सेना की भैरव बटालियन क्यों है खास... डीप स्ट्राइक से दुश्मन पर घातक वार, बॉर्डर पार ऑपरेशंस में माहिर, ऐसे होती है ट्रेनिंग

भारतीय सेना 25 भैरव बटालियन बना रही है, जो तेज और घातक कमांडो दस्ते होंगी. इनमें से 5 तैनात हो चुकीं, बाकी छह महीने में तैयार हो जाएंगी. हर बटालियन में 250 एलीट सैनिक होंगे. ये दुश्मन पर घातक हमला करेंगे. बॉर्डर पार ऑपरेशंस में माहिर होंगे. साथ ही, 382 अश्नी प्लाटून ड्रोन से लैस, जो जासूसी और हमले करेंगी.

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भारतीय सेना की भैरव बटालियन एक एलीट कमांडो फोर्स है. (Photo: Representationl/X/Indian Army) भारतीय सेना की भैरव बटालियन एक एलीट कमांडो फोर्स है. (Photo: Representationl/X/Indian Army)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:42 AM IST

भारतीय सेना लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही है. आज की दुनिया में जंगें पुराने तरीके से नहीं लड़ी जातीं. दुश्मन की सीमाओं पर नई चुनौतियां हैं, जैसे तेज हमले और नई तकनीक. इसी को ध्यान में रखते हुए सेना 25 नई भैरव बटालियन (Bhairav Battalions) बना रही है. ये बटालियन पैदल सेना को आधुनिक और घातक बनाएंगी.

सेना के इन्फैंट्री डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि सेना ड्रोन की ताकत बढ़ा रही है. हर पैदल बटालियन में अश्नी प्लाटून (Ashni Platoons) बनाई जा रही हैं, जिनकी संख्या अब 382 हो चुकी है. ये प्लाटून ड्रोन से जासूसी, निगरानी और हमले करेंगी. आइए समझते हैं कि ये भैरव बटालियन और अश्नी प्लाटून क्या हैं, कैसे काम करेंगी और सेना को कैसे मजबूत बनाएंगी. 

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भैरव बटालियन की खासियतें

  • आकार और ताकत: हर बटालियन में सिर्फ 250 चुने हुए सैनिक होंगे. ये सैनिक एलीट (elite) कहलाएंगे यानी बहुत ट्रेनिंग वाले और बहादुर.
  • तेज और मोबाइल: ये बटालियन lean, lethal और highly mobile होंगी. ये ऊंचे तनाव वाली जंगों में जल्दी हमला कर सकेंगी.
  • काम: ये दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों पर गहरे हमले (deep strikes) करेंगी. जैसे, दुश्मन के बड़े निशाने पर सीधा प्रहार.
  • कुल संख्या: 25 बटालियन बनेंगी. इनमें से 5 पहले से तैनात हैं. 4 और तैनाती के चरण में हैं. बाकी 16 नवंबर 2025 से बननी शुरू होंगी. छह महीने में सभी तैयार हो जाएंगी.

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कहां तैनात हैं ये बटालियन?

पहली 5 बटालियन इन जगहों पर भेजी गई हैं...

3 कोर (दिमापुर)
12 कोर (जोधपुर)
14 कोर (लेह)
15 कोर (श्रीनगर)
16 कोर (नागरोटा)

ये जगहें भारत की सीमाओं पर महत्वपूर्ण हैं, जैसे लद्दाख, राजस्थान और कश्मीर. यहां चीन और पाकिस्तान से खतरा रहता है. भैरव बटालियन इन्हें मजबूत बनाएंगी.

भैरव और पुरानी स्पेशल फोर्सेस में फर्क

सेना में पहले से 10 पैरा स्पेशल फोर्सेस बटालियन और 5 पैरा एयरबोर्न बटालियन हैं. हर एक में 620 सैनिक होते हैं. ये बहुत बड़े और हवाई हमलों के लिए ट्रेनिंग वाली हैं. लेकिन भैरव छोटी और ज्यादा तेज हैं. ये पैदल सेना को स्पेशल फोर्सेस जैसी ताकत देंगी, बिना पूरी तरह बदलाव के.

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लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार कहते हैं कि भैरव बटालियन नई सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सेना की ताकत बढ़ाएंगी. ये बटालियन सेना को ज्यादा चपल (agile), घातक और तकनीकी रूप से मजबूत बनाएंगी.

अश्नी प्लाटून: ड्रोन से नजर और हमला

अब बात ड्रोन की. ड्रोन छोटे हवाई यंत्र हैं जो उड़कर जासूसी करते हैं या हमला करते हैं. सेना हर पैदल बटालियन में एक अश्नी प्लाटून बना रही है. ये प्लाटून ड्रोन से लैस होंगी. अब तक 382 ऐसी प्लाटून बन चुकी हैं. 

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अश्नी प्लाटून क्या है?

  • सैनिक: हर प्लाटून में 20-25 खास ट्रेनिंग वाले सैनिक होंगे.
  • उपकरण: ये सैनिक कई तरह के ड्रोन चलाएंगे. ड्रोन जासूसी, निगरानी, टोह (ISR - Intelligence, Surveillance, Reconnaissance) और लड़ाई के लिए होंगे.
  • काम: ये प्लाटून कमांडरों को रीयल-टाइम जानकारी देंगी. जैसे, दुश्मन कहां है. क्या प्लान कर रहा है. इससे सटीक निशाना लगाना आसान हो जाएगा.

सेना ड्रोन क्यों खरीद रही है?

सेना नई ड्रोन सिस्टम खरीद रही है. ट्रायल चल रहे हैं. मुख्य खरीदारी...

  • 4 तरह के ISR ड्रोन: ये जासूसी और निगरानी के लिए. छोटे से बड़े, हवा में लंबे समय उड़ सकेंगे.
  • 6 तरह के लॉयटरिंग म्यूनिशन: ये कामिकेज ड्रोन हैं. ये दुश्मन के ऊपर मंडराते हैं और जरूरत पर हमला करते हैं.

ये ड्रोन पैदल सेना को आधुनिक बनाएंगे. पहले सैनिक दूरबीन से देखते थे, अब ड्रोन से दूर से सब पता चलेगा. इससे जंग में कम नुकसान होगा और ज्यादा सफलता मिलेगी. लेफ्टिनेंट जनरल कुमार कहते हैं कि अश्नी प्लाटून स्थिति की समझ, सटीक निशाना और जंग की खुफिया जानकारी बढ़ाएंगी.

सेना का आधुनिकीकरण: नई चुनौतियों का जवाब

भारत की सीमाओं पर नई चुनौतियां हैं. चीन और पाकिस्तान नई तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए सेना पैदल सेना को बदल रही है. भैरव बटालियन तेज हमलों के लिए और अश्नी प्लाटून ड्रोन तकनीक के लिए हैं. ये कदम सेना को ज्यादा लचीला, घातक और तकनीकी बनाएंगे. सैनिकों को नई ट्रेनिंग मिलेगी. कुल मिलाकर, ये बदलाव भारत की सुरक्षा को मजबूत करेंगे. पुरानी ताकत को नई तकनीक से जोड़ना.  

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