थाईलैंड और कम्बोडिया के बीच सीमा पर हाल के भयंकर संघर्ष के बाद रॉयल थाई आर्मी (RTA) अपने फ्रांसीसी निर्मित VL MICA शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम को पहली बार युद्ध में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है. X अकाउंट Visioner के 26 जुलाई 2025 के वीडियो के मुताबिक, यह कदम 24 जुलाई से शुरू हुए तनाव के जवाब में उठाया जा रहा है.
ता मुएन थॉम और प्रह वीहार जैसे विवादित क्षेत्रों में तोपखाने और रॉकेट हमलों से हालात बिगड़ गए. इस संघर्ष में कई लोग मारे गए और अलर्ट लेवल बढ़ गया है. आइए, समझते हैं कि यह सिस्टम क्या है, क्यों तैनात हो रहा है और थाईलैंड की सुरक्षा पर इसका क्या असर होगा.
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VL MICA सिस्टम क्या है और क्यों जरूरी है?
VL MICA एक आधुनिक हवाई रक्षा मिसाइल सिस्टम है, जो यूरोपीय कंपनी MBDA ने बनाया है. इसे थाई सेना ने 2017 में खरीदा था. 2019 से इस्तेमाल शुरू किया. यह सिस्टम पुराने और कमजोर स्पाडा 2000 सिस्टम की जगह ले रहा है. इसका मकसद थाईलैंड की सेना को हवाई खतरे (जैसे ड्रोन, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू विमान) से बचाना है.
क्यों जरूरी? कम्बोडिया की ओर से रॉकेट, तोपखाने और ड्रोन हमले बढ़ गए हैं. थाई सेना इनसे निपटने के लिए VL MICA को सीमा के पास तैनात कर रही है. यह पहली बार है जब इसे असली जंग में आजमाया जाएगा, जो MBDA के लिए भी एक बड़ा टेस्ट है.
क्या हुआ था सीमा पर?
शुरुआत: 24 जुलाई 2025 को ता मुएन थॉम और प्रह वीहार इलाकों में संघर्ष शुरू हुआ. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर पहले हमले का आरोप लगाया.
हालात: तोपखाने और रॉकेट हमलों से कई सैनिक और नागरिक मारे गए. थाईलैंड ने F-16 जेट्स से जवाबी हमले किए, जबकि कम्बोडिया ने भारी हथियारों का इस्तेमाल किया.
असर: हजारों लोग विस्थापित हुए. स्कूल-हॉस्पिटल बंद हुए. थाई सेना ने ड्रोन और मिसाइल हमलों से बचाव के लिए VL MICA को आगे बढ़ाया.
VL MICA की खासियतें
यह सिस्टम इसलिए खास है क्योंकि यह हर तरह के हवाई खतरे से निपट सकता है...
यह सिस्टम मिसाइल को सीधे ऊपर लॉन्च करता है, जो 360 डिग्री कवरेज देता है. रडार और इंफ्रारेड तकनीक इसे सटीक बनाती है, जैसे निशाने पर तीर चलाना.
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थाईलैंड ने क्यों खरीदा VL MICA?
क्या होगा असर?
चुनौतियां क्या हैं?
पहली बार टेस्ट: यह सिस्टम अभी तक जंग में आजमाया नहीं गया, तो असर अनिश्चित है.
तनाव: इसका इस्तेमाल संघर्ष को शांत कर सकता है या और भड़का सकता है.
नागरिक सुरक्षा: सीमा के पास गांवों में लोग हैं, उनकी रक्षा करना मुश्किल होगा.
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