पहले बंजर रेगिस्तान था कतर, फिर अचानक बना दुनिया के अमीर देशों में से एक, आखिर यहां ऐसा क्या हुआ?

साल 1950 से कतर ने धीरे-धीरे आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी. देश का पहला स्कूल, अस्पताल, बिजली संयंत्र, टेलीफोन एक्सचेंज सभी 1950 के दशक में खोले गए. जो देश पहले गरीबी से जूझ रहा था धीरे-धीरे उसकी स्थिति सुधरती जा रही थी. आइए जानते हैं पिछले 60 सालों में कतर में विकास के दरवाजे कैसे खुले.

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Qatar's Growth and Transformation Over Time Qatar's Growth and Transformation Over Time

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2025,
  • अपडेटेड 9:26 AM IST

Story Of Qatar: ईरान ने कतर में स्थित अल उदीद एयर बेस (Al Udeid Air Base) पर मिसाइलें दागी हैं. अमेरिकी सेना के इस ऐयरबेस पर हमला कर ईरान ने यूएस से अपना बदला ले लिया है. कतर को छोटा मोटा देश मत समझिए, यहां आप जाएंगे तो यहां कदम-कदम पर आपको शाही ठाठ-बाठ और अमीरी की चमक नजर आएगी. बड़ी इमारतें, आलीशान जीवनशैली, आधुनिक वास्तुकला देख आपकी आंखें चुंधिया जाएंगी. 

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कतर शहर दुनिया के अमीर शहरों की लिस्ट में शामिल है. यह पहल मुस्लिम देश है जहां इंटरनेशनल फुटबॉल मैच खेला गया है और इस देश के सबसे दिलचस्प बात ये है कि यहां की किस्मत रातों रात पलटी है. 50 साल पहले ये देश गरीबी से जूझ रहा था लेकिन आज अमीर देशों की लिस्ट में शामिल है, यह भी बताते चलें कि ये दुनिया की सबसे सेफ कंट्री भी है. तो आइए आपको बताते हैं कि कतर में ऐसा क्या हुआ जो ये देश गरीबी की लिस्ट से निकलकर सीधा अमीरों की लिस्ट में शामिल हो गया.

BBC के अनुसार, साल 1922 में ये देश बसावट के लायक नहीं माना जाता था. उस दौरान यहां ऊंची इमारते नहीं हुआ करती थीं और बड़ी तादात मोती चुनने और मछवारों की थी. यह जगह एक बंजर रेगिस्तान की तरह था, जहां किसी भी तरह की सुविधा नहीं थी. 1920 के दशक में मोती व्यापार के पतन के कारण देश में व्यापक गरीबी, कुपोषण और बीमारी फैली हुई थी. ये दौर कतर के लिए बुरी याद बन गए थे. इस दौरान यहां गरीबी चरम पर थी. सभी यहां आर्थिक संकट से जूझ रहे थे. उस समय कतर का मुख्य उद्योग मोती और मछली पकड़ना था. यहां खाना पीने और कमाने के साधन खत्म हो चुके थे, यहां कारण था कि इस दौरान 30 फीसदी लोग कतर से निकर गए और यहां की आबाद 24 हजार के करीब रह गई जो कि आज 26 लाख के करीब है. मिडिल ईस्ट के इस देश का उस दौर में हाल बुरा था लेकिन किसी को नहीं पता था कि रातोंरात इस देश की किस्मत पलट जाएगी.

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साल 1939 से 1940 तक कतर की अर्थव्यवस्था ने यू-टर्न लिया और यहां तेल की खोज हुई. 1939 में दुखन में तेल की खोज की गई थी. द्वितीय विश्व युद्ध के कारण 1949 तक इस क्षेत्र में विकास धीमा रहा. हालांकि तेल की खोज महत्वपूर्ण थी. कुछ समय बाद कतर दुनिया के सबसे बड़े तेल रिर्जव के रूप में पहचाना जाने लगा. इसे कतर का ब्लैक गोल्ड कर गया. BBC की रिपोर्ट में बताया गया कि ये उस समय की बात है जब ये देश अंग्रेजों के कब्जे में था. धीरे-धीरे करके कई देशों में कतर से तेल एक्सपोर्ट किया जाने लगा. इससे कतर में पैसा आता गया, लोगों को नौकरियां मिलती गईं और अर्थव्यवस्था में सुधार होता गया. इसके के साथ दुनिया से कई निवेशक इस देश में पहुंचने लगे. अब आबादी 25 हजार से एक लाख तक पहुंच चुकी थी यही नहीं इस समय यहां की जीडीपी 370 अमेरिकी डॉलर से ज्यादा पहुंच गई थी. 

तब खोला गया पहला स्कूल, अस्पताल...

1951 में कतर ने प्रतिदिन 46,500 बैरल तेल का उत्पादन किया, जिससे उसे 4.2 मिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ. शेल द्वारा अपतटीय तेल क्षेत्रों की खोज और उनके विकास के कारण कतर का उत्पादन बढ़कर 233,000 बैरल प्रतिदिन हो गया था. तेल निर्यात से प्राप्त होने वाले नए राजस्व से शासक परिवार को अमीर बना दिया. कतर ने धीरे-धीरे आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी. देश का पहला स्कूल, अस्पताल, बिजली संयंत्र, अलवणीकरण संयंत्र और टेलीफोन एक्सचेंज सभी 1950 के दशक में खोले गए.

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तेल की खोज के बाद कतर को मिला एक और तोहफा

तेल की खोज के एक आध साल बाद यहां से अंग्रेज वापस अपने वतन लौट गए थे. कतर के लोग आजादी का जश्न मना रहे थे और खुशी की बात ये थी अब उनको गरीबी से भी जूझना नहीं पड़ा रहा था. इसके बाद कहानी सिर्फ तेल तक खत्म नहीं होती, कतर की किस्मत इतनी अच्छी थी कि कुछ सालों बाद यहां विशाल गैस भंडार की खोज भी की गई. धीरे-धीरे पता चला कि ये जगह धरती का सबसे बड़ा गैस भंडार है और इसका एरिया लगभाग 6 हजार वर्ग किलोमीट है. ये इलाका पूरे कतर के आधे हिस्से के बराबर है.

साल दर साल बढ़ती गई कतर की GDP

साल दर साल कतर की जीडीपी बढ़ती चली गई और साल 2004 में इस देश की जीडीपी 19.2 पहुंच गई थी. इसके बाद साल 2006 में यहां की जीडीपी 26.2 रही. कतर में मौजूदा कीमतों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2024 में लगभग 221.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है. 1980 और 2024 के बीच, जीडीपी में लगभग 214.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई/ 2024 से 2030 की अवधि में जीडीपी में लगभग 70.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होने का अनुमान है.

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