कैसे बोतल में पैक होकर बिकने लगा पानी, सबसे पहले ऐसे मिला करता था!

प्राचीन बर्तनों में पवित्र जल को संग्रहित करने से लेकर, औद्योगिक क्रांति के दौरान यूरोपीय स्पा में कांच के बोतलों में मिलने वाले स्वास्थ्यवर्धक झरने के पानी तक. आज प्लास्टिक के बोतलों में मिलने वाले मिनिरल्स वाटर का एक लंबा इतिहास है. ऐसे में जानते हैं किन लोगों ने पानी को बोतल में बंदकर इसका इस्तेमाल पहली बार शुरू किया और कैसे यह एक आधुनिक ट्रेंड बन गया है.

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पहली बार किन लोगों ने बोतलबंद पानी का इस्तेमाल शुरू किया (Photo - Pexels) पहली बार किन लोगों ने बोतलबंद पानी का इस्तेमाल शुरू किया (Photo - Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:14 PM IST

आज बोतलबंद पानी का इस्तेमाल आम है. चाहे वह छोटे बोलतों में हो या दोबारा इस्तेमाल होने वाले कंटेनरों में, कांच की बोतलों में हो या फिर हर जगह मिलने वाली प्लास्टिक की बोतलों में. यह एक आधुनिक चलन लग सकता है, लेकिन इसका इतिहास आश्चर्यजनक रूप से काफी पुराना है.

पानी को बोतल में बंद करके या पैकेज्ड वॉटर के रूप में बेचने का चलन प्राचीन रोम, यूरोप और औपनिवेशिक अमेरिका के जमाने से चला आ रहा है. 

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बोतलबंद पानी की प्राचीन उत्पत्ति
हिस्ट्री.कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, मानवविज्ञानी और 'फाइन वाटर्स: अ कॉनोइसर्स गाइड टू द वर्ल्ड ऑफ प्रीमियम वाटर्स' के लेखक माइकल माशा बताते हैं कि लोगों द्वारा पानी को किसी बर्तन में भरकर कहीं और ले जाने का सबसे पहला उदाहरण रोमन साम्राज्य के दौरान मिलता है. यहीं से बर्तनों में पानी भरकर इसे दूसरी जगह बेचने का उदाहरण मिलता है.

पहली बार रोमनों ने पानी को बोतल में बंद करना शुरू किया 
उत्तरी जर्मनी के अपोलिनारिस जैसे स्थानों से प्राप्त प्राकृतिक रूप से कार्बोनेटेड मिनरल वाटर सबसे पहले बोतलबंद किया गया था. हालांकि, प्राचीन रोम में कांच का निर्माण होता था, लेकिन पानी के लिए उसका उपयोग बहुत महंगा था. इसलिए इसकी जगह मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता था.
  
माशा कहते हैं कि रोमन साम्राज्य के अभिलेख मौजूद हैं जिनमें अपोलिनारिस से मिट्टी के बर्तनों में पानी भरकर रोमन ले जाते थे.  मेरे लिए, यहीं से बोतलबंद पानी की शुरुआत होती है.

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पवित्र झरनों के पानी से विकसित हुई मिनिरल्स वाटर की अवधारणा
इसके बाद पांचवीं शताब्दी के आसपास यूरोप और मध्य पूर्व में तीर्थयात्री पवित्र कूप  माने जाने वाले जल स्रोत,  झरनों या कूपों से पानी लेकर अपने घर जाते थे.  इन झरनों का पानी पीना आमतौर पर किसी न किसी प्रकार के स्वास्थ्य लाभ से जुड़ा होता था, जैसे किसी विशेष बीमारी का इलाज.पवित्र कुंओं की सबसे अधिक संख्या आयरलैंड में पाई जाती है, जहां 3,000 से अधिक कुंएं हैं. 

जब लोग इन पवित्र स्थलों पर जाते थे, तो वे पवित्र जल का कुछ हिस्सा अपने साथ घर ले जाना चाहते थे. पानी को चीनी मिट्टी के बर्तनों में बंदकर के रखा जाता था, जिसे ले जाने में आसानी होती थी. 

कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स में पर्यावरण कानून के प्रोफ़ेसर जिम साल्ज़मैन ने अपनी पुस्तक, 'ड्रिंकिंग वाटर: ए हिस्ट्री' में लिखा है कि इसकी प्रामाणिकता साबित करने के लिए, प्रत्येक पवित्र कुंए से उस स्थान के विशिष्ट जल के लिए एक चीनी मिट्टी की कुप्पी और एक अनोखी मुहर बनाई जाती थी.

स्पा शहरों ने शुरू किया बोतलबंद पानी का व्यापार 
माशा कहते हैं कि पानी और स्वास्थ्य के बीच का रिश्ता 1400 और 1500 के दशक के आसपास उभरे महान यूरोपीय स्पा शहरों के दौर में और भी मजबूत हुआ. उस समय खास तौर पर 1700 और 1800 के दशक की औद्योगिक क्रांति के दौरान शहर गंदे थे.

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शहरी इलाकों का पानी न सिर्फ बेहद प्रदूषित था, बल्कि हैजा और टाइफस जैसी बीमारियों का मुख्य वाहक भी था. इसलिए अमीर लोग कुछ हफ़्तों के लिए किसी स्पा में जाते थे. वहां लंबे समय तक साफ पानी पीने के बाद वे बेहतर और स्वस्थ महसूस करते थे और पवित्र कुंओं की तरह, ज़्यादातर स्पा दावा करते थे कि उनके मिनरल वाटर में उपचारात्मक गुण होते हैं.

शुरुआत में सिर्फ अमीरों के लिए था बोतलबंद पानी
ज्यादातर लोगों के लिए स्पा का खर्च उठाना मुश्किल था. माशा बताते हैं कि यह वो जगह थी जहां उच्च समाज के लोग आपस में मिलते-जुलते थे. गर्मियों में कुछ महीनों के लिए स्पा जाना, पानी में तैरना और स्वस्थ जीवनशैली का आनंद लेना, एक स्टेटस सिंबल था.जब कांच बनाना सस्ता हो गया, तो लोग स्पा से बोतल में पानी बंद कर शहर लाने लगे.

स्लोवेनिया के एक स्पा शहर, रोगास्का स्लातिना, को कुछ लोग आधुनिक बोतलबंद पानी उद्योग का जन्मस्थान मानते हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि लोग कब से इस जगह पर नहाने और पानी पीने आते रहे हैं, लेकिन इन झरनों के इस्तेमाल का पहला प्रमाण 1141 में मिलता है. इस स्पा की आधारशिला 1572 में रखी गई थी और इससे जुड़ा रोगास्का मेडिकल सेंटर 1594 में खुला.

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यहां खुला पहला कांच की बोतल बंद पानी का कारखाना
माशा कहते हैं रोगास्का स्लातिना के स्पा से लोग पानी घर लाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने स्पा के बगल में एक कांच का कारखाना शुरू किया. यही वह जगह है जहां से कांच की बोतलों में स्पा का शुद्ध पानी भरकर लोगों को बेचा गया. इस शहर में कांच बनाने का काम 1665 में ही शुरू हो गया था.  रोगास्का ग्लासवर्क्स—जो आज भी मौजूद है ने 1927 में एक कारखाना चलाना शुरू किया. 18वीं सदी के अंत तक, रोगास्का में प्रति वर्ष 20,000 कांच की बोतलें बनाई जाने लगीं.

यूरोप और अंततः संयुक्त राज्य अमेरिका में अन्य मिनिरल्स वॉटर सोर्सेज ने भी इसी तरह का विकास किया. कांच की बोतलों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के साथ-साथ, रेलमार्गों ने बोतलबंद पानी के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साल्जमैन कहते हैं कि पानी बहुत भारी होता है और बोतलें टूटना स्वाभाविक है. लेकिन अगर आप उन्हें ट्रेनों में लाद सकें, तो आप उन्हें लगभग कहीं भी ले जा सकते हैं.

