रूस ने भारत को Su-57 फाइटर जेट बेचने का प्रस्ताव दिया, देश में उत्पादन भी होगा

रूस ने भारत को Su-57 स्टेल्थ फाइटर जेट बेचने और भारत में ही बनाने का प्रस्ताव दिया. 2026 तक S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी पूरी होगी. इससे भारतीय वायुसेना मजबूत बनेगी. मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा.

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ये है रूस का Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट. (File Photo: Aero India 2025) ये है रूस का Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट. (File Photo: Aero India 2025)

प्रणय उपाध्याय

  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:20 PM IST

रूस ने भारत को Su-57 फाइटर जेट की आपूर्ति और भारत में ही इनका उत्पादन करने का प्रस्ताव भेजा है. रूसी न्यूज एजेंसी TASS के अनुसार  सैन्य-तकनीकी सहयोग प्रणाली के एक स्रोत ने यह जानकारी दी. साथ ही, रूस ने कहा कि 2026 में भारत को दो और S-400 'ट्रायम्फ' एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी पूरी कर देगा. यह भारत-रूस रक्षा संबंधों को नई मजबूती देने वाला कदम है.

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Su-57 फाइटर जेट क्या है?

Su-57 रूस का पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट है. यह बहुत तेज उड़ता है और दुश्मन के रडार से बच सकता है. इसमें आधुनिक हथियार हैं, जैसे एयर-टू-एयर मिसाइल और बम. यह हवा में दुश्मन विमानों, जमीन के लक्ष्यों और समुद्र के जहाजों पर हमला कर सकता है.

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रूस इसे Su-57E नाम से निर्यात करता है. TASS के मुताबिक, इसका पहला विदेशी खरीदार 2025 में इसे इस्तेमाल शुरू करेगा. रूस ने भारत को यह जेट बेचने का प्रस्ताव दिया है. न सिर्फ बेचना, बल्कि भारत में ही फैक्ट्री लगाकर उत्पादन करने की योजना है.

इससे भारत को तकनीक ट्रांसफर मिलेगी और नौकरियां भी बढ़ेंगी. रूस ने भारत में Su-57 बनाने के लिए निवेश का अध्ययन शुरू कर दिया है. भारत की वायुसेना (IAF) भी Su-57, फ्रांस की राफेल और अमेरिका के F-35 जेट खरीदने पर विचार कर रही है.

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भारत-रूस का पुराना रिश्ता

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग 60 साल से ज्यादा पुराना है. भारत की ज्यादातर सेना रूसी हथियारों पर निर्भर है. पहले Su-30 MKI जेट, मिग विमान और T-90 टैंक रूस से आए. अब पांचवीं पीढ़ी के जेट पर बात हो रही है. 2018 में भारत ने रूस से S-400 सिस्टम खरीदा था. यह दुनिया का सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम है. यह 400 किमी दूर के दुश्मन विमान, मिसाइल और ड्रोन को मार गिरा सकता है.

लेकिन अमेरिका ने CAATSA कानून से भारत पर दबाव डाला था. भारत ने फिर भी S-400 लिया. अब रूस कह रहा है कि 2026 तक बाकी दो यूनिट डिलीवर हो जाएंगी. डिलीवरी में देरी हो रही थी, लेकिन अब पूरी हो जाएगी.

प्रस्ताव क्यों महत्वपूर्ण?

  • भारत के लिए फायदा: Su-57 से IAF की ताकत बढ़ेगी. चीन और पाकिस्तान के खिलाफ मजबूत हवाई शक्ति मिलेगी. भारत में उत्पादन से 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा.
  • रूस के लिए: रूस को नया बाजार मिलेगा. Su-57 का निर्यात बढ़ेगा. रक्षा-यूए की रिपोर्ट के अनुसार, रूस भारत को Su-57 प्रोजेक्ट में शामिल करना चाहता है.
  • रणनीतिक महत्व: यह प्रस्ताव भारत की स्वदेशी AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोजेक्ट को भी मदद दे सकता है. रूस ने पहले FGFA (फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट) प्रोजेक्ट में भारत के साथ काम किया था, जो 2018 में रुक गया. अब फिर से शुरू करने का ऑफर है.

राष्ट्रीय सुरक्षा जर्नल के अनुसार, भारत Su-57 को घर में बनाने पर विचार कर रहा है. भारत Su-57 का ग्लोबल हब बन सकता है. रूस ने भारत के लिए साइट चेक करने की जल्दी दिखाई है.

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आगे क्या होगा?

भारत सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है. रक्षा मंत्रालय और वायुसेना की टीम रूस जाएगी. अगर डील हो गई, तो 2027-28 तक पहला स्क्वाड्रन (18 जेट) मिल सकता है. S-400 की डिलीवरी पूरी होने से भारत की हवाई रक्षा और मजबूत हो जाएगी.

यह खबर भारत-रूस दोस्ती को नई ऊंचाई देगी. दोनों देश BRICS और SCO में साथ हैं. रक्षा सहयोग से एशिया में शांति बनी रहेगी. रूस भारत को अपना भरोसेमंद पार्टनर मानता है. 

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