रक्षा मंत्रालय खरीदेगी नेवी और कोस्टगार्ड के लिए 76 हेलिकॉप्टर... इस बड़े मिशन में आएंगे काम

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए 76 नौसैनिक हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए RFI जारी किया है. इनमें 51 नौसेना और 25 तटरक्षक के लिए होंगे. स्वदेशी ‘बाय एंड मेक’ श्रेणी के तहत ये हेलिकॉप्टर खोज, बचाव, आपदा राहत और तटीय सुरक्षा के लिए होंगे. ये आधुनिक, ट्विन-इंजन और हथियारों से लैस होंगे.

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नौसैनिक यूटिलिटी हेलीकॉप्टर्स कई तरह के मिशन में काम आते हैं. (Photo: Representational/HAL) नौसैनिक यूटिलिटी हेलीकॉप्टर्स कई तरह के मिशन में काम आते हैं. (Photo: Representational/HAL)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल की ताकत बढ़ाने के लिए 76 नौसैनिक उपयोगी हेलिकॉप्टरों (Naval Utility Helicopters - NUH), सिमुलेटर और संबंधित उपकरणों की खरीद के लिए एक RFI जारी किया है.

भारतीय नौसेना की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इनमें से 51 हेलिकॉप्टर नौसेना के लिए और 25 तटरक्षक बल के लिए होंगे. यह खरीद ‘बाय एंड मेक (इंडियन)’ श्रेणी के तहत होगी, जिसका उद्देश्य समुद्री खोज और बचाव, तटीय रक्षा और आपदा राहत जैसे मिशनों को मजबूत करना है.

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क्या है नौसैनिक उपयोगी हेलीकॉप्टर (NUH)?

नौसैनिक उपयोगी हेलिकॉप्टर (NUH) बहुउद्देश्यीय हेलिकॉप्टर हैं, जो भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल की कई जरूरतों को पूरा करेंगे. ये हेलिकॉप्टर पुराने चेतक की जगह लेंगे, जो अब पुराने हो चुके हैं. इनका उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए होगा...

  • समुद्री खोज और बचाव (SAR): समुद्र में फंसे लोगों को बचाना.
  • घायल और चिकित्सा निकासी (CASEVAC/MEDEVAC): घायल सैनिकों या नागरिकों को जल्दी से सुरक्षित स्थान पर ले जाना.
  • संचार और परिवहन: यात्रियों और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना.
  • कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान (LIMO): समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना, जैसे तस्करी या आतंकवाद रोकना.
  • मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR): प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान या सुनामी में राहत कार्य.
  • हवाई अग्निशमन: आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टरों का उपयोग.

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हेलिकॉप्टरों की खासियतें

रक्षा मंत्रालय ने इन हेलिकॉप्टरों के लिए कुछ खास तकनीकी और परिचालन मानक तय किए हैं...

  • वजन: अधिकतम 5,500 किलोग्राम.
  • इंजन: दो इंजन (ट्विन-इंजन) वाले हेलिकॉप्टर, जो समुद्र के ऊपर उड़ान के लिए सुरक्षित हों.
  • रोटर सिस्टम: आर्टिकुलेटेड रोटर सिस्टम और व्हील्ड लैंडिंग गियर.
  • ब्लेड फोल्डिंग: जहाज के हैंगर में आसानी से रखने के लिए ब्लेड फोल्ड करने की सुविधा.
  • हर मौसम में काम: दिन-रात और हर मौसम में, जहाजों और तट दोनों से संचालन की क्षमता.
  • हथियार: कम तीव्रता वाले मिशनों के लिए 12.7 मिमी भारी मशीन गन और 7.62 मिमी मध्यम मशीन गन से लैस.

इन हेलिकॉप्टरों के साथ सिमुलेटर और प्रशिक्षण उपकरण भी होंगे, ताकि चालक दल और रखरखाव कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा सके.

खरीद प्रक्रिया

रक्षा मंत्रालय ने इन हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए एक व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई है...