अमेरिका से बोतलबंद पानी ट्रेंड में आया
औपनिवेशिक अमेरिका में बोतलबंद पानी बेचने वाली सबसे शुरुआती जगहों में से एक 1767 में बोस्टन का जैक्सन स्पा था. यहां, लोग झरनों से एक लीटर बोतल पानी के लिए एक तांबे का सिक्का देते  थे. लगभग उसी समय, अमेरिका के कुछ मिनिरल्स वाटर झरनों ने उस  देश के आसपास के धनी मेहमानों को आकर्षित करना शुरू कर दिया.

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द थ्री एजेस ऑफ वॉटर: प्रीहिस्टोरिक पास्ट, इंपेरिल्ड प्रेजेंट, एंड अ होप फॉर द फ्यूचर के लेखक पीटर ग्लीक कहते हैं कि थॉमस जेफरसन, जॉर्ज वाशिंगटन और जेम्स मैडिसन सभी मिनरल वाटर के स्वास्थ्य लाभों में रुचि रखने लगे - जिनमें न्यूयॉर्क के साराटोगा स्प्रिंग्स के लोग भी शामिल थे.

हालांकि मूल निवासी सदियों से झरनों का पानी पीते आ रहे थे, लेकिन 1770 के दशक में श्वेत प्रवासियों ने इस पानी का फायदा उठाना शुरू कर दिया. वाशिंगटन ने 1783 में साराटोगा स्प्रिंग्स का दौरा किया और अपने एक दोस्त को प्राकृतिक रूप से बुदबुदाते मिनरल वाटर की बोतलों के बारे में लिखा -इन पानी की खासियत, इनमें मौजूद स्थिर हवा और कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा है. 

पहले प्राकृतिक स्रोतों के पानी बोतलों में बेचे जाते थे
अमेरिका में बोतलबंद पानी उद्योग के शुरुआती दिनों में, मिनरल वाटर के स्वास्थ्य लाभों पर ध्यान केंद्रित किया गया था. बेंजामिन रश, एक चिकित्सक, जिन्होंने कॉन्टिनेंटल आर्मी के सर्जन जनरल के रूप में कार्य किया और स्वतंत्रता की घोषणा पर हस्ताक्षर किए, ने पहली बार 1773 में झरने के पानी पर शोध और रिपोर्ट तैयार की. इसके बाद 1786 में मिनरल वाटर के औषधीय लाभों को समझाने वाली 12-पृष्ठों की एक पुस्तिका प्रकाशित की गई.

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लोगों का मानना ​​था कि इन प्राकृतिक झरनों में ऐसे खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं. यह सोच 1800 के दशक से लेकर 1900 के दशक तक बनी रही. दरअसल, साल्ज़मैन के अनुसार, 1900 के दशक की शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका में बोतलबंद पानी का सबसे बड़ा बाज़ार दवा की दुकानें थीं.

ऐसे आधुनिक मिनिरल्स वाटर बोतल बाजार में आए
साल्ज़मैन बताते हैं कि कृत्रिम रूप से कार्बोनेटेड पानी—जिसका आविष्कार जोसेफ प्रीस्टली ने 1767 में किया था और श्वेप्स कंपनी ने 1783 में इसकी बोतलें बनाना शुरू किया था. शुरुआत में एक कौतुहल का विषय था. अमेरिका में कुछ शुरुआती वॉटर-बॉटलिंग ऑपरेशन अभी भी मौजूद हैं, जिनमें पोलैंड स्प्रिंग (1845), माउंटेन वैली स्प्रिंग वॉटर (1871), साराटोगा स्प्रिंग वॉटर (1872) और डियर पार्क (1873) शामिल हैं.

इस तरह पूरी दुनिया में बोतल बंद कॉर्बोनेटेड वाटर और मिनिरल्स वाटर एक ट्रेंड बन गया. प्लास्टिक के आविष्कार के बाद बोतलबंद पानी के क्षेत्र में एक क्रांति आ गई. क्योंकि इसका परिवहन और इस्तेमाल काफी आसान हो गया. आज भी यह उतना ही पॉपुलर है, जितना अपने शुरुआती समय में था, जब इसे प्राकृतिक झरने से निकालकर कांच के बोतलों में बंद कर बेचा जाता था.  

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