INS Imphal: पाकिस्तान के सिर पर सवार रहेगा समंदर का नया सिकंदर, जानिए नए भारतीय युद्धपोत की ताकत

भारतीय नौसेना (Indian Navy) को नया स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर INS Imphal मिल गया है. इसकी कमीशनिंग रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में हुई. इसमें सतह से हवा में, सतह से सतह पर वाली मिसाइलें लैस हैं. टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स हैं. इसके अलावा 76 mm की सुपर रैपिड गन माउंट है.

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INS Imphal Indian Navy INS Imphal Indian Navy

ऋचीक मिश्रा

  • मुंबई,
  • 26 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

देश का नया जंगी जहाज INS Imphal आज यानी 26 दिसंबर 2023 को भारतीय नौसेना में शामिल हुआ. इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे. साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मणिपुर के मुख्यमंत्री आर बिरेन सिंह भी मौजूद थे. कमीशनिंग का कार्यक्रम मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में हुआ. यह विशाखापट्टनम क्लास का तीसरा गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर है. इंफाल पहला युद्धपोत है जिसका नाम उत्तर पूर्व के एक शहर के नाम पर रखा गया है. इसे पश्चिमी नौसेना कमान को सौंपा जाएगा. यानी ये अरब सागर में दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगा. 

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इस जहाज लगभग 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी साजो-सामान इस्तेमाल किया गया है:

- मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (बीईएल, बैंगलोर)
- सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलें (ब्रह्मोस एयरोस्पेस, नई दिल्ली)
- स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
- पनडुब्बी-रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
- 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट (भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड, हरिद्वार)

इंफाल की कील 19 मई 2017 को रखी गई थी. जहाज को 20 अप्रैल 2019 को पानी में उतारा गया. जहाज 28 अप्रैल 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था. बंदरगाह और समुद्र में परीक्षणों के एक व्यापक कार्यक्रम से गुजरा है, जिससे छह महीने की रिकॉर्ड समय-सीमा के भीतर 20 अक्टूबर 2023 को इसे सेना को सौंपा गया. 

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90 डिग्री पर घूमकर हमला करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल की सफल टेस्टिंग की गई

नवंबर 2023 में इसी युद्धपोत से एक्सटेंडेड रेंज वाली सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया गया. ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी ऐसे युद्धपोत से ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया गया हो, जिसे अभी नौसेना में शामिल भी नहीं किया गया था. इस जंगी जहाज से निकलने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 90 डिग्री पर घूमकर दुश्मन कर हमला करती है.  

इसके शामिल होने से इंडियन नेवी की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. पश्चिम में पाकिस्तान हो या पूर्व में चीन. दोनों से आने वाले खतरों का सामना करने के लिए यह जंगी जहाज पूरी तरह से तैयार है. इसका नाम द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई इंफाल की लड़ाई के शहीदों की याद में रखा गया है. यह पहला जंगी जहाज है जिसका नाम उत्तर-पूर्व के किसी शहर के नाम पर रखा गया है. 

इंफाल नाम ही क्यों दिया गया है इस युद्धपोत को? 

इंफाल युद्धपोत को देश के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के किसी भी शहर के नाम पर अब तक का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत विध्वंसक होने का अनूठा गौरव प्राप्त है. यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मणिपुर के बलिदान और योगदान के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है. चाहे वह 1891 का एंग्लो-मणिपुर युद्ध हो. या नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा 14 अप्रैल 1944 को मोइरांग में पहली बार आईएनए ध्वज फहराना. 

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ब्रिटिश और शाही जापानी सेनाओं के बीच इंफाल की घमासान लड़ाई, इसमें दोनों तरफ से भारतीय थे. इस युद्ध ने बर्मा अभियान का रुख मोड़ दिया. द्वितीय विश्व युद्ध और नई विश्व व्यवस्था के परिणाम को आकार दिया. इस प्रकार, इंफाल युद्धपोत की कमीशनिंग राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि के लिए मणिपुर राज्‍य के इंफाल शहर और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के महत्व और योगदान को रेखांकित करती है.

INS Imphal की खासियत

- डिस्प्लेसमेंटः 7400 टन 
- लंबाईः 535 फीट
- बीमः 57 फीट
- इंजनः डीजल-इलेक्ट्रिक
- स्पीडः 56 km/hr 
- रेंजः 7400 km
- क्षमताः समंदर में 45 दिन रह सकता है. 
- 50 अधिकारी और 250 नौसैनिक होंगे तैनात. 

खास तरह के हथियार

INS Imphal में चार कवच डिकॉय लॉन्चर्स लगे हैं. इसके अलावा बेहतरीन रडार और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम लगा है. इसमें 32 बराक 8 मिसाइलें, 16 ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल 4 टॉरपीडो ट्यूब्स, 2 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स, 7 प्रकार के गन्स होते हैं. ध्रुव और सी किंग हेलिकॉप्टर तैनात हैं. ये ऐसे युद्धपोत हैं, जिनसे लगातार ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया जा रहा है.

पनडुब्बियों को भी खोजकर मार सकता है

इसके अलावा इस युद्धपोत पर 21 इंच के 4 टॉरपीडो ट्यूब्स हैं. साथ ही 2 आरबीयू-6000 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स भी लगाए गए हैं. इसमें सुरक्षा के लिए डीआरडीओ द्वारा बनाया गया इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर शक्ति ईडब्ल्यू सुइट और कवच चैफ सिस्टम लगा है. 

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खतरनाक तोपों और ऑटोमैटिक बंदूकें तैनात 

INS Imphal में 32 एंटी-एयर बराक मिसाइलें तैनात की जा सकती है. जिनकी रेंज 100 KM है. या बराक 8ER मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं, जिसकी रेंज 150 KM है. इसमें 16 एंटी-शिप या लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइलें लगा सकते हैं. इसके अलावा एक 76 mm की OTO मेराला तोप, 4 AK-603 CIWS गन लगी है.  

डैमेज कंट्रोल सिस्टम... से लैस है युद्धपोत 

आईएनएस इंफाल पर दो वेस्टलैंड सी किंग या HAL ध्रुव हेलिकॉप्टर ले जाए जा सकते हैं. इस युद्धपोत में स्टेट ऑफ द आर्ट सेंसर लगे हैं, जो दुश्मन के हथियारों का आसानी से पता कर सकते हैं. ये सेंसर्स ऐसे डेक में लगाए गए हैं, जिन्हें दुश्मन देख नहीं सकता. इसमें बैटल डैमेज कंट्रोल सिस्टम्स लगाए गए हैं. यानी युद्ध के दौरान अगर जहाज के किसी हिस्से में नुकसान हो तो पूरा युद्धपोत काम करने बंद न करे.  

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