आतिशी ने किसके नाम पर रखा था मार्लेना सरनेम, फिर क्यों हटाया? जानिए दिल्ली CM के नाम के पीछे की कहानी

ऑक्सफोर्ड से पोस्ट ग्रेजुएट आतिशी केजरीवाल के सबसे बड़ी भरोसेमंद मौजूदा सरकार में सबसे ज्यादा विभागों वाली मंत्री रहीं और फिर विधायक दल की नेता चुनी गईं और अब आतिशी नई मुख्यमंत्री होंगी. अच्छी वक्ता, संगठन प्रशासन का अनुभव रखने वाली आतिशी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है.

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Atishi (Image Credit : Getty Images and India Today Archive) Atishi (Image Credit : Getty Images and India Today Archive)

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 17 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

पहले बीजेपी ने सुषमा स्वराज, फिर कांग्रेस से लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बाद अब आम आदमी पार्टी ने नया दांव चलते हुए दिल्ली में महिला को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया है. इस्तीफा देने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का यह यह दूसरा मास्टर स्ट्रोक है इसके जरिए उन्होंने दिल्ली की 50 लाख वाली आधी आबादी यानी महिलाओं को साधने का काम किया है और गौरतलब है कि इसी साल मार्च के बजट में वित्त मंत्री आतिशी ने दिल्ली की महिलाओं को सम्मान योजना के तौर पर हजार रुपए देने की घोषणा की थी जो अब परवान चढ़ने के आसार हैं. वह भी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले. यानी बीजेपी और कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी तीसरी ऐसी पार्टी बन गई है जिसने भावी मुख्यमंत्री के तौर पर महिला चेहरे को आगे किया है.

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मार्क्स और लेनिन से प्रेरित होकर रखा था सरनेम

मार्क्स और लेनिन के नाम पर प्रेरित होकर आतिशी के पिता ने उनका सरनेम मार्लेना रखा था लेकिन बाद में आतिशी ने अपने नाम से इस सरनेम को हटा दिया. आतिशी ने स्कूल के समय में मार्क्स और लेनिन से बनने वाले शब्द 'मार्लेना' को अपने नाम के साथ जोड़ दिया था. इसके चलते ही उनका नाम आतिशी मार्लेना पड़ा. व्लादिमीर इलिच को लेनिन के नाम से अधिक जाना जाता था जो कि एक रूसी कम्युनिस्ट, क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ और राजनीतिक सिद्धांतकार थे. आतिशी ने अपना नाम 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार बनाए जाने के समय बदल दिया था. बताया जाता है कि विपक्षी पार्टियों द्वारा आतिशी को ईसाई बता कर अफवाह उड़ाई जा रही थी, जबकि वो एक पंजाबी राजपूत हैं. इसलिए उन्होंने पार्टी के कहने पर अपने नाम से 'मार्लेना' हटाया.

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यह भी कहा जाता है कि कम्युनिस्ट आइकन कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन को श्रद्धांजलि देने के लिए आतिशी ने अपने नाम के आगे से सरनेम हटा दिया था. आतिशी ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में इसको लेकर कहा था, "मैंने अपना पारिवारिक सरनेम काफी साल पहले छोड़ दिया था'. 

ऑक्सफोर्ड से पढ़ी हैं आतिशी

आतिशी  की पढ़ाई दिल्ली के स्प्रिंगडेल स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स में बैचलर डिग्री हासिल की. 1998 से 2001 ग्रेएजुएशन के बीच उन्हें अकादमिक उत्कृष्टता के लिए सुमितोमो-सेंट स्टीफंस छात्रवृत्ति, कॉलेज के जीवन में समग्र योगदान के लिए राजपाल मेमोरियल अवार्ड और ग्रेजुएशन में टॉप करने के लिए डीयू द्वारा दीपचंद स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

2001 में चेवेनिंग स्कॉलरशिप के माध्यम से उन्हें विदेश में पढ़ाई करने का मौका मिला. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन से प्राचीन और आधुनिक इतिहास (2001-2003) में मास्टर्स किया. भारत लौटने के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में एक साल तक पढ़ाया लेकिन 2005 में रोड्स स्कॉलशिप पर फिर से लंदन चली गईं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से एजुकेशन रिसर्च (2005-2006) में मास्टर्स किया था. ऑक्सफोर्ड से पोस्ट ग्रेजुएट आतिशी केजरीवाल के सबसे बड़ी भरोसेमंद मौजूदा सरकार में सबसे ज्यादा विभागों वाली मंत्री रहीं और फिर विधायक दल की नेता चुनी गईं और अब आतिशी नई मुख्यमंत्री होंगी. 

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पार्टी का सबसे बड़ा महिला चेहरा

दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी का कोई भी नेता अभी तक दिखाई नहीं दिया. एक महिला युवा चेहरा विश्वास पात्र है लेकिन केजरीवाल के मुकाबले भाजपा का कोई चहरा नहीं है और अब जब नई मुख्यमंत्री के तौर पर एक महिला का चेहरा सामने आ गया है मुजाहिद तौर पर भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है. प्रदेश कार्यालय बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बहुत जल्द पार्टी अपने दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए और नए सीएम चेहरे के बाद रणनीतिक तौर पर बदलाव करेगी. लेकिन हर एक मंच से आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर-जोर से उठाने का काम किया जाएगा.

आम आदमी ने मारे एक तीर दो निशाने

इमोशनल कार्ड और इस्तीफा के बाद दूसरा दांव केजरीवाल ने चला और 43 साल की सबसे कम उम्र की मंत्री को आगे कर दिया. दिल्ली में 2013 से केजरीवाल मुख्यमंत्री रहे. वही आतिशी के नाम को आगे बढ़ाए जाने पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने पलटवार किया है. बता दें कि आतिशी के परिवार ने आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु की फाँसी रुकवाने का प्रयास किया था. नक्सली मानसिकता को बैकडोर से दिल्ली पर थोपने का पाप केजरीवाल कर रहें हैं. आज आम आदमी पार्टी एक ऐसा CM चुन रही हैं जिसका अन्ना आंदोलन और इंडिया अगेंस्ट करप्शन से कोई नाता कभी नहीं रहा. दिल्ली की जनता एक नक्सली कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री को कभी स्वीकार नहीं करेगी.

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