श्रीनगर में तैनात 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रशांत श्रीवास्तव ने पहली बार ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से बताया. यह एक जोरदार और सुनियोजित हमला था, जो भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (LOC) के पार पाकिस्तान की ओर से की गई उकसावे और आतंकी गतिविधियों के जवाब में किया गया.
योजना: सावधानी और सटीक तैयारी
ऑपरेशन सिंदूर की योजना पहलगाम हमले के तुरंत बाद शुरू हुई. 15 दिन तक सेना ने खुफिया जानकारी जुटाई और इलाके की निगरानी की. इस दौरान नए हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया. सेना ने महत्वपूर्ण ठिकानों को चुना. हमले के बाद नुकसान का आकलन करने की योजना बनाई.
इसके लिए रियल-टाइम निगरानी रखी गई. पूरे ऑपरेशन को एक साथ, सटीक ढंग से अंजाम देने की तैयारी थी. लेफ्टिनेंट जनरल श्रीवास्तव ने बताया कि पहले 25 मिनट बहुत महत्वपूर्ण थे. हमला रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच शुरू हुआ, जिसमें कई ठिकानों पर एक साथ हमले किए गए.
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हमला: आश्चर्य और सटीकता
इस ऑपरेशन में आश्चर्य सबसे बड़ा हथियार था. पाकिस्तानी सेना को कुछ समझ नहीं आया. जब तक वे संभलते, भारी नुकसान हो चुका था. भारतीय सैनिकों ने पूरी एकजुटता के साथ सटीक तोपखाने का इस्तेमाल किया. गोले आतंकी ठिकानों और पाकिस्तानी सेना के उन ठिकानों पर दागे गए, जो आतंकियों की मदद कर रहे थे. लेफ्टिनेंट जनरल श्रीवास्तव ने साफ किया कि इस हमले में किसी भी महिला या बच्चे को निशाना नहीं बनाया गया.
निशाने और हमले के क्षेत्र
हमले में पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों को निशाना बनाया गया, जो LOC से 34-41 किलोमीटर अंदर थे. कुछ ऐसे ठिकाने भी निशाने पर थे, जिन्हें आतंकी छिपने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. खुफिया जानकारी के बाद ही इन ठिकानों पर हमला किया गया. पहली बार भारतीय सेना इतनी गहराई तक गई और कई जगहों पर एक साथ हमले किए.
पाकिस्तान को नुकसान
ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के लिए बहुत भारी पड़ा. उनकी सेना के 64 सैनिक मारे गए. 96 घायल हुए. दो पाकिस्तानी अधिकारी भी इस हमले में मारे गए. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी संचार को इंटरसेप्ट किया, जिसमें एक कमांडर अपने सैनिकों से कह रहा था कि दफ्तर तो कल भी खुल जाएगा, अभी जान बचाकर भागो.
पाकिस्तान ने अपनी बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) के जरिए जवाबी हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने इन्हें नाकाम कर दिया. उन्नत लॉन्चपैड और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों ने सीमा पार की घुसपैठ को रोका.
ड्रोन निगरानी: तकनीकी जीत
ऑपरेशन सिंदूर में निगरानी भी अहम थी. पीर पंजाल के उत्तरी हिस्से में भारतीय सेना ने 349 में से 307 पाकिस्तानी ड्रोनों को पकड़ा. ये ड्रोन निगरानी और तस्करी के लिए इस्तेमाल हो रहे थे. इससे न सिर्फ पाकिस्तान की हवाई निगरानी नाकाम हुई, बल्कि भारतीय सेना को पूरे ऑपरेशन में बेहतर स्थिति मिली.
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भारतीय सेना: कोई नुकसान नहीं
ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी खासियत थी कि भारतीय सेना को कोई नुकसान नहीं हुआ. लेफ्टिनेंट जनरल श्रीवास्तव ने गर्व से बताया कि कोई हताहत नहीं. यह सेना की सटीक योजना, बेहतरीन तैयारी और शानदार रणनीति को दिखाता है. भारतीय सेना ने यह भी साफ किया कि यह हमला जवाबी कार्रवाई थी, न कि युद्ध को बढ़ाने की कोशिश. इसका मकसद आतंक और उकसावे का जवाब देना था.
ऑपरेशन सिंदूर: एक ऐतिहासिक जीत
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना के 15 कोर और लेफ्टिनेंट जनरल प्रशांत श्रीवास्तव की अगुआई में एक ऐतिहासिक और सटीक ऑपरेशन था. इसने भारत की सैन्य ताकत, तकनीकी बढ़त और संयम को दुनिया के सामने दिखाया. यह ऑपरेशन एक मजबूत संदेश देता है: आतंकवाद या उकसावे की किसी भी कोशिश का भारत करारा जवाब देगा.
शिवानी शर्मा