तेजस Mk1A के इंजन, अपाचे, चिनूक... ट्रंप के टैरिफ अटैक का भारत के साथ रक्षा संबंधों पर क्या असर होगा?

ट्रंप की टैरिफ नीति रक्षा सौदों को सीधे प्रभावित नहीं करेगी, क्योंकि अमेरिका को भारत के साथ साझेदारी की जरूरत है. तेजस Mk1A के इंजन, अपाचे, चिनूक, MQ9 ड्रोन और P8I जैसे सौदे सुरक्षित हैं. हालांकि, यह नई नीति भरोसे पर सवाल उठाती है. भारत रूस, फ्रांस, इजरायल और आत्मनिर्भरता पर भरोसा बढ़ाएगा.

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ये है अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर जिसे भारत ने अमेरिका से खरीदा है. (File Photo: Getty) ये है अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर जिसे भारत ने अमेरिका से खरीदा है. (File Photo: Getty)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टैरिफ नीति ने भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों पर चर्चा छेड़ दी है. रिटायर्ड मेजर जनरल आरसी पाधी (Retd Maj Gen RC Padhi) ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी है. आइए, समझते हैं कि ट्रंप की नीति भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों को कैसे प्रभावित कर सकती है? क्या इसका असर वास्तव में पड़ेगा या नहीं? 

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भारत-अमेरिका के रक्षा संबंध: मजबूत लेकिन भरोसे पर सवाल

भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ सालों में रक्षा क्षेत्र में करीब 20 समझौते हुए हैं. हम अमेरिका से हथियार, हेलिकॉप्टर, ड्रोन और अन्य सैन्य उपकरण आयात कर रहे हैं. ट्रंप ने हाल ही में भारत पर टैरिफ (कर) लगाने की घोषणा की, जिससे लोग चिंतित हैं. मेजर जनरल पाधी कहते हैं कि यह टैरिफ रक्षा सौदों को सीधे प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन दोनों देशों के बीच भरोसा जरूर कम हो सकता है.

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क्यों नहीं होगा असर?

अमेरिका को भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी की जरूरत है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए. इसलिए, टैरिफ के बावजूद, मौजूदा सौदे जैसे तेजस Mk1A के इंजन, अपाचे हेलिकॉप्टर, चिनूक हेलिकॉप्टर, MQ9 ड्रोन और P8I विमान प्रभावित नहीं होंगे.

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भरोसे पर असर

ट्रंप की यह नीति भारत को यह संदेश दे रही है कि अमेरिका अपने आर्थिक हितों को रक्षा संबंधों से ऊपर रख सकता है, जो भविष्य में सहयोग पर सवाल उठा सकता है.

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तेजस Mk1A, अपाचे, चिनूक, और अन्य सौदे: क्या है स्थिति?

भारत तेजस Mk1A लड़ाकू विमानों के लिए इंजन का इंतजार कर रहा है, जो अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) से आना था. हालांकि, डिलीवरी में देरी हो रही है, जिसे आपूर्ति श्रृंखला की समस्या बताया जा रहा है. इसके अलावा, हम पहले से ही अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर, MQ9 ड्रोन और P8I समुद्री गश्ती विमान इस्तेमाल कर रहे हैं. नए सौदों पर भी बातचीत चल रही है.

  • देरी का असर: मेजर जनरल पाधी कहते हैं कि ये देरी रक्षा सौदों को रोक नहीं पाएंगी, क्योंकि अमेरिका को भारत के साथ सैन्य सहयोग की जरूरत है. तेजस Mk1A के लिए वैकल्पिक इंजन की तलाश भी शुरू हो सकती है.
  • रणनीतिक हित: अमेरिका भारत को अपने रक्षा सिस्टम बेचकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है, इसलिए ये सौदे सुरक्षित हैं.

रूस के साथ रिश्ता: अमेरिका का दबाव काम नहीं करेगा

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भारत का रूस के साथ रक्षा संबंध 70 साल पुराना है. ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए टैरिफ की धमकी दी है, लेकिन मेजर जनरल पाधी का मानना है कि यह रिश्ता अमेरिकी फैसलों से प्रभावित नहीं होगा. 

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रूस का महत्व: भारत रूस से सुखोई लड़ाकू विमान और अन्य उपकरण लेता रहा है. अमेरिका चाहे दबाव डाले, लेकिन भारत अपनी जरूरतों के लिए रूस से सौदा जारी रखेगा. 

वैकल्पिक साझेदार: अब फ्रांस, इजरायल और आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) पर ज्यादा जोर दे रहा है. अगर अमेरिका से इंजन न मिले, तो फ्रांस से विकल्प तलाशे जा सकते हैं.

भारत का राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर

मेजर जनरल पाधी का कहना है कि भारत का राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है. भारत इतना मजबूत है कि वह अपने फैसले खुद ले सकता है, चाहे अमेरिका कितना भी दबाव डाले.

आत्मनिर्भरता: भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहा है. यह ट्रंप की टैरिफ नीति से प्रभावित नहीं होगा.

अस्थायी समस्या: ट्रंप की यह नीति एक अस्थायी बाधा है, जिसे भारत-अमेरिका रक्षा संबंध आसानी से पार कर लेंगे. दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग लंबे समय तक कायम रहेगा.

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