  • जानकारी के लिए अनुरोध (RFI): कंपनियों को अपने प्रस्ताव 17 अक्टूबर 2025 तक नौसेना मुख्यालय, नई दिल्ली में जमा करने होंगे.
  • तकनीकी मूल्यांकन: एक तकनीकी मूल्यांकन समिति (TEC) प्रस्तावों की जांच करेगी.
  • फील्ड मूल्यांकन परीक्षण (FET): शॉर्टलिस्ट किए गए हेलिकॉप्टरों का भारत में ‘नो कॉस्ट, नो कमिटमेंट’ आधार पर परीक्षण होगा.
  • अंतिम चयन: नौसेना मुख्यालय द्वारा अंतिम मूल्यांकन के बाद चयन होगा.

इसके अलावा, कंपनियों को लंबे समय तक स्पेयर पार्ट्स, रखरखाव उपकरण और तकनीकी सहायता प्रदान करनी होगी. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) के जरिए इन हेलीकॉप्टरों का भारत में लाइसेंस के तहत उत्पादन होगा, जिससे स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा.

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‘बाय एंड मेक (इंडियन)’ का महत्व

यह खरीद ‘बाय एंड मेक (इंडियन)’ श्रेणी के तहत हो रही है, जिसका मतलब है कि कुछ हेलिकॉप्टर सीधे खरीदे जाएंगे, लेकिन बाकी का निर्माण भारत में होगा. इससे न केवल नौसेना और तटरक्षक बल की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि भारतीय कंपनियों को भी फायदा होगा.

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, भारत फोर्ज, रिलायंस डिफेंस, महिंद्रा एयरोस्पेस और L&T जैसी कंपनियां विदेशी कंपनियों (जैसे एयरबस, बेल हेलिकॉप्टर्स और अगस्ता वेस्टलैंड) के साथ मिलकर इन हेलिकॉप्टरों का निर्माण कर सकती हैं. यह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को मजबूत करेगा.

पुराने हेलीकॉप्टरों की जगह

भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल वर्तमान में चेतक (फ्रांसीसी डिजाइन के अलौएट III और SA 315B लामा पर आधारित) और एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) का उपयोग करते हैं. ये हेलिकॉप्टर पुराने हो चुके हैं और कई बार दुर्घटनाओं का कारण बने हैं.

चेतक सिंगल-इंजन हेलिकॉप्टर हैं, जो समुद्र के ऊपर लंबी उड़ान के लिए सुरक्षित नहीं हैं. इस वजह से नए, आधुनिक हेलिकॉप्टरों की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी.

रणनीतिक महत्व

यह खरीद भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. भारत का 7,500 किलोमीटर लंबा तट और 2.02 मिलियन वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) सुरक्षा के लिए मजबूत समुद्री निगरानी की मांग करता है. ये हेलिकॉप्टर निम्नलिखित तरीकों से भारत की रक्षा को मजबूत करेंगे...

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  • तटीय सुरक्षा: समुद्री तस्करी, आतंकवाद और अवैध गतिविधियों को रोकने में मदद.
  • आपदा राहत: बाढ़, तूफान और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं में तेजी से राहत कार्य.
  • समुद्री निगरानी: संदिग्ध जहाजों और ड्रोन पर नजर रखना.
  • आत्मनिर्भरता: स्वदेशी निर्माण से रक्षा उद्योग को बढ़ावा और रोजगार के अवसर.

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद तेजी

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय रक्षा बलों ने हवा, जमीन और समुद्र में अपनी खरीद प्रक्रियाओं को तेज कर दिया है. यह खरीद भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण की योजना का हिस्सा है. नौसेना 2050 तक 200 जहाजों और 500 विमानों के बेड़े का लक्ष्य रखती है, जिसमें स्वदेशी प्लेटफार्मों और हथियारों पर विशेष ध्यान है.

भारत का यह कदम महत्वपूर्ण है, जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना की गतिविधियां बढ़ रही हैं. नए हेलिकॉप्टर नौसेना और तटरक्षक बल को इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेंगे. साथ ही, यह खरीद भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करती है, जो आधुनिक समुद्री रक्षा तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं.

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