकेशन में कहा गया था कि परीक्षा का आयोजन एक दिन के बदले दो दिन में किया जाएगा. 

ऐसे शुरू हुआ बवाल 

दरअसल 11 फरवरी 2024 को समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी यानी आरओ एआरओ का प्रीलिम्स एग्जाम हुआ था. उसी दिन शाम होते-होते सोशल मीडिया पर पेपर लीक की खबरें आने लगीं. कई लोगों ने लिखा कि परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया. इस बात पर छात्रों का विरोध शुरू हो गया. दोबारा परीक्षा की मांग हुई तो आयोग ने स्पेशल टास्क फोर्स (STF) से मामले की जांच कराने का फैसला लिया.

छात्रों के भारी व‍िरोध के बाद दो मार्च को सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 6 महीने में दोबारा परीक्षा होगी. उन्होंने ट्वीट पर ल‍िखा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 11 फरवरी 2024 को आयोजित समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक) परीक्षा, 2023 को निरस्त करने और आगामी 6 माह में इसे दोबारा कराने के आदेश दिए हैं. परीक्षा की शुचिता से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा. युवाओं के दोषियों को ऐसी सजा दिलाएंगे, जो नजीर बनेगी.

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अब इधर हजारों अभ्यर्थी जो पीसीएस परीक्षा का इंतजार कर रहे थे. अचानक 7 मार्च को आयोग ने नोटिस जारी किया कि 17 मार्च की PCS प्रीलिम्स परीक्षा 'अपरिहार्य कारणों' से स्थगित की जाती है. बताया गया कि परीक्षा जुलाई में हो सकती है. लेकिन कोई तारीख नहीं दी गई. इससे यूपी पीसीएस के अभ्यर्थी भी निराश हो गए. 

कैसे बढ़ी नाराजगी 
अभ्यर्थी मुख्यमंत्री योगी के ट्वीट के बाद आश्वस्त थे कि 6 महीने में RO/ARO एग्जाम दोबारा होगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ क्योंकि परीक्षा के पेपर लीक की जांच जारी रही. इसमें कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन पेपरलीक कैसे हुआ, इसकी कोई अपडेट नहीं आई. इस बीच 3 जून को पीसीएस एग्जाम करवाने को लेकर फिर से नोटिफिकेशन आया ज‍िसमें 27 अक्टूबर को प्रीलिम्स की परीक्षा की डेट दी गई. मगर, एग्जाम से कुछ दिन पहले फिर 16 अक्टूबर को आयोग ने फिर से परीक्षा स्थगित करने की सूचना दी. इसमें एग्जाम सेंटर बनाने में देरी की वजह बताई गई. इसी नोटिस में कहा गया कि दिसंबर के पहले पखवाड़े तक परीक्षा करवाई जा सकती है. आयोग ने 19 जून के सरकार के आदेश का हवाला दिया कि इसके अनुसार परीक्षा केंद्र मिलने पर अभ्यर्थियों को अगली डेट की जानकारी दे दी जाएगी.

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क्या था जून का वो आदेश
आपको बता दें कि इससे पहले 19 जून को यूपी सरकार ने परीक्षा केंद्रों को लेकर कुछ गाइडलाइन जारी की थी. इसमें परीक्षा केंद्र चुनने के लिए दो कैटेगरी बनाई गई थी. कैटगरी 'ए' में राजकीय इंटर कॉलेज, सरकारी डिग्री कॉलेज, राज्य और केंद्र के विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग और राज्य के मेडिकल कॉलेज को रखा गया था. वहीं 'बी' में उन सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों को रखा गया, जिनकी 'छवि' अच्छी हो. प्राइवेट संस्थानों को सेंटर नहीं बनाने का आदेश आया. इसके अलावा ये भी कहा गया कि एग्जाम सेंटर्स बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन के 10 किलोमीटर के दायरे में हों. साथ ही एक पाली में अधिकतम 5 लाख अभ्यर्थियों को ही रखने का आदेश आया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आयोग को PCS प्रीलिम्स करवाने के लिए 1758 एग्जाम सेंटर्स की जरूरत थी. लेकिन आदेश का पालन करते हुए आयोग को ऐसे 978 परीक्षा केंद्र ही मिल पाए. जबकि इस परीक्षा के लिए  5 लाख 76 हजार 154 अभ्यर्थी रजिस्टर्ड हैं. वहीं, RO/ARO प्रीलिम्स के लिए 10 लाख 76 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में बैठने वाले हैं.

यहां से शुरू हुआ हंगामा 
अब जून के उसी आदेश को असर में रखते हुए 5 नवंबर को पीसीएस और आरएआरओ परीक्षाओं के लिए तीसरी बार नोट‍िफिकेशन आया. आयोग ने इस नोटिफिकेशन में कहा कि PCS की प्रीलिम्स परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को दो-दो सत्रों में होगी. पहला सेशन सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक और दूसरा दोपहर 2:30 बजे से 4:30 बजे तक आयोज‍ित होगा. ये एग्जाम 41 जिलों में होंगे. साथ ही कहा कि हर संभव कोशिश के बावजूद 19 जून के आदेश के अनुसार सेंटर उपलब्ध नहीं होने के कारण परीक्षा दो दिन में कराई जाएगी.

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ठीक इसी प्रकार RO/ARO की परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होगी. ये परीक्षा 411 पदों के लिए होने वाली है. 22 दिसंबर को पहली पाली सुबह 9 बजे से 12 बजे तक और दूसरी पाली दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक. वहीं, 23 दिसंबर को तीसरी पाली में सुबह 9 बजे से 12 बजे तक परीक्षा होगी. इसमें भी 19 जून के आदेश का हवाला दिया गया कि एक पाली में 5 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी नहीं हो सकते हैं.इसीलिए ये दो पाली में आयोजित हो रही है. 

नार्मलाइजेशन को लेकर व‍िरोध 
अभ्यर्थी 5 नवंबर के आदेश के अनुसार एक दिन से ज्यादा परीक्षा के आयोजन को लेकर तैयार नहीं है. अभ्यर्थ‍ियों का कहना है कि इससे रिजल्ट पर असर पड़ेगा, क्योंकि एक से अधिक पालियों में परीक्षा होने पर रिजल्ट के लिए नॉर्मलाइजेशन यानी मानकीकरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. इस प्रक्र‍िया से जब एक ही एग्जाम अलग-अलग दिन होंगे तो उसके लिए अलग-अलग प्रश्न पत्र होंगे. संभावना है कि एक के मुकाबले दूसरा प्रश्न पत्र कठिन हो.

इसी अंतर को पाटने के लिए नॉर्मेलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है. ज्यादातर परीक्षाओं में परसेंटाइल स्कोर के आधार पर इसे एडजस्ट किया जाता है. इसका उद्देश्य है कि अलग-अलग प्रश्न पत्र होने के कारण किसी छात्र को फायदा या नुकसान ना हो. छात्रों का आरोप है कि सरकार ने जो प्रक्रिया अपनाई है वो साइंटिफिक नहीं है. अब छात्रों की मांग है कि ये परीक्षा एक दिन और एक पाली में कराई जाए. 

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