छोटी सी माचिस की तीली... एक गलती से हुआ था जिसका आविष्कार, ऐसे आया इसे बनाने का आइडिया

हर घर में माचिस का डिब्बा होता है. इसका इस्तेमाल चूल्हा, मोमबत्ती, दीया या किसी भी तरह के आग को जलाने में किया जाता है. लेकिन, एक समय ऐसा भी था, जब माचिस का अस्तित्व ही नहीं था. आज जितनी आसानी से हम आग जला लेते हैं. तब ये प्रक्रिया उतनी ही ज्यादा कठिन थी. ऐसे में जानते हैं कि कब और किसने इस छोटी सी चीज का आविष्कार किया और इसकी कहानी क्या है.

Advertisement
हर घर में मौजूद कमाल की छोटी चीज माचिस के आविष्कार की रोचक कहानी (Photo - Pexels) हर घर में मौजूद कमाल की छोटी चीज माचिस के आविष्कार की रोचक कहानी (Photo - Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:12 AM IST

माचिस, हर घर में पाई एक साधारण सी रोजमर्रा की चीज है. अब तो इसके कई विकल्प आ गए हैं. फिर भी इसकी जरूरत बरकरार है. क्या कभी हमने सोचा है कि आग जलाने के काम में आने वाली ये छोटी सी चीज कितने कमाल की है. शायद ही किसी ने सोचा होगा, अगर इसका आविष्कार नहीं हुआ होता तो आग जलाने की प्रक्रिया कितनी मुश्किल थी. 

Advertisement

चार्ल्स डार्विन के अनुसार , भाषा के बाद आग सबसे महत्वपूर्ण मानवीय उपलब्धि थी.जब से हमने आग जलाना सीखा है, तब से इंसान अपनी इस प्रक्रिया को बेहतर बनाने के तरीके खोज रहा है.  माचिस का आविष्कार भी इसी प्रक्रिया की एक कड़ी है. 

कैसे आया माचिस बनाने का आइडिया
माचिस बनाने का आइडिया आने से पहले आग आमतौर पर चकमक पत्थर और स्टील या फायर ड्रिल से जलाई जाती थी. ये दोनों ही प्रक्रिया काफी मुश्किल थी. ऐसे में जानते हैं छोटी सी माचिस की तीली की कहानी, कैसे इस छोटी लेकिन कमाल की चीज ने मानव जीवन को आसान बना दिया. 

एक गलती की वजह से हुआ माचिस का आविष्कार
हिस्ट्री. कॉम के अनुसार, माचिस का आविष्कार एक गलती से हुआ. सोच-समझकर एक शोध या प्रयोग के बाद इसे नहीं बनाया गया था.  1829 में शुरुआती आविष्कृत 'प्रोमेथियस माचिस'   कागज़ में लिपटी सल्फ्यूरिक एसिड की एक कांच की शीशी होती थी. कांच की शीशी को कुचलकर माचिस जलाई जाती थी.  डार्विन स्वयं इसके प्रशंसक थे और दूसरों का मनोरंजन करने के लिए माचिस को काटकर जलाते थे.

Advertisement

यह भी पढ़ें: कैसे बोतल में पैक होकर बिकने लगा पानी, सबसे पहले ऐसे मिला करता था!

1827 में एक ब्रिटिश फार्मासिस्ट जॉन वॉकर रसायनों के साथ प्रयोग कर रहे थे, तभी उन्होंने गलती से एक रसायन लेपित लकड़ी को अपने चूल्हे पर रगड़ दिया. इससे लकड़ी में आग लग गई. इससे वॉकर के दिमाम में एक क्रांतिकारी विचार आया.1827 में, उन्होंने अपनी फार्मेसी में 'कॉन्ग्रेव्स' बेचना शुरू किया, जिसका नाम एक प्रकार के रॉकेट के आविष्कारक के सम्मान में रखा गया था.

ऐसे बनी पहली माचिस
वॉकर के कॉन्ग्रेव्स पोटैशियम क्लोरेट और एंटीमनी सल्फाइड के मिश्रण में लिपटे कार्डबोर्ड की छड़ें थीं, जो सैंडपेपर के टुकड़े पर टकराने पर आग पकड़ लेती थीं. वॉकर का यह आविष्कार तुरंत लोकप्रिय हो गया. फिर भी उन्होंने इसे पेटेंट नहीं कराया. नतीजतन, दूसरों ने उनके डिजाइन की नकल करके अपने संस्करण बेचने शुरू कर दिए. इससे आविष्कारक के रूप में उनकी भूमिका अस्पष्ट हो गई. 1859 में उनकी मृत्यु के कुछ समय बाद ही उन्हें पहली घर्षण माचिस के निर्माता के रूप में मान्यता मिली.

आज हर घर में है मौजूद
आज वॉकर का यह आविष्कार हर घर में आग जलाने के प्रोसेस को इतना आसान बना दिया है कि हम इसके शुरुआती समस्याओं के बारे में जानते तक नहीं है. वैसे तो माचिस की तीली एक छोटी सी रोजमर्रा की चीज हैं, लेकिन इसका आविष्कार मानव विकासवादी सफर में एक महान क्रांतिकारी कदम था.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement