ट्रैक किया, घेरा और गेम फिनिश... 96 दिन बाद Mount Mahadev पर पहलगाम के संदिग्ध गुनहगारों का ऐसे हुआ काम तमाम

ऑपरेशन महादेव में 96 दिन बाद पहलगाम हमले के संदिग्ध तीन गुनहगारों का माउंट महादेव पर सफाया हो गया. सेना ने ड्रोन और जासूसी से आतंकियों को ट्रैक कर घेरा, जिसमें तीन आतंकी मारे गए. स्वदेशी तकनीक और रणनीति से भारत ने आतंक पर करारा जवाब दिया.

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भारतीय सेना का स्नाइपर आतंकियों पर निशाना लगाता हुआ. (File Photo: Getty) भारतीय सेना का स्नाइपर आतंकियों पर निशाना लगाता हुआ. (File Photo: Getty)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:26 PM IST

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले के 96 दिन बाद भारतीय सेना ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. इस हमले में 26 बेकसूर पर्यटकों की जान गई थी.जवाब में शुरू हुआ ऑपरेशन महादेव अब आतंकियों के लिए "गेम ओवर" साबित हुआ है.

श्रीनगर में हाल ही में हुई मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया गया, जो पहलगाम हमले से जुड़े बताए जा रहे हैं. आइए, समझते हैं कि यह ऑपरेशन क्या था, कैसे चला और आतंकियों को कैसे शिकस्त दी गई.

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पहलगाम हमला: क्या हुआ था?

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बाइसरन घाटी में पांच आतंकियों ने 26 पर्यटकों पर हमला किया था. ये आतंकी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़े थे, जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मोहरा माना जाता है. हमले में हथियारों जैसे M4 कार्बाइन और AK-47 का इस्तेमाल हुआ.

आतंकियों ने हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया. जो लोग इस्लामिक आयतें नहीं पढ़ सके, उन्हें गोलियों से भून दिया गया. इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया. पर्यटन पर भी बुरा असर पड़ा.

  • नुकसान: 26 लोग मारे गए, जिसमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था.  
  • आरोप: भारत ने TRF और पाकिस्तान पर हमले का इल्जाम लगाया, जबकि पाकिस्तान ने इसे "घरेलू विद्रोह" बताया.  
  • प्रतिक्रिया: इसके बाद भारत ने Indus Waters Treaty सस्पेंड की और पाकिस्तानी नागरिकों को निकाला.

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ऑपरेशन महादेव: मिशन की शुरुआत

पहलगाम हमले के बाद 7 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए गए. लेकिन आतंकियों की जड़ें खत्म करने के लिए सेना ने लंबी रणनीति बनाई, जिसका नाम पड़ा ऑपरेशन महादेव. यह ऑपरेशन 96 दिन तक चला और इसका मकसद उन आतंकियों को पकड़ना या मारना था, जो पहलगाम हमले में शामिल थे.

  • शुरुआत: 28 जुलाई 2025 को श्रीनगर के दाचीगाम इलाके में मुठभेड़ से ऑपरेशन महादेव का आखिरी चरण शुरू हुआ.  
  • टीम: इसमें स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) और भारतीय सेना की 12 सिख लाइट इन्फैंट्री शामिल थी.  
  • लक्ष्य: आतंकियों के छिपने के ठिकानों को नष्ट करना और मुख्य हमलावरों को ढूंढना.

मिशन की कहानी: कैसे हुआ आतंकियों का सफाया?

जासूसी और तैयारी: सेना ने ड्रोन और ह्यूमिंट (मानव खुफिया) से आतंकियों की लोकेशन ट्रैक की. दाचीगाम के जंगलों में आतंकियों के होने की खबर मिली, जहां वे छिपे थे. 

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मुठभेड़ शुरू: 28 जुलाई की सुबह सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया. आतंकियों ने गोलीबारी शुरू की, लेकिन सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. मुठभेड़ 6 घंटे तक चली, जिसमें तीन आतंकी मारे गए.

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हथियार बरामद: मुठभेड़ में AK-47, ग्रेनेड और IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) मिले. ये हथियार पहलगाम हमले में इस्तेमाल किए गए थे.

सफलता का दावा: सेना ने कहा कि पहलगाम हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक का सफाया हो गया. बाकी बचे आतंकियों की तलाश जारी है.

क्या खास था ऑपरेशन में?

  • स्वदेशी तकनीक: सेना ने स्वदेशी ड्रोन और रडार का इस्तेमाल किया, जो जंगलों में छिपे आतंकियों को ढूंढने में मददगार रहा. 
  • सटीकता: मुठभेड़ में नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए सावधानी बरती गई.  
  • लंबी रणनीति: 96 दिन तक चले इस ऑपरेशन में जासूसी, घेराबंदी और सटीक हमले शामिल थे.

ड्रोन और थर्मल इमेजिंग से सेना ने रात में भी आतंकियों की गतिविधियां देखीं. IED को निष्क्रिय करने के लिए रोबोटिक सिस्टम का इस्तेमाल हुआ.

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भारत के लिए क्या मायने?

  • सुरक्षा: पहलगाम जैसे हमलों को रोकने में मदद मिलेगी.  
  • गर्व: स्वदेशी तकनीक और सेना की रणनीति से देश का आत्मविश्वास बढ़ा.  
  • चुनौती: हाशिम मूसा जैसे और आतंकी छिपे हो सकते हैं, इसलिए सतर्कता जरूरी है.

ऑपरेशन महादेव ने पहलगाम हमले के 96 दिन बाद आतंकियों को करारा जवाब दिया. श्रीनगर की मुठभेड़ में तीन आतंकियों का मारा जाना भारत की दृढ़ता दिखाता है. हाशिम मूसा जैसे खतरनाक आतंकियों का सफाया देश की सुरक्षा के लिए बड़ी जीत है. लेकिन आतंक की जड़ें पूरी तरह खत्म नहीं हुईं, इसलिए सेना को लगातार सतर्क रहना होगा.

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