WB Higher Secondary Exam 2025: कोलकाता में इस साल पश्चिम बंगाल की उच्चतर माध्यमिक (हायर सेकेंडरी) परीक्षा में छात्रों के लिए कई नए नियम लागू किए गए हैं. पश्चिम बंगाल उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद ने परीक्षा के लिए 23 पन्नों की गाइडलाइन जारी की है. जिसमें सबसे बड़ा बदलाव ये होगा कि एग्जाम के दौरान छात्रों को टॉयलेट जाने की परमिशन नहीं दी जाएगी. आपको बता दें कि इस बार सेमेस्टर 3 की परीक्षा सिर्फ 1 घंटा 15 मिनट की होगी. इस कम समय के कारण परीक्षा के दौरान टॉयलेट जाना पूरी तरह मनाही है. सिर्फ बहुत गंभीर स्थिति (जैसे मेडिकल इमरजेंसी) में ही छात्र टॉयलेट जा सकते हैं.
तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा में बदलाव
इस साल पहली बार परीक्षा ओएमआर शीट पर आयोजित की जाएगी. तीसरे सेमेस्टर की पूरी परीक्षा ओएमआर शीट ( OMR ) पर आयोजित की जाएगी. इससे पहले, इससे संबंधित नियम प्रकाशित किए गए थे. इसमें कहा गया है कि शिक्षकों की कमी होने पर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षक भी पर्यवेक्षक (Supervisor) हो सकते हैं. हालांकि, उनमें से प्रत्येक के लिए एक स्थायी शिक्षक होना आवश्यक है, कोई भी अस्थायी शिक्षक परीक्षा में पर्यवेक्षक (Supervisor) नहीं हो सकता.
टॉयलेट जाने को लेकर बड़ा बदलाव
इस साल परीक्षार्थी परीक्षा के दौरान टॉयलेट नहीं जा सकेंगे. तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा 1 घंटे 15 मिनट की है, इसलिए कोई भी परीक्षार्थी परीक्षा के दौरान टॉयलेट नहीं जा सकेगा. हालांकि, बहुत गंभीर परिस्थितियों में छूट दी गई है. ऐसी स्थिति में प्रश्न पत्र और ओएमआर शीट जमा करनी होगी. तो सवाल उठता है, क्या यह नियम वाजिब है या छात्रों के हक के खिलाफ? हमने पेरेंट्स, पैरेंट्स एसोसिएशन, डॉक्टर और वकीलों से बातचीत की… चलिए जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट.
इस पर पेरेंट्स का क्या कहना है?
दिल्ली में रहने वाली अनु शर्मा कहती हैं कि उनकी बेटी कक्षा 12 में पढ़ती हैं. उन्होंने बताया कि परीक्षा के दौरान मेरी बेटी को काफी ज्यादा एंग्जायटी होती है. ऐसे में अगर टॉयलेट जाने की परमिशन नहीं दी जाएगी तो उसका स्ट्रेस और ज्यादा बढ़ जाएगा. ऐसे में उसका एग्जाम भी खराब हो सकता है. ये बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के खिलाफ है. वे कहती हैं कि अगर नकल रोकनी है, तो सुरक्षा बढ़ाइए, पर बच्चों को टॉयलेट न जाने देना अमानवीय है. कोई मेडिकल इमरजेंसी हो तो क्या होगा?"
नोएडा में रहने वाले योगेंद्र कौशल कहते हैं कि उनका बेटा IIT की तैयारी कर रहा है. वे कहते हैं कि आजकल के बच्चे काफी स्मार्ट हो गए हैं, उन्हें मालूम है कि IIT परीक्षा में लॉगिन करते ही उनका काउंटडाउन स्टार्ट हो जाएगा. ऐसे में मैं अपने बेटे को समझाऊंगा कि अगर हो सके तो परीक्षा के दौरान टॉयलेट जाकर समय की बर्बादी न करें, लेकिन अगर जरूरी हो तो वे परमिशन लेकर टॉयलेट जा सकता है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
परीक्षा के दौरान टॉयलेट जाने पर रोक पर हमने डॉक्टरों से भी बात की. ये जानना चाहा कि कहीं ये बच्चों की सेहत को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा? तो चलिए जानते हैं इस फैसले का बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर हो सकता है. क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह कहती हैं कि परीक्षा के वक्त बच्चों में काफी ज्यादा तनाव होता है. जब उन्हें पहले से यह पता हो कि वे टॉयलेट नहीं जा सकते, तो ये तनाव और बढ़ जाता है. इससे एंग्जायटी, घबराहट, बेचैनी और फोकस में कमी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं."
पटना एम्स के डॉ. दीपक वर्मा (Urologist) कहते हैं कि अगर कोई बच्चा बार-बार टॉयलेट रोकता है, तो इससे उसकी ब्लैडर मसल्स पर दबाव पड़ता है. इससे बाद में यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI), ब्लैडर की कमजोरी, यहां तक कि किडनी तक पर असर हो सकता है. यह समस्या खासतौर पर लड़कियों और छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है. कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं, जिन्हें टॉयलेट बार-बार जाना पड़ता है. डॉक्टरों की राय में नकल रोकने के लिए कुछ और तरीके अपनाने चाहिए.
पेरेंट्स एसोसिएशन क्या कहता है?
Delhi Parents Association की प्रेसिडेंट Aprajita Gautam कहती हैं कि यह नियम पूरी तरह से बच्चों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है. हर बच्चे को टॉयलेट जाने का अधिकार है. लेकिन बात अगर परीक्षा के दौरान होने वाले नकल को रोकने का है तो परीक्षा के दौरान कई तरह के उपाय अपनाए जाते हैं, जैसे परीक्षा के दौरान बच्चों को बेल्ट, घड़ी या किसी भी तरह सकी चीजें, यहां तक कि गले में काला धागा पहन कर भी जाने की अनुमति नहीं दी जाती है. उन्होंने बताया कि जेईई, नीट के लिए जो बच्चे जाते हैं उन्हें एडमिट कार्ड और आधार की कॉपी के अलावा और किसी भी चीज को लेकर जाने की अनुमति नहीं होती है.
'बच्चों से करनी होगी बात'
लेकिन, जहां पर परीक्षा के दौरान टॉयलेट न जाने देने की बात है, उसको लेकर कुछ पैरामीटर सेट करने होंगे और बच्चों को परीक्षा के दौरान नहीं रोकना चाहिए. इसके साथ ही आप बच्चों से बात कर सकते हैं कि वे परीक्षा के दौरान टॉयलेट न जाकर अपना समय भी बचा सकते हैं और अगर कोई ज्यादा इमरजेंसी की बात नहीं है तो वे परीक्षा के बाद टॉयलेट जा सकते हैं. अगर बच्चे परीक्षा के दौरान अपना समय बचाते हैं तो वे उनके लिए ही फायदेमंद होगा क्योंकि JEE जैसे एग्जाम में लॉगिन करते ही आपका समय शुरू हो जाता है. वहीं, NEET में भी आपके पास सिर्फ तीन घंटे का समय होता है.
परीक्षा के काउंसलिंग जरूरी
इस दौरान अगर आप वॉशरूम जाने-आने में आपका 5-10 मिनट बर्बाद होगा. क्योंकि बच्चे महीनों और सालों से इस परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं. ऐसे में अगर आप वॉशरूम जाते हैं तो आपका समय बर्बाद होगा और हो सकता है, इस वजह से आपका रिजल्ट न हो. वहीं, अगर आप परीक्षा के दौरान अपना समय बचाते हैं तो हो सकता है आपका रिजल्ट हो जाए. कंपटीटिव एग्जाम का पूरा गेम रैंकिंग के ऊपर बेस्ड है. अगर किसी बच्चों को परीक्षा के दौरान एंग्जायटी या किसी तरह की परेशानी होती है तो पेरेंट्स को परीक्षा के पहले बच्चों की काउंसलिंग करानी चाहिए. क्योंकि ये बात सिर्फ कंपटीटिव एग्जाम की नहीं है, ये पूरी लाइफ की बात है.
कानूनी विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
पटियाला कोर्ट के वकील महमूद आलम कहते हैं कि परीक्षा में टॉयलेट जाने की मनाही गलत है. कानून कभी भी इसका समर्थन नहीं करेगा. परीक्षा के नियम ऐसे नहीं हो सकते है. ये अमानवीय है और पूरा परीक्षा हॉल डिस्टर्ब कर सकता है. उदाहरण के लिए, अगर किसी परीक्षार्थी को टॉयलेट जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी तो उसका स्वास्थ्य खराब हो सकता है. परीक्षा बोर्ड नियम बना सकते हैं, लेकिन वे तार्किक होने चाहिए ना कि मनमानी. अगर परीक्षा 30 मिनट या उससे कम का है तो अनुमति न मिलने के एक कारण पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, लेकिन अगर परीक्षा 1 घंटा या उससे अधिक का है तो टॉयलेट जाने से रोकना अवैध होगा. अगर परीक्षा केंद्र पर नकल का डर है तो किसी स्टाफ को साथ भेजा जा सकता है.
राधा तिवारी