PAK-चीन में मचेगी खलबली... DRDO करने जा रहा है सबसे खतरनाक रॉकेट लॉन्चर की टेस्टिंग

पिनाका MkIII भारतीय सेना के लिए एक क्रांतिकारी हथियार साबित होगा, जो 120 किमी की रेंज और पिनपॉइंट सटीकता के साथ दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर सकता है. DRDO और सोलर इंडस्ट्रीज की साझेदारी ने इसे उत्पादन के लिए तैयार कर दिया है. जल्द शुरू होने वाले परीक्षण इसे सेना में शामिल करने की दिशा में बड़ा कदम होंगे. भविष्य में 200-300 किमी रेंज वाले वेरिएंट्स इसे और भी घातक बनाएंगे.

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पिनाका रॉकेट लॉन्चर की टेस्टिंग के दौरान की तस्वीर. (फाइल फोटोः DRDO/PTI) पिनाका रॉकेट लॉन्चर की टेस्टिंग के दौरान की तस्वीर. (फाइल फोटोः DRDO/PTI)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:28 PM IST
  • पिनाका MkIII: DRDO द्वारा विकसित 120 किमी रेंज वाला गाइडेड रॉकेट सिस्टम, जो भारतीय सेना की तोपखाने की ताकत को बढ़ाएगा.
  • उन्नत तकनीक: 300 मिमी कैलिबर, 250 किलो का वारहेड और सटीक निशाना लगाने वाली गाइडेंस सिस्टम.
  • परीक्षण: जल्द शुरू होने वाले विकास और उपयोगकर्ता परीक्षण, जो इसे सेना में जल्द शामिल करने में मदद करेंगे.
  • आत्मनिर्भर भारत: सोलर इंडस्ट्रीज और DRDO की साझेदारी से स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा.
  • रणनीतिक महत्व: चीन और पाकिस्तान के लंबी दूरी के रॉकेट सिस्टम का जवाब देने के लिए तैयार.

भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने अपने तोपखाने की ताकत को और मजबूत करने के लिए पिनाका MkIII नामक एक उन्नत गाइडेड रॉकेट सिस्टम तैयार किया है. यह रॉकेट 120 किलोमीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगा सकता है. जल्द ही इसके परीक्षण शुरू होने वाले हैं. यह सिस्टम भारतीय सेना के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा, जो चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के लंबी दूरी के हथियारों का जवाब देगा. 

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पिनाका MkIII क्या है?

पिनाका MkIII एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) सिस्टम है, जिसे DRDO की पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) ने अन्य प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर बनाया है. यह पिनाका परिवार का सबसे उन्नत संस्करण है, जो पुराने वेरिएंट्स—पिनाका MkI (40 किमी), MkII (60-90 किमी) और गाइडेड पिनाका (75-90 किमी) से कहीं बेहतर है. इसकी खासियतें हैं...

  • रेंज और शक्ति: 120 किमी की रेंज और 250 किलो का वारहेड, जो दुश्मन के कमांड सेंटर, बंकर और लॉजिस्टिक्स ठिकानों को नष्ट कर सकता है.
  • कैलिबर: 300 मिमी का बड़ा व्यास, जो पुराने 214 मिमी से अधिक है. यह ज्यादा ईंधन और उन्नत गाइडेंस सिस्टम को सपोर्ट करता है.
  • सटीकता: DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) द्वारा विकसित गाइडेंस, नेविगेशन और कंट्रोल (GNC) किट, जिसमें लेजर-गायरो नेविगेशन और माइक्रोस्ट्रिप एंटीना शामिल हैं. यह 10 मीटर से कम की सटीकता (CEP) देता है, जो पुराने MkI (500 मीटर) से कहीं बेहतर है.
  • लॉन्चर : मौजूदा पिनाका लॉन्चरों के साथ काम करता है, जिससे नई लागत कम होती है. प्रत्येक लॉन्चर में 8 गाइडेड रॉकेट होते हैं, जो 44 सेकंड में 700×500 मीटर क्षेत्र को नष्ट कर सकते हैं.

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परीक्षण और उत्पादन

पिनाका MkIII के प्री-प्रोडक्शन यूनिट्स को सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी इकनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) ने बनाया है. जल्द ही इसके विकास और उपयोगकर्ता परीक्षण शुरू होंगे, जिनमें शामिल होंगे...

  • 12 रॉकेट्स का टेस्ट: EEL और म्युनिशन्स इंडिया लिमिटेड (MIL) द्वारा बनाए गए रॉकेट्स को दो उन्नत पिनाका लॉन्चरों से दागा जाएगा.
  • पैरामीटर्स: रेंज, सटीकता, स्थिरता और सैल्वो मोड में फायरिंग रेट की जांच.
  • कमांड-एंड-कंट्रोल: मौजूदा सिस्टम के साथ एकीकरण और युद्ध जैसी परिस्थितियों में प्रदर्शन.

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ये संयुक्त परीक्षण पिछले गाइडेड पिनाका के सफल परीक्षणों (नवंबर 2024) पर आधारित हैं, जिसमें 75 किमी से अधिक रेंज और 10 मीटर की सटीकता साबित हुई थी. यह दृष्टिकोण सिस्टम को जल्द से जल्द सेना में शामिल करने में मदद करेगा.

स्वदेशीकरण और सोलर इंडस्ट्रीज की भूमिका

पिनाका MkIII का निर्माण DRDO और सोलर इंडस्ट्रीज के बीच साझेदारी का नतीजा है. सोलर इंडस्ट्रीज ने ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) समझौते के तहत रॉकेट्स का उत्पादन किया है. इसने पहले भी पिनाका MkI और गाइडेड पिनाका के लिए सफलतापूर्वक रॉकेट्स बनाए हैं, जैसे 2020 और 2021 में हुए टेस्ट. यह साझेदारी आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करती है, क्योंकि यह स्वदेशी तकनीक पर निर्भर है.

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रणनीतिक महत्व

पिनाका MkIII का विकास दक्षिण एशिया की बदलती सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखकर किया गया है...

चीन और पाकिस्तान का जवाब: चीन के 300 मिमी PHL-03 (70-130 किमी) और पाकिस्तान के A-100 (120 किमी) रॉकेट सिस्टम्स ने भारत के लिए लंबी रेंज की जरूरत को बढ़ाया है. 2021 में भारतीय सेना ने 120 किमी और 300 किमी पिनाका वेरिएंट्स को मंजूरी दी थी.

लद्दाख और कारगिल में प्रभावी: इसका सटीक गाइडेंस सिस्टम पहाड़ी इलाकों में दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में कारगर है.

लागत प्रभावी: मौजूदा लॉन्चरों के साथ और स्वदेशी डिज़ाइन से रखरखाव और लॉजिस्टिक्स आसान और सस्ता होगा.

भविष्य की योजनाएं: DRDO 200-300 किमी रेंज वाले वेरिएंट पर भी काम कर रहा है, जो पिनाका को शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की श्रेणी में ला सकता है.

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