ईरान पर मेहरबान हुए ट्रम्प... सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम के लिए 2.57 लाख करोड़ देने और बैन हटाने का दिया ऑफर

दुनिया को हैरान करते हुए अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर नया ऑफर दिया है. 2.57 लाख करोड़ की सहायता, प्रतिबंधों में राहत और जमा हुए फंड की रिहाई जैसे प्रोत्साहन ईरान को बातचीत की मेज पर लाने का प्रयास हैं. लेकिन ईरान की संवर्धन पर अडिग रुख और क्षेत्रीय जटिलताओं के कारण इस समझौते का भविष्य अनिश्चित है.

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ट्रम्प सरकार ने ईरान को 2.57 लाख करोड़ देने के साथ कई नए ऑफर दिए हैं. (फोटोः AP/Getty) ट्रम्प सरकार ने ईरान को 2.57 लाख करोड़ देने के साथ कई नए ऑफर दिए हैं. (फोटोः AP/Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

वैश्विक मंच पर एक नया और आश्चर्यजनक मोड़ सामने आया है. अमेरिका की ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के साथ एक नया समझौता करने की योजना बनाई है,जिसमें ईरान को 30 बिलियन डॉलर (करीब 2.57 लाख करोड़) तक की सहायता, प्रतिबंधों में ढील और जमे हुए अरबों डॉलर की राशि को मुक्त करने की पेशकश शामिल है.

यह प्रस्ताव तब आया है, जब हाल ही में अमेरिका ने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमले किए, जिन्हें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पूरी तरह से नष्ट करने का दावा किया.  

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ईरान का परमाणु कार्यक्रम और हालिया हमले

ईरान का परमाणु कार्यक्रम लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय विवाद का केंद्र रहा है. ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों, जैसे बिजली उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान के लिए है. हालांकि, अमेरिका, इज़राइल और अन्य पश्चिमी देशों को डर है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित कर सकता है.

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2015 में, ईरान और छह वैश्विक शक्तियों (अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी) के बीच जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) नामक एक ऐतिहासिक समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण की अनुमति देने का वादा किया था, बदले में उसे प्रतिबंधों से राहत मिली थी.

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फोर्डो न्यूक्लियर सेंटर को अमेरिकी बमबारी काफी नुकसान पहुंचाया है. (फोटोः एपी)

लेकिन 2018 में, तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका को इस समझौते से बाहर कर लिया. ईरान पर कड़े प्रतिबंध फिर से लागू कर दिए. इसके जवाब में, ईरान ने भी JCPOA की कुछ शर्तों का उल्लंघन शुरू कर दिया, जैसे कि यूरेनियम संवर्धन को 60% तक बढ़ाना, जो परमाणु हथियार के लिए जरूरी स्तर (90%) के करीब है.

हाल ही में, जून 2025 में, इज़राइल और अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान पर हवाई हमले किए. अमेरिका ने इन हमलों में 30,000 पाउंड के मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बमों का इस्तेमाल किया, जो गहरी भूमिगत संरचनाओं को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.

राष्ट्रपति ट्रम्प ने दावा किया कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को "पूरी तरह से नष्ट" कर दिया. हालांकि, विशेषज्ञों और एक प्रारंभिक अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) की रिपोर्ट के अनुसार, इन सुविधाओं को गंभीर नुकसान हुआ, लेकिन वे पूरी तरह से नष्ट नहीं हुईं. 

अमेरिका का नया प्रस्ताव: 30 बिलियन डॉलर की सहायता और प्रतिबंधों में राहत

इन हमलों के बाद, ट्रम्प प्रशासन ने एक आश्चर्यजनक कदम उठाया. अमेरिका ने ईरान के साथ गुप्त बातचीत शुरू की है, ताकि उसे परमाणु समझौते की मेज पर वापस लाया जा सके. इस प्रस्ताव के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं...

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30 बिलियन डॉलर की सहायता

अमेरिका ने ईरान को एक गैर-संवर्धन (नॉन-एनरिचमेंट) परमाणु कार्यक्रम के लिए 30 बिलियन डॉलर (करीब 2.57 लाख करोड़) की सहायता देने की पेशकश की है. यह कार्यक्रम केवल नागरिक ऊर्जा उत्पादन के लिए होगा, जैसे बिजली संयंत्रों के लिए.

ट्रम्प प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह राशि अमेरिका द्वारा नहीं, बल्कि इसके अरब सहयोगियों (संभवतः कतर, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब) द्वारा दी जाएगी. एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि हम इन वार्ताओं का नेतृत्व करने को तैयार हैं, लेकिन इस परियोजना के लिए धन हम नहीं देंगे.

तबाह हुआ इस्फहान न्यूक्लियर साइट. (फोटोः एपी)

प्रतिबंधों में राहत और जमा हुए फंड की रिहाई

प्रस्ताव में ईरान पर लगे कुछ प्रतिबंधों को हटाने और विदेशी बैंकों में जमा 6 अरब डॉलर की राशि को मुक्त करने की बात शामिल है. यह राशि 2023 में अमेरिका-ईरान कैदी अदला-बदली समझौते के तहत कतर में जमा थी, लेकिन ईरान इसे स्वतंत्र रूप से उपयोग नहीं कर सका. ईरान ने मांग की है कि सभी प्रतिबंध तुरंत हटाए जाएं, खासकर वे जो उसकी तेल आधारित अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं.

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फोर्डो सुविधा का पुनर्निर्माण

एक अन्य प्रस्ताव में, अमेरिका ने सुझाव दिया है कि खाड़ी देश फोर्डो परमाणु सुविधा जो हाल के हमलों में क्षतिग्रस्त हुई थी, को एक गैर-संवर्धन परमाणु संयंत्र के रूप में पुनर्निर्माण के लिए भुगतान करें. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह सुविधा ईरान में ही होगी या नहीं, इस प्रस्ताव को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है.

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शर्त: यूरेनियम संवर्धन पर पूर्ण रोक

अमेरिका की शर्त है कि ईरान को यूरेनियम संवर्धन पूरी तरह से बंद करना होगा. ट्रम्प प्रशासन के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा कि बिना संवर्धन के ईरान एक नागरिक परमाणु कार्यक्रम कैसे बना सकता है? यही हम अब चर्चा कर रहे हैं. इसके विपरीत, ईरान ने लगातार कहा है कि उसे अपने परमाणु संवर्धन का अधिकार चाहिए, क्योंकि वह न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी (NPT) का हस्ताक्षरकर्ता है. 

गुप्त बातचीत और क्षेत्रीय स्थिति

यह प्रस्ताव तब सामने आया है, जब हाल ही में इज़रायल और ईरान के बीच 12 दिन तक सैन्य तनाव चरम पर था. इज़रायल ने 13 जून 2025 को ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमले शुरू किए. इसके जवाब में ईरान ने कतर में अमेरिकी हवाई अड्डे पर मिसाइलें दागीं. कतर की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच एक युद्धविराम हुआ, जिसे इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन ने स्वीकार किया.

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इन सैन्य कार्रवाइयों के बीच, अमेरिका और मध्य पूर्व के प्रमुख देशों (संभवतः खाड़ी सहयोगी) ने ईरान के साथ गुप्त बातचीत जारी रखी. ये वार्ताएं इस सप्ताह भी जारी रहीं, जब युद्धविराम लागू हुआ. ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि हाल के हमलों ने ईरान को और अधिक लचीला बना दिया है, जिससे वह बातचीत के लिए तैयार हो सकता है.

नतांज न्यूक्लियर साइट. (फोटोः एपी)

प्रस्ताव का महत्व और चुनौतियां

इस प्रस्ताव का महत्व कई मायनों में है...

ईरान की अर्थव्यवस्था

ईरान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से प्रतिबंधों के कारण संकट में है. 2012-2014 में प्रतिबंधों के कारण ईरान को 100 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था. 6 अरब डॉलर की जमा हुई राशि और प्रतिबंधों में राहत से ईरान की तेल आधारित अर्थव्यवस्था को राहत मिल सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंधों का आर्थिक प्रभाव उतना गंभीर नहीं था, जितना अमेरिका ने दावा किया और राहत का प्रभाव भी सीमित हो सकता है.

परमाणु खतरे को कम करना

अमेरिका और उसके सहयोगी ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना चाहते हैं. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान के पास 408 किलोग्राम यूरेनियम है, जो 60% तक संवर्धित है. नौ परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त है. इस प्रस्ताव का लक्ष्य ईरान को इस स्तर के संवर्धन से रोकना और उसके परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बनाना है.

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क्षेत्रीय स्थिरता

यह प्रस्ताव मध्य पूर्व में तनाव को कम करने की दिशा में एक कदम हो सकता है. इज़रायल और ईरान के बीच हाल के हमलों ने क्षेत्र में युद्ध का खतरा बढ़ा दिया था. यदि यह समझौता सफल होता है, तो यह क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है. 

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इस प्रस्ताव के सामने कई चुनौतियां हैं

ईरान की मांगें: ईरान ने स्पष्ट किया है कि वह अपने संवर्धन के अधिकार को नहीं छोड़ेगा. सभी प्रतिबंधों को तुरंत हटाने की मांग करता है.

अमेरिकी नीति: ट्रम्प ने बार-बार कहा है कि वह ईरान को किसी भी तरह का यूरेनियम संवर्धन करने की अनुमति नहीं देंगे. यह शर्त ईरान के लिए स्वीकार करना मुश्किल हो सकता है.

क्षेत्रीय विरोध: इज़रायल और कुछ खाड़ी देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर संशय में हैं. इस प्रस्ताव का विरोध कर सकते हैं.

ईरान की प्रतिक्रिया

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि ईरान इस प्रस्ताव का जवाब "राष्ट्रीय हितों और सिद्धांतों" के आधार पर देगा. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई ने पहले इस तरह के प्रस्ताव की आलोचना की थी, जिसमें यूरेनियम संवर्धन पर रोक शामिल थी. 

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इसके अलावा, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन ने ट्रम्प के बयानों को "धमकी" करार दिया और कहा कि ईरान किसी धमकी के सामने नहीं झुकेगा. हालांकि, ईरान के एक वरिष्ठ सलाहकार अली शमखानी ने संकेत दिया है कि ईरान तुरंत एक समझौते के लिए तैयार है, बशर्ते अमेरिका सभी आर्थिक प्रतिबंध हटाए. ईरान के परमाणु अधिकार को माने. 

